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अपनों ने ठुकराया, गैरों ने अपनाया...'चारुल' से परिवार में आई खुशियों की बहार - नि:संतान दंपती ने बच्ची लिया गोद

अलवर जिले के नीमराणा निवासी एक दंपती ने 5 माह की बच्ची को गोद लिया है. बच्ची को गोद लेकर लौटने पर गांव में उनका धूमधाम से स्वागत किया गया. बेटी को पाकर पूरा परिवार और गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है और लोग दंपती के इस कार्य की सराहना कर रहे हैं.

नि:संतान दंपती ने बच्ची लिया गोद, Childless couple adopted a baby girl
बच्ची को लिया गोद
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Published : Nov 23, 2020, 3:16 PM IST

Updated : Nov 23, 2020, 3:21 PM IST

बहरोड़ (अलवर). आज कल लोग बालिकाओं को लावारिस छोड़ने और कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध कर रहे हैं. ऐसे में नीमराणा निवासी एक दंपती ने 4 दिन की नवजात बच्ची को गोद लेकर उसे घर की लक्ष्मी बनाया है. दंपती ने कोरोना काल में लावारिस छोड़ी गई बच्ची को गोद लिया. जिसके बाद उसका गांव में धूमधाम से स्वागत किया गया. बेटी को पाकर पूरा परिवार और गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है. लोग दंपती के इस कार्य की सराहना कर रहे हैं.

बच्ची को लिया गोद

बता दें कि नीमराणा के बिचपुरी निवासी लाइनमैन सतीश यादव और उनकी पत्नी सुरेश देवी ने जोधपुर में जन्मी बच्ची को गोद लेकर समाज में एक नई मिशाल कायम की है. विद्युकर्मी ने जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में स्थित नवजीवन लव-कुश अनाथालय से दत्तक ग्रहण अभिकरण के तहत पांच माह की बच्ची को गोद लिया है. संस्थान के प्रभारी राजेन्द्र परिहार ने सतीश यादव और उनकी पत्नी को 18 नवम्बर को संस्थान की बच्ची शिप्रा को दत्तक ग्रहण करवाया. बेटी को गोद लेकर वापस लौटने पर ग्रामीणों में एक अलग खुशी का माहौल देखने को मिला.

परिजनों ने बच्ची और उसके नए माता-पिता का तिलक लगाकर, पूजा-अर्चना कर स्वागत किया. बेटी शिप्रा का नामकरण करते हुए उसे नया नाम चारुल दिया. विद्युकर्मी सतीश और उनकी पत्नी सुरेश देवी ने बताया कि एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर जोधपुर में एक निर्दयी मां ने बच्ची को जन्म देकर छोड़ दिया था. जिसके बाद उसका पांच माह से लालन पालन नवजीवन लव कुश संस्थान द्वारा किया जा रहा था. जिसे दंपती ने सामाजिक परिवरिश का जिम्मा लेते हुए गोद लेकर पालन पोषण का जिम्मा लिया है.

ये पढ़ें: बिना सूचना के विवाह Fकरने पर 5 हजार और 100 से अधिक लोगों की उपस्थिति पर 25 हजार जुर्माना

बता दें कि सतीश यादव नीमराणा ईपीआईपी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित पावर हाउस में पेशे से विद्युत टेक्नीशियन लाइनमैन के पद पर कार्यरत है. उनकी पत्नी सुरेश देवी घर में रहकर गृहणी का दायित्व निभा रही हैं. दंपती की कोई संतान नहीं थी. ऐसे में उन्होंने भाई, बहनों और रिश्तेदारों की संतान को गोद लेने की बजाय अनाथ आश्रम में पल बढ़ रही शिप्रा (चारुल) को गोद लेकर उसे समाज में एक नया नाम और पहचान देने का साहसिक निर्णय लिया.

ग्रामीणों ने की तारीफ...

अनाथ आश्रम से गोद लेकर आई बच्ची चारुल के नए परिजनों सतीश यादव और सुरेश देवी का घर आने पर गांव के बड़े बुजुर्गों और गणमान्य लोगों ने बेटी गोद लेने और उसे पालने पोसने के साथ ही माता-पिता का धर्म निभाने की प्रेरणा की सराहना की. सतीश यादव और उनकी पत्नी ने बताया कि उनके अपनी कोई संतान तो नहीं है, लेकिन उन्होंने घर परिवार और रिस्तेदारों के बच्चो को गोद लेने की बजाय लावारिस छोड़ी गई बच्ची को अपनी बेटी के रूप में अपनाने का निश्चय किया. ऐसे में लावारिस या अनाथ बेटियों को माता-पिता का नाम देकर समाज को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश देना जरूरी है. उन्होंने अपना निश्चय दोहराते हुए कहा कि वह गोद ली बेटी के साथ माता-पिता का धर्म निभाएंगे. उसे पाल पोशकर एक दिन बढ़िया अधिकारी बनाएंगे.

