अलवर. सिरोही व आबू के जंगलों से भालू के दो जोड़े सरिस्का टाईगर रिजर्व में शिफ्ट किए गए हैं. इसके लिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से कोई तैयारी नहीं की गई. यहां तक की वन कर्मियों को भी ट्रेनिंग नहीं दी गई. भालूओं की देखभाल व उसकी मॉनिटरिंग के लिए भी कोई विशेष व्यवस्था नहीं की गई. इसी का नतीजा अब सरिस्का और उसके आस पास के इलाकों में देखने को मिल रहा है. भालुओं को एंक्लोजर से जंगल में छोड़ा गया. उसके बाद से ही भालू जंगल से निकलकर आसपास के आबादी वाले इलाकों में पहुंच रहे हैं. कई बार भालू को वापस जंगल में लाने में विभाग को खासी मशक्कत भी करनी पड़ी है. इस दौरान एक वन कर्मी घायल हो गया. जिसे देख वहां मौजूद ग्रामीण भी दहशत में रह रहे हैं.
अभी तक पर्यटकों को भालू की साइटिंग नहीं हुई है. भालू की साइटिंग के लिए लोगों को अभी इंतजार करना पड़ सकता है. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि भालू को सरिस्का के उस क्षेत्र में छोड़ा गया है. जहां टाइगर का मूवमेंट नहीं रहता है. ताल वृक्ष के आसपास के क्षेत्र में भालू घूम रहे हैं व अपनी टेरिटरी बना रहे हैं. भालू की मूवमेंट के लिए सरिस्का प्रशासन की तरफ से अलग से सफारी का रुट बनाया जाएगा. उसके बाद ही पर्यटकों को भालू की साइटिंग हो सकेगी. नया रुट शुरू करने से पहले वन विभाग की एक लंबी प्रक्रिया होती है. उससे सरिस्का हो गुजरना होगा. इस प्रक्रिया में अभी थोड़ा समय लगेगा.
सरिस्का में हैं चार भालू : सरिस्का के जंगल में इस समय भालू के दो जोड़े हैं. इसमें दो फीमेल व दो मेल भालू हैं. चारों भालू अलग-अलग के जंगलों से लाकर सरिस्का में शिफ्ट किए गए हैं. भालू को सरिस्का का जंगल अभी रास नहीं आ रहा है. इसलिए भालू लगातार जंगल से बाहर निकलकर आबादी वाले इलाकों में जा रहे हैं.
पर्यटकों को नहीं हो रही साइटिंग : सरिस्का में आने वाले पर्यटकों को अभी भालू की साइटिंग नहीं हो रही है. सरिस्का के अधिकारियों ने कहा कि भालू की साइटिंग के लिए अलग से रूट बनाए जाएंगे. उसके बाद पर्यटक भालू के दर्शन हो सकेंगे. इसके लिए रूट निर्धारित करके मुख्यालय को इसका प्रस्ताव भेजा जाएगा. वन मुख्यालय की अनुमति के बाद ही नए रूट पर सफारी शुरू होगी.