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RTH Bill Affect: ईएसआईसी, सेना और आयुर्वेद के डॉक्टर ने संभाला सरकारी अस्पताल, मरीजों का कर रहे उपचार - Rajasthan hindi news

निजी चिकित्सकों की ह़ड़ताल के कारण अलवर के सरकारी अस्पतालों में ईएसआईसी, सेना और आयुर्वेद के डॉक्टर ने स्थिति संभाल ली है. वे मरीजों को उपचार प्रदान कर रहे हैं.

Rajiv Gandhi General Hospital in alwar
Rajiv Gandhi General Hospital in alwar
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Published : Mar 29, 2023, 11:03 PM IST

अलवर. राइट टू हेल्थ बिल को वापस लेने की मांग कर रहे प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों की हड़ताल में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी शामिल हो चुके हैं. ऐसे में सरकारी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य एवं आउटडोर सेवाएं बंद हैं. ऐसे में सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीज परेशान हो रहे हैं. समस्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सरकारी अस्पतालों में ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज, सेना अस्पताल और आयुर्वेद अस्पताल के डॉक्टरों को तैनात किया गया है. सभी डॉक्टर मिलकर सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में अलवर के अलावा भरतपुर, दौसा और हरियाणा से मरीज इलाज के लिए आते हैं. डॉक्टरों की चल रही हड़ताल के कारण हजारों मरीज परेशान हैं. ऐसे में 20 डॉक्टर लगाए गए हैं. भर्ती मरीजों की अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग कर्मचारी देखभाल कर रहे हैं. निजी अस्पताल पिछले 12 दिन से बंद हैं. अब सरकारी डॉक्टर भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं. प्रशासन की ओर से मदद मांगने पर आर्मी हॉस्पिटल, ईएसआईसी कॉलेज और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज व होम्योपैथ के डॉक्टर भी सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देने में लगे हैं.

पढ़ें. RTH Bill : डॉक्टरों के विरोध पर खाचरियावास बोले- हम चिकित्सकों से टकराव नहीं चाहते

पीएमओ डॉ. सुनील चौहान ने बताया कि ईएसआईसी हॉस्पिटल, आयुर्वेदिक और मिलिट्री अस्पताल के डॉक्टर भी अपनी सेवाएं सरकारी अस्पताल में दे रहे हैं. ओपीडी में आने वाले मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो रही है. डॉक्टरों के सामूहिक कार्य बहिष्कार के हालातों से निपटने के लिए अलवर जिला प्रशासन ने सेना, रेलवे भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के साथ ही एसएसबी मौजपुर इटाराना छावनी हॉस्पिटल और ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को अस्पताल की आउटडोर देखने के लिए पत्र लिखा था. ऐसे में अब वे भी डॉक्टर अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं.

सभी सेंटरों से दो-दो डॉक्टर मांगे
मरीजों की सुविधाओं के लिए सभी सेंटरों से दो-दो डॉक्टर मांगे हैं. अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी सेवाओं के लिए मेडिसिन, सर्जरी, गायनी, आर्थोपेडिक में शिशु रोग विशेषज्ञ की डिमांड की गई है. अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या को व्यवस्थित करने अप्रिय घटना को रोकने और अस्पताल की व्यवस्था में व्यवधान से निपटने के लिए अस्पताल में अतिरिक्त पुलिस जाप्ता लगाने के लिए भी एसपी को पत्र लिखा गया है.

पढ़ें. चिकित्सकों ने निकाली RTH Bill की शव यात्रा, बोले- कोटा आने पर सीएम का रोक देंगे रास्ता

अस्पताल में तैनात हुई पुलिस
पुलिस जाप्ता भी अस्पताल में लगाया गया है. अलवर जिला अस्पताल में करीब 700 से अधिक बेड हैं जहां 575 मरीज मंगलवार तक भर्ती हैं. इधर अस्पताल में नर्सिंग कर्मचारी भी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ट्रॉमा सेंटर में एक्सीडेंट में घायल लोगों को नर्सिंग कर्मचारी इलाज दे रहे हैं. महिला अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी के लिए सीएमएचओ ऑफिस से महिला डॉक्टर लगाई गईं हैं. नॉर्मल डिलीवरी के लिए महिला नर्सिंग कर्मचारी का सहयोग लिया जा रहा है.