बहरोड़ (अलवर). आज कल लोग बालिकाओं को लावारिस छोड़ने और कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराध कर रहे हैं. ऐसे में नीमराणा निवासी एक दंपती ने 4 दिन की नवजात बच्ची को गोद लेकर उसे घर की लक्ष्मी बनाया है. दंपती ने कोरोना काल में लावारिस छोड़ी गई बच्ची को गोद लिया. जिसके बाद उसका गांव में धूमधाम से स्वागत किया गया. बेटी को पाकर पूरा परिवार और गांव में खुशी का माहौल बना हुआ है. लोग दंपती के इस कार्य की सराहना कर रहे हैं.

बच्ची को लिया गोद

बता दें कि नीमराणा के बिचपुरी निवासी लाइनमैन सतीश यादव और उनकी पत्नी सुरेश देवी ने जोधपुर में जन्मी बच्ची को गोद लेकर समाज में एक नई मिशाल कायम की है. विद्युकर्मी ने जोधपुर के चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में स्थित नवजीवन लव-कुश अनाथालय से दत्तक ग्रहण अभिकरण के तहत पांच माह की बच्ची को गोद लिया है. संस्थान के प्रभारी राजेन्द्र परिहार ने सतीश यादव और उनकी पत्नी को 18 नवम्बर को संस्थान की बच्ची शिप्रा को दत्तक ग्रहण करवाया. बेटी को गोद लेकर वापस लौटने पर ग्रामीणों में एक अलग खुशी का माहौल देखने को मिला.

परिजनों ने बच्ची और उसके नए माता-पिता का तिलक लगाकर, पूजा-अर्चना कर स्वागत किया. बेटी शिप्रा का नामकरण करते हुए उसे नया नाम चारुल दिया. विद्युकर्मी सतीश और उनकी पत्नी सुरेश देवी ने बताया कि एक ओर जहां पूरा विश्व कोरोना जैसे वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर जोधपुर में एक निर्दयी मां ने बच्ची को जन्म देकर छोड़ दिया था. जिसके बाद उसका पांच माह से लालन पालन नवजीवन लव कुश संस्थान द्वारा किया जा रहा था. जिसे दंपती ने सामाजिक परिवरिश का जिम्मा लेते हुए गोद लेकर पालन पोषण का जिम्मा लिया है.

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बता दें कि सतीश यादव नीमराणा ईपीआईपी औद्योगिक क्षेत्र में स्थित पावर हाउस में पेशे से विद्युत टेक्नीशियन लाइनमैन के पद पर कार्यरत है. उनकी पत्नी सुरेश देवी घर में रहकर गृहणी का दायित्व निभा रही हैं. दंपती की कोई संतान नहीं थी. ऐसे में उन्होंने भाई, बहनों और रिश्तेदारों की संतान को गोद लेने की बजाय अनाथ आश्रम में पल बढ़ रही शिप्रा (चारुल) को गोद लेकर उसे समाज में एक नया नाम और पहचान देने का साहसिक निर्णय लिया.

ग्रामीणों ने की तारीफ...

अनाथ आश्रम से गोद लेकर आई बच्ची चारुल के नए परिजनों सतीश यादव और सुरेश देवी का घर आने पर गांव के बड़े बुजुर्गों और गणमान्य लोगों ने बेटी गोद लेने और उसे पालने पोसने के साथ ही माता-पिता का धर्म निभाने की प्रेरणा की सराहना की. सतीश यादव और उनकी पत्नी ने बताया कि उनके अपनी कोई संतान तो नहीं है, लेकिन उन्होंने घर परिवार और रिस्तेदारों के बच्चो को गोद लेने की बजाय लावारिस छोड़ी गई बच्ची को अपनी बेटी के रूप में अपनाने का निश्चय किया. ऐसे में लावारिस या अनाथ बेटियों को माता-पिता का नाम देकर समाज को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश देना जरूरी है. उन्होंने अपना निश्चय दोहराते हुए कहा कि वह गोद ली बेटी के साथ माता-पिता का धर्म निभाएंगे. उसे पाल पोशकर एक दिन बढ़िया अधिकारी बनाएंगे.

Last Updated : Nov 23, 2020, 3:21 PM IST
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