अलवर. शहर सहित एनसीआर में प्रदूषण का स्तर 3 गुना पहुंच चुका है. इसका असर अब नजर भी आने लगा है. भिवाड़ी (Effect of increasing pollution in Alwar) सहित पूरे जिले के अन्य हिस्सों में अब औद्योगिक इकाइयां 5 दिन संचालित होंगी. इसके अलावा निर्माण कार्य, तोड़फोड़, सड़कों की सफाई, कचरा जलाने सहित अन्य गतिविधियों पर भी रोक लगाई गई है.
एनसीआर में तेजी से बढ़ते प्रदूषण के स्तर को देखते हुए इस साल से ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) की नई गाइडलाइन तैयार की गई. दिल्ली में एक्यूआई (वायु गुणवत्ता सूचकांक) शुक्रवार को 400 तक पहुंच गया. अलवर भिवाड़ी में भी एक्यूआई का स्तर 150 से ज्यादा रहा. ऐसे में पूरे एनसीआर क्षेत्र में ग्रेप ने अपने तीसरे चरण की पाबंदियों को लागू कर दिया है. इसके तहत ईंट, भट्टे, हॉट मिक्सर प्लांट बंद रहेंगे. स्टोन क्रशर खनन और इससे संबंधित गतिविधियां भी नहीं चलेंगी. भिवाड़ी को छोड़कर जिले के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों में फैक्ट्रियां सप्ताह में 5 दिन चलेंगी. 2 दिन प्लांट बंद रखने होंगे. भिवाड़ी में उद्योगों के पास पीएनजी के उपलब्ध होने के कारण वहां 5 दिन का नियम लागू नहीं होगा.
पाबंदियों में दूध-डेयरी और मेडिकल उत्पाद इकाइयां बाहर : इसके अलावा जिले में अलवर एमआईए, राजगढ़, नीमराणा, बहरोड, शाहजहांपुर, सोतानाला सहित अन्य औद्योगिक क्षेत्र प्रभावित होंगे. प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इन पाबंदियों में बड़ी परियोजनाएं दूध-डेयरी के कार्य और मेडिकल उत्पादों से जुड़ी हुई औद्योगिक इकाइयों को बाहर रखा गया है. दिवाली के बाद से लगातार प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. दिन के समय भी कोहरे की चादर रहती है.
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प्रदूषण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले चरण में एक्यूआई 200 से 300 रहने पर प्रदूषण (AQI of Alwar) फैलाने वाले उद्योग वाहन व कचरे जलाने की कार्रवाई पर रोक लगाई जाती है. दूसरे चरण में एक्यूआई 300 से 400 रहने पर रेस्त्रां, भोजनालय में तंदूर व कोयले व लकड़ी जलाने पर रोक का प्रावधान है. इसके अलावा डीजी सेट पर भी पाबंदी लगाई गई है. जबकि एक्यूआई 400 से ज्यादा होने पर तीसरा चरण लागू होता है.
इससे आम लोग और श्रमिक प्रभावित न हों, इसके लिए एनसीआर प्लानिंग बोर्ड की तरफ से इस बार ग्रेप की (GRAP guideliness for Alwar) नई गाइडलाइन तैयार की गई है. अलवर में एक एक्यूआई का स्तर अभी 150 के आसपास है, लेकिन दिल्ली में ज्यादा प्रदूषण होने के कारण अलवर जिले को तीसरे चरण की पाबंदियां झेलनी पड़ेगी. ऐसे में औद्योगिक इकाइयों में काम करने वाले श्रमिक प्रभावित होंगे. साथ ही व्यापारी व कारोबारियों को भी परेशानी उठानी पड़ेगी.