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कोरोना की मार के बीच गिर रहे प्याज के दाम, अलवर के किसान चिंतित...

अलवर के किसानों ने इस साल कई गुना ज्यादा प्याज का बीज तैयार किया है, लेकिन प्याज के दाम लगातार गिर रहे हैं. वहीं, कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते किसानों को पहले ही खासा नुकसान पहुंच रहा है. ऐसे में अब किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है.

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प्याज के दाम गिरने से अलवर के किसान चिंतित
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Published : Jul 12, 2020, 5:52 PM IST

अलवर. पिछले साल अलवर की प्याज पूरे देश में सप्लाई हुई और यहां के किसानों को प्याज का बेहतर दाम मिला. सोने के भाव प्याज बिकने से कुछ किसान करोड़पति भी हुए. ऐसे में इस बार किसानों ने फसल के लिए कई गुना ज्यादा प्याज का बीज तैयार किया है. लेकिन प्याज के दाम लगातार गिर रहे हैं. वहीं, कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते किसानों को पहले ही खासा नुकसान पहुंच रहा है. सब्जियां बिकने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं जा पा रही हैं.

प्याज के दाम गिरने से अलवर के किसान चिंतित

गौरतलब है कि अलवर मंडी देश की बड़ी मंडियों में शामिल है. नासिक के बाद सबसे ज्यादा प्याज अलवर की मंडी में आती है और अलवर से देश-विदेश में सप्लाई होती है. पिछले साल अलवर की प्याज की डिमांड सबसे ज्यादा रही. इसका पूरा फायदा किसानों को मिला. वहीं, इस समय महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश की प्याज की आवक हो रही है. कुछ दिनों में कर्नाटक की प्याज भी आने लगेगी. कर्नाटक की प्याज सभी जगहों की तुलना में बेहतर होती है और सस्ती भी होती है. उसके बाद अलवर की प्याज आएगी. अभी अलवर की प्याज का दाम थोक बाजार में 10-12 रुपये किलो चल रहा है. आने वाले समय में लगातार प्याज के दाम गिरने की संभावना है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में किसानों को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है. हालांकि, किसान बड़ी संख्या में प्याज लगाने को तैयार हैं.

पढ़ें: 'आत्मनिर्भर भारत' मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सोच : सांसद दीया कुमारी

प्याज की खेती बारिश पर भी निर्भर है. अगर बेहतर बारिश होती है तो अलवर में अच्छी प्याज होगी. वहीं, ज्यादा बारिश होने के कारण कर्नाटक क्षेत्र की प्याज में नमी आ जाएगी, इससे प्याज खराब हो जाती है. ऐसे में अलवर की प्याज की डिमांड ज्यादा रहेगी. व्यापारियों की मानें तो प्याज अलवर कि किसानों की अर्थव्यवस्था सुधारने का काम करती है. पिछले साल प्याज के बेहतर दाम मिले तो किसानों ने अपना कई साल पुराना कर्जा चुकाया. इससे किसान बेहतर स्थिति में आ गए, लेकिन किसान की अर्थव्यवस्था सुधारने वाली प्याज के हालात अब खराब हैं.

कोरोना ने तोड़ी किसानों की कमर...
कोरोना महामारी के चलते किसान की कमर टूटी है. कोरोना महामारी के चलते सब्जी एक राज्य से दूसरे राज्य और एक शहर से दूसरे शहर नहीं जा पाई. ऐसे में किसान को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. आगे भी अगर इसी तरह के हालात रहे तो किसान के लिए परेशानी बढ़ सकती है.

अलवर से देशभर में सप्लाई होती है प्याज...
अलवर प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. अलवर से पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश सहित आस-पास के कई देशों के साथ ही अपने देश के सभी राज्यों में प्याज सप्लाई होती है. सीजन के समय अलवर से प्रतिदिन करीब 300 ट्रक प्याज देश की विभिन्न मंडियों में बिकने के लिए जाता है.

कर्नाटक की प्याज पर निर्भर है अलवर की प्याज...
कर्नाटक क्षेत्र में प्याज की बहुत आवक होती है. अलवर की प्याज से कुछ समय पहले ही बाजार में कर्नाटक की प्याज आती है. अगर कर्नाटक में बेहतर किस्म की प्याज होती है तो इससे अलवर की प्याज की वैल्यू या कहें कीमत कम हो जाती है. अगर वहां बारिश होती है और वहां की प्याज में नमी आती है तो अलवर की प्याज की डिमांड बढ़ जाती है. नमी आने के बाद कर्नाटक की प्याज खराब हो जाती है. इससे उसकी बाजार में डिमांड कम रहती है.

