बानसूर (अलवर). जिले के बानसूर को राज सरकार की ओर से चतुर्थ श्रेणी की नगर पालिका करार दिया था. जिसको लेकर भाजपा के कद्दावर नेता पूर्व मंत्री डॉ रोहिताश्व शर्मा ने फिर से बानसूर विधायक शकुंतला रावत पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
बानसूर विधायक शकुंतला रावत ने पंचायत समिति सभागार में मीडिया से रूबरू होते हुए पूर्व मंत्री डॉ. रोहिताश्व शर्मा के बयान पर जवाब दिया. उन्होंने कहा कि पूर्व मंत्री ने यातायात मंत्री होते हुए बानसूर में ना ही बस स्टैंड का निर्माण करवाया और ना ही बस स्टैंड शुरू करा पाए और भाजपा सरकार में जो घोषणाएं हुई उनकी वित्तीय स्वीकृति जारी तक नहीं हुई है.
इसको लेकर पूर्व मंत्री डॉ. रोहिताश्व शर्मा ने फिर से बानसूर विधायक शकुंतला रावत पर जातिगत आरोप लगाते हुए कहा कि विधायक ने जातिविशेष को महत्व देते हुए गांव ईसरा का बास में पीएससी खुलवा दी और नगरपालिका मे गांव माजरा रावत और गांव टोडिया का बास को जोड़ा गया जबकि जो पास के गांव थे उन्हें सम्मलित नहीं किया गया.
डॉ. शर्मा ने कहा कि विधायक महोदय को बानसूर का बस स्टैंड नजर नहीं आता तो वो अपने चश्मे का नम्बर बदलें, क्योंकि 1994 में सात लाख रुपए रोडवेज से लेकर जिला कलेक्टर अलवर में जमा करवाए और बानसूर बस स्टैंड के लिए जमीन ली और बस स्टैंड का निर्माण करवाया. जो विधायक महोदया को नजर नहीं आ रहा है.
उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर पूर्व मंत्री डॉ. रोहिताश्व शर्मा बानसूर विधायक बनते हैं तो बानसूर का बस स्टैंड शुरू करवाने का भरोसा दिलाए. वहीं, नगरपालिका को लेकर पूर्व मंत्री ने कहा कि जो बहरोड़, तिजारा नगरपालिका है वो यूआईटी के अधीन में आती है जिसका बजट करोड़ों रुपए में आता है और चतुर्थ श्रेणी की नगरपालिका की जनसंख्या 23 हजार के लगभग रहती है, लेकिन बानसूर की आबादी तो 40 हजार से ज्यादा है तो बानसूर तृतीय श्रेणी की नगरपालिका बनने लायक है, लेकिन बानसूर को चतुर्थ श्रेणी में डाल दिया गया.
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डॉ. शर्मा ने कहा कि बानसूर सरकारी महाविद्यालय भाजपा सरकार में खोला गया जिसको स्वीकृति भी मिली और जल्द ही पढ़ाई भी शुरू करवाई गई. जिसका फायदा आज गरीब परिवार के बच्चों को मिल रहा है. उन्होंने कहा कि विधायक महोदय सिर्फ लच्छेदार भाषण देना जानती हैं उनको विकास के बारे में और पढ़ाई करने की आवश्यकता है.
डॉ. शर्मा ने ये भी कहा कि बानसूर विधायक बार-बार कहती हैं कि बानसूर मेरा परिवार है, लेकिन विधायक को बानसूर में सिर्फ दो ही गांव नजर आते हैं. जहां गांव चतरपुरा में पीएससी खुलनी चाहिए उसकी जगह गांव ईसरा का बास में पीएससी खुलवा दी गई और कुछ कर्मचारी जिन्होंने बानसूर में अच्छा काम किया उनका स्थानांतरण कर दिया गया. पूर्व मंत्री ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया है.