शाहजहांपुर बॉर्डर (अलवर). किसानों ने शाहजहांपुर खेड़ा बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में होली नहीं मनाने का फैसला लिया. जिसके बाद खेत की मिट्टी से किसानों ने एक दूसरे को तिलक लगाकर होली की बधाई दी. इससे पहले होलिका दहन के दिन हजारों की संख्या में किसानों ने नए कृषि कानूनों की प्रतियां होली के साथ जलाई. इस दौरान किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और तीनों नए किसी कानून वापस लेने की मांग की.
देश में अभी तक किसान आंदोलन के दौरान 300 से ज्यादा किसानों की शहादत हो चुकी है. ऐसे में शाहजहांपुर खेड़ा बॉर्डर पर किसानों ने होली नहीं मनाने का फैसला लिया है. किसानों ने कहा कि होली नहीं मनायेंगे और रंग नहीं खेलेंगे. संयुक्त किसान मोर्चा ने 28 मार्च को किसान विरोधी तीनों कानूनों को होलिका दहन में जलाई. सीमाओं पर डटे आंदोलनकारी किसानों ने संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर तीनों कानूनों की प्रतिया जलाकर विरोध दर्ज कराया.
सरकार का आंदोलन के प्रति घोर असंवेदनशील रवैया और अमानवीय व्यवहार- किसान नेता
शाहजहांपुर-खेड़ा बॉर्डर पर बीती शाम 7 बजे किसान-विरोधी कानूनों की होली जलायी गई. इसके बाद आम सभा को संबोधित करते हुए किसान-वक्ताओं ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के धरनों को 4 महीने हो चुके हैं. किसानों ने हर प्रतिकूल मौसम और परिस्थितियों में अपने आप को मजबूत रखते हुए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ और MSP के लिए अपनी लड़ाई को शांति और अनुशासन के साथ आगे बढ़ाया है. इस आंदोलन के दौरान 310 के करीब किसान शहीद हो चुके हैं. सैंकड़ों किसान सड़क दुर्घटनाओं और अन्य कारणों से बीमार भी हुए हैं. सरकार का किसानों के आंदोलन के प्रति घोर असंवेदनशील रवैया और अमानवीय व्यवहार रहा है. सरकार ने अपने आपको पूरी तरह से किसानों से अलग-थलग कर रखा है.
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यह आंदोलन सिर्फ 4 महीने से नहीं, पंजाब और देश के कई अन्य हिस्सों में यह आंदोलन तब ही शुरू हो गया था, जब यह तीन कृषि कानून अध्यादेश (ऑर्डिनेंस) के रूप में लाये गए थे. पंजाब के किसानों ने अगुवाई करते हुए इस आंदोलन में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है. इस आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत यही रही है कि आंदोलन पूरी तरह से शांतिपूर्ण और अनुशासित रहा रहा है और किसानों ने सब्र और संतोष के साथ आंदोलन के हर पड़ाव में जोर से अपनी ताकत दिखाई है.
नेताओं ने शहीद किसानों का अपमान किया है
किसान नेताओं ने कहा कि हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा. यह किसानों की ताकत है. भाजपा और उसके सहयोगी दलों के नेता इस आंदोलन और किसानों के खिलाफ बयानबाजी से किसानों को उकसाते रहे हैं. इन नेताओं की ओर से शहीद किसानों तक का अपमान किया गया. इन सब के कारण और कृषि कानूनों के विरोध के संदर्भ में किसानों ने भाजपा और इसके सहयोगी दलों के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार किया हुआ है.
पंजाब में भाजपा नेताओं का हुआ विरोध
किसान नेताओं का कहना है कि पंजाब के अबोहर के भाजपा विधायक का आसपास के किसानों ने विरोध करना प्रारंभ किया. भाजपा नेताओं की ओर से पैदा की गई भड़काऊ परिस्थितियों के कारण किसानों का यह आंदोलन हिंसक हुआ और विधायक के साथ शारीरिक रूप से दुर्व्यवहार हुआ. इस तरह की घटना घटित होती है. इसके लिए भाजपा-आरएसएस को आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है.
किसानों ने कहा कि हम इस घटना का जिम्मेदार भाजपा व उसके सहयोगी दलों को मानते है. भाजपा की केंद्रीय लीडरशिप अपने अहंकार में चूर है और किसानों की समस्याओं का हल करने की बजाय चुनावी राज्यों में व्यस्त है. सरकार के इस व्यवहार का खामियाजा क्षेत्रीय नेताओ को भुगतना पड़ रहा है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने किसानों से की अपील
संयुक्त किसान मोर्चा सभी किसानों से अपील की है कि अब तक शांतिपूर्वक चल रहे आंदोलन को इसी तरह शांतिपूर्ण बनाए रखे. किसान आंदोलन अब दिल्ली की सीमाओं से देश के कोने-कोने में फैल रहा है. किसानों का यह ऐतिहासिक आंदोलन जरूर सफल होगा.