अलवर. पिछले साल अलवर की प्याज पूरे देश में सप्लाई हुई और यहां के किसानों को प्याज का बेहतर दाम मिला. सोने के भाव प्याज बिकने से कुछ किसान करोड़पति भी हुए. ऐसे में इस बार किसानों ने फसल के लिए कई गुना ज्यादा प्याज का बीज तैयार किया है. लेकिन प्याज के दाम लगातार गिर रहे हैं. वहीं, कोरोना महामारी और लॉकडाउन के चलते किसानों को पहले ही खासा नुकसान पहुंच रहा है. सब्जियां बिकने के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य नहीं जा पा रही हैं.

प्याज के दाम गिरने से अलवर के किसान चिंतित

गौरतलब है कि अलवर मंडी देश की बड़ी मंडियों में शामिल है. नासिक के बाद सबसे ज्यादा प्याज अलवर की मंडी में आती है और अलवर से देश-विदेश में सप्लाई होती है. पिछले साल अलवर की प्याज की डिमांड सबसे ज्यादा रही. इसका पूरा फायदा किसानों को मिला. वहीं, इस समय महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश की प्याज की आवक हो रही है. कुछ दिनों में कर्नाटक की प्याज भी आने लगेगी. कर्नाटक की प्याज सभी जगहों की तुलना में बेहतर होती है और सस्ती भी होती है. उसके बाद अलवर की प्याज आएगी. अभी अलवर की प्याज का दाम थोक बाजार में 10-12 रुपये किलो चल रहा है. आने वाले समय में लगातार प्याज के दाम गिरने की संभावना है. यही हालात रहे तो आने वाले समय में किसानों को बड़ा नुकसान पहुंच सकता है. हालांकि, किसान बड़ी संख्या में प्याज लगाने को तैयार हैं.

पढ़ें: 'आत्मनिर्भर भारत' मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी सोच : सांसद दीया कुमारी

प्याज की खेती बारिश पर भी निर्भर है. अगर बेहतर बारिश होती है तो अलवर में अच्छी प्याज होगी. वहीं, ज्यादा बारिश होने के कारण कर्नाटक क्षेत्र की प्याज में नमी आ जाएगी, इससे प्याज खराब हो जाती है. ऐसे में अलवर की प्याज की डिमांड ज्यादा रहेगी. व्यापारियों की मानें तो प्याज अलवर कि किसानों की अर्थव्यवस्था सुधारने का काम करती है. पिछले साल प्याज के बेहतर दाम मिले तो किसानों ने अपना कई साल पुराना कर्जा चुकाया. इससे किसान बेहतर स्थिति में आ गए, लेकिन किसान की अर्थव्यवस्था सुधारने वाली प्याज के हालात अब खराब हैं.

कोरोना ने तोड़ी किसानों की कमर...
कोरोना महामारी के चलते किसान की कमर टूटी है. कोरोना महामारी के चलते सब्जी एक राज्य से दूसरे राज्य और एक शहर से दूसरे शहर नहीं जा पाई. ऐसे में किसान को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है. आगे भी अगर इसी तरह के हालात रहे तो किसान के लिए परेशानी बढ़ सकती है.

अलवर से देशभर में सप्लाई होती है प्याज...
अलवर प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. अलवर से पाकिस्तान, नेपाल, भूटान और बांग्लादेश सहित आस-पास के कई देशों के साथ ही अपने देश के सभी राज्यों में प्याज सप्लाई होती है. सीजन के समय अलवर से प्रतिदिन करीब 300 ट्रक प्याज देश की विभिन्न मंडियों में बिकने के लिए जाता है.

कर्नाटक की प्याज पर निर्भर है अलवर की प्याज...
कर्नाटक क्षेत्र में प्याज की बहुत आवक होती है. अलवर की प्याज से कुछ समय पहले ही बाजार में कर्नाटक की प्याज आती है. अगर कर्नाटक में बेहतर किस्म की प्याज होती है तो इससे अलवर की प्याज की वैल्यू या कहें कीमत कम हो जाती है. अगर वहां बारिश होती है और वहां की प्याज में नमी आती है तो अलवर की प्याज की डिमांड बढ़ जाती है. नमी आने के बाद कर्नाटक की प्याज खराब हो जाती है. इससे उसकी बाजार में डिमांड कम रहती है.

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