जिला कलेक्टर ने किया अस्पताल का निरीक्षण
अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन 4000 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन निजी अस्पतालों में हड़ताल के कारण यहां भीड़ बढ़ गई है. जिला कलेक्टर ने राजीव गांधी सामान्य अस्पताल का निरीक्षण किया और अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए. वहीं अस्पताल में डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के चलते पोस्टमार्टम कार्य भी प्रभावित होने लगे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज से पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टरों की व्यवस्था की गई है.

अलवर. राइट टू हेल्थ बिल को वापस लेने की मांग कर रहे प्राइवेट अस्पताल के डॉक्टरों की हड़ताल में सरकारी अस्पताल के डॉक्टर भी शामिल हो चुके हैं. ऐसे में सरकारी अस्पतालों में भी स्वास्थ्य एवं आउटडोर सेवाएं बंद हैं. ऐसे में सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीज परेशान हो रहे हैं. समस्या को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सरकारी अस्पतालों में ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज, सेना अस्पताल और आयुर्वेद अस्पताल के डॉक्टरों को तैनात किया गया है. सभी डॉक्टर मिलकर सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में अलवर के अलावा भरतपुर, दौसा और हरियाणा से मरीज इलाज के लिए आते हैं. डॉक्टरों की चल रही हड़ताल के कारण हजारों मरीज परेशान हैं. ऐसे में 20 डॉक्टर लगाए गए हैं. भर्ती मरीजों की अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग कर्मचारी देखभाल कर रहे हैं. निजी अस्पताल पिछले 12 दिन से बंद हैं. अब सरकारी डॉक्टर भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं. प्रशासन की ओर से मदद मांगने पर आर्मी हॉस्पिटल, ईएसआईसी कॉलेज और आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज व होम्योपैथ के डॉक्टर भी सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देने में लगे हैं.

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पीएमओ डॉ. सुनील चौहान ने बताया कि ईएसआईसी हॉस्पिटल, आयुर्वेदिक और मिलिट्री अस्पताल के डॉक्टर भी अपनी सेवाएं सरकारी अस्पताल में दे रहे हैं. ओपीडी में आने वाले मरीजों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो रही है. डॉक्टरों के सामूहिक कार्य बहिष्कार के हालातों से निपटने के लिए अलवर जिला प्रशासन ने सेना, रेलवे भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल के साथ ही एसएसबी मौजपुर इटाराना छावनी हॉस्पिटल और ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों को अस्पताल की आउटडोर देखने के लिए पत्र लिखा था. ऐसे में अब वे भी डॉक्टर अस्पताल में सेवाएं दे रहे हैं.

सभी सेंटरों से दो-दो डॉक्टर मांगे
मरीजों की सुविधाओं के लिए सभी सेंटरों से दो-दो डॉक्टर मांगे हैं. अस्पताल में 24 घंटे इमरजेंसी सेवाओं के लिए मेडिसिन, सर्जरी, गायनी, आर्थोपेडिक में शिशु रोग विशेषज्ञ की डिमांड की गई है. अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या को व्यवस्थित करने अप्रिय घटना को रोकने और अस्पताल की व्यवस्था में व्यवधान से निपटने के लिए अस्पताल में अतिरिक्त पुलिस जाप्ता लगाने के लिए भी एसपी को पत्र लिखा गया है.

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अस्पताल में तैनात हुई पुलिस
पुलिस जाप्ता भी अस्पताल में लगाया गया है. अलवर जिला अस्पताल में करीब 700 से अधिक बेड हैं जहां 575 मरीज मंगलवार तक भर्ती हैं. इधर अस्पताल में नर्सिंग कर्मचारी भी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. ट्रॉमा सेंटर में एक्सीडेंट में घायल लोगों को नर्सिंग कर्मचारी इलाज दे रहे हैं. महिला अस्पताल में सिजेरियन डिलीवरी के लिए सीएमएचओ ऑफिस से महिला डॉक्टर लगाई गईं हैं. नॉर्मल डिलीवरी के लिए महिला नर्सिंग कर्मचारी का सहयोग लिया जा रहा है.

जिला कलेक्टर ने किया अस्पताल का निरीक्षण
अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन 4000 से अधिक मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन निजी अस्पतालों में हड़ताल के कारण यहां भीड़ बढ़ गई है. जिला कलेक्टर ने राजीव गांधी सामान्य अस्पताल का निरीक्षण किया और अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिए. वहीं अस्पताल में डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के चलते पोस्टमार्टम कार्य भी प्रभावित होने लगे हैं. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज से पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टरों की व्यवस्था की गई है.

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