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अलवर: ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर का आवंटन किया जाएगा रद्द, सैनिक स्कूल के लिए दी जाएगी जमीन - ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर का आवंटन रद्द

प्रदेश सरकार ने अलवर में जिस जमीन का आवंटन सैनिक स्कूल के लिए किया था. वो जमीन 2018 में ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर के नाम से आरक्षित है. जिसमें अभी तक इस जमीन पर सेंटर की तरफ से कोई निर्माण कार्य नहीं किया गया है. ऐसे में प्रशासन की तरफ से एग्रीकल्चर सेंटर का आवंटन रद्द किया जाएगा. इसके बाद यह जमीन अब सैनिक स्कूल को दी जाएगी. इस संबंध में जिला प्रशासन के अधिकारी सेना के अधिकारियों से बातचीत कर रहे हैं.

BRICS Agriculture Research Center
ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर का आवंटन किया जाएगा रद्द
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Published : Jan 23, 2021, 7:05 PM IST

अलवर. जयपुर में चित्तौड़गढ़ और झुंझुनू के बाद तीसरा सैनिक स्कूल अलवर जिले में खोलने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री गहलोत ने मालाखेड़ा तहसील के हल्दीना गांव में मुफ्त जमीन आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद जमीन आवंटन प्रक्रिया शुरू हुई.

ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर का आवंटन किया जाएगा रद्द

इस दौरान पता चला कि जमीन ब्रिक्स रिसर्च सेंटर के नाम आरक्षित है. बता दें कि साल 2018 में ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर के नाम जमीन आरक्षित की गई थी. बकायदा इस जमीन की जमाबंदी में ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर के नाम का नोट दर्ज है. इसके अलावा हल्दीना के 884 खातों की करीब 23 हेक्टेयर जमीन ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर के नाम आरक्षित है.

ऐसे में साफ है कि सरकार ने इतना बड़ा फैसला लिया है लेकिन पहले से आरक्षित जमीन का आरक्षण रद्द नहीं किया गया. अब अलवर जिला प्रशासन जमीन का आरक्षण रद्द करने की तैयारी कर रही है. उसके बाद यह जमीन सैनिक स्कूल के लिए सेना को दी जाएगी. इस संबंध में सेना के अधिकारियों से बातचीत की जा रही है. वहीं, अलवर में सैनिक स्कूल खोलने में सरकारी सिस्टम की ढिलाई सामने आई राज्य सरकार ने अक्टूबर 2013 में रक्षा मंत्रालय के साथ जिले में सैनिक स्कूल सोसायटी नई दिल्ली की ओर से संचालित सैनिक स्कूल खोलने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे.

पढ़ें: सुभाष चंद्र बोस युगपुरुष, महानायक थे, उनकी कथनी-करनी में कोई अंतर नहीं था: राज्यपाल कलराज मिश्र

जिसके तहत राज्य सरकार की ओर से मुफ्त आवंटन किया जाना था. जून 2015 में अलवर जिला कलेक्टर ने सैनिक स्कूल के लिए गांव हल्दीना में 23.59 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की थी. जिसमें 2015 के बाद से अब तक जमीन आवंटन की पूरी प्रक्रिया लटक गई. 2015 के बाद तेजी दिखाई जाती, तो अब तक अलवर में सैनिक स्कूल बन सकता था. साल 2013 में हल्दीना कि यह जमीन सैनिक स्कूल के लिए आरक्षित की गई है. लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद जुलाई 2018 में यह जमीन सैनिक स्कूल की बजाय ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर को दे दी गई.

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारे में विपक्ष सरकार को घेरने में लगी है, तो वहीं कई तरह की चर्चाएं शुरू हुई है. ऐसे में अलवर जिला प्रशासन ने कहा ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर का आवंटन रद्द किया जाएगा और जमीन सैनिक स्कूल के लिए सेना को दी जाएगी. प्रशासन के अधिकारियों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि अगर जमीन आवंटन के बाद एक, दो साल तक उस पर कोई निर्माण नहीं होता है, तो सरकार आवंटन रद्द कर सकती है. इसी नियम के तहत आवंटन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

अलवर. जयपुर में चित्तौड़गढ़ और झुंझुनू के बाद तीसरा सैनिक स्कूल अलवर जिले में खोलने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री गहलोत ने मालाखेड़ा तहसील के हल्दीना गांव में मुफ्त जमीन आवंटित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी. मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद जमीन आवंटन प्रक्रिया शुरू हुई.

ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर का आवंटन किया जाएगा रद्द

इस दौरान पता चला कि जमीन ब्रिक्स रिसर्च सेंटर के नाम आरक्षित है. बता दें कि साल 2018 में ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर के नाम जमीन आरक्षित की गई थी. बकायदा इस जमीन की जमाबंदी में ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर के नाम का नोट दर्ज है. इसके अलावा हल्दीना के 884 खातों की करीब 23 हेक्टेयर जमीन ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर के नाम आरक्षित है.

ऐसे में साफ है कि सरकार ने इतना बड़ा फैसला लिया है लेकिन पहले से आरक्षित जमीन का आरक्षण रद्द नहीं किया गया. अब अलवर जिला प्रशासन जमीन का आरक्षण रद्द करने की तैयारी कर रही है. उसके बाद यह जमीन सैनिक स्कूल के लिए सेना को दी जाएगी. इस संबंध में सेना के अधिकारियों से बातचीत की जा रही है. वहीं, अलवर में सैनिक स्कूल खोलने में सरकारी सिस्टम की ढिलाई सामने आई राज्य सरकार ने अक्टूबर 2013 में रक्षा मंत्रालय के साथ जिले में सैनिक स्कूल सोसायटी नई दिल्ली की ओर से संचालित सैनिक स्कूल खोलने के लिए एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए थे.

पढ़ें: सुभाष चंद्र बोस युगपुरुष, महानायक थे, उनकी कथनी-करनी में कोई अंतर नहीं था: राज्यपाल कलराज मिश्र

जिसके तहत राज्य सरकार की ओर से मुफ्त आवंटन किया जाना था. जून 2015 में अलवर जिला कलेक्टर ने सैनिक स्कूल के लिए गांव हल्दीना में 23.59 हेक्टेयर जमीन चिन्हित की थी. जिसमें 2015 के बाद से अब तक जमीन आवंटन की पूरी प्रक्रिया लटक गई. 2015 के बाद तेजी दिखाई जाती, तो अब तक अलवर में सैनिक स्कूल बन सकता था. साल 2013 में हल्दीना कि यह जमीन सैनिक स्कूल के लिए आरक्षित की गई है. लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद जुलाई 2018 में यह जमीन सैनिक स्कूल की बजाय ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर को दे दी गई.

मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद राजनीतिक गलियारे में विपक्ष सरकार को घेरने में लगी है, तो वहीं कई तरह की चर्चाएं शुरू हुई है. ऐसे में अलवर जिला प्रशासन ने कहा ब्रिक्स एग्रीकल्चर रिसर्च सेंटर का आवंटन रद्द किया जाएगा और जमीन सैनिक स्कूल के लिए सेना को दी जाएगी. प्रशासन के अधिकारियों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि अगर जमीन आवंटन के बाद एक, दो साल तक उस पर कोई निर्माण नहीं होता है, तो सरकार आवंटन रद्द कर सकती है. इसी नियम के तहत आवंटन रद्द करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

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