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अलवर में प्याज की 60 फीसदी फसल खराब, बची हुई 40 फीसदी को लगे दाग... किसना परेशान, नहीं मिल रहे अच्छे दाम

प्याज की देश की दूसरी सबसे बड़ी मंडी अलवर में आवक शुरू हो गई है. इस साल ज्यादा बारिश होने के कारण प्याज में नमी आ गई जिससे उसमें दाग लग गया है. इसके चलते बीते सालों की तुलना में इस बार किसान को प्याज के दाम भी कम मिल रहे हैं.

Onion production in Alwar
Onion production in Alwar
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Published : Nov 13, 2021, 8:44 PM IST

अलवर. महाराष्ट्र के नासिक के बाद अलवर प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. इस बार अलवर व आसपास क्षेत्र में ज्यादा बारिश होने के कारण प्याज में नमी आ गई थी. प्याज में जलेबी रोग लग गया था. किसानों की हजारों बीघा प्याज खराब हो गई. जिले में 60 प्रतिशत प्याज खराब हो चुकी है. केवल 40 प्रतिशत ब्याज बची हुई है. इस 40 फीसदी में भी दाग लग गया है. इस वजह से किसान को प्याज के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं. प्याज में नमी होने के कारण इसकी सप्लाई दूरस्थ राज्यों को नहीं की जाकर केवल आसपास के राज्यों में की जा रही है.

इसलिए प्याज में लगा दाग

इस बार ज्यादा बारिश होने के कारण प्याज में नमी आ गई. जिसके चलते प्याज में जलेबी लोग लग गया. क्योंकि अलवर की ज्यादातर कृषि भूमि की मिट्टी चिकनी है व इसमें नमी बनी रहती है. इस साल लगातार रुक-रुक कर बारिश हो रही थी जिसके चलते प्याज की फसल में नमी आ गई व प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था.

प्याज में लगा दाग, किसान परेशान

पढ़ें: Air Pollution: दो दिन से गैस चैंबर बना अलवर, दिखा दिल्ली के स्मॉग का असर

प्याज की आवक और भाव

अलवर मंडी में इस समय 35 से 40 हजार कट्टे प्याज की आवक हो रही है. हर साल किसान को प्याज के 30 से 35 रुपए किलो के भाव मिलते हैं. लेकिन इस बार प्याज महज 15 से 20 रुपए किलो के हिसाब से बिक रहा है. किसान को फसल की बुवाई का पैसा भी नहीं मिल रहा है. इससे किसान खासा परेशान है. कर्ज लेकर प्याज की फसल की बुवाई करने वाले किसानों को फसल खराब होने के कारण अब लागत का पैसा भी पूरा नहीं मिल पा रहा है.

नए क्षेत्रों में किसानों ने की प्याज की खेती

अभी तक राजगढ़, मालाखेड़ा, अलवर, अलवर ग्रामीण, रामगढ़, किशनगढ़ बास, तिजारा, बानसूर व आसपास क्षेत्र में प्याज की खेती होती थी. इस साल से नीमराणा, बहरोड़, शाहजहांपुर, थानागाजी सहित जिले के अन्य हिस्सों के किसानों ने भी प्याज की बुआई की है. अलवर का प्याज देश के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और आस-पास के देशों में सप्लाई होता है. अलवर का प्याज, लाल प्याज और खैरथल की प्याज के नाम से जानी जाता है. बीते कुछ सालों से किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे हैं. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व कर्नाटक में बारिश का प्रभाव ज्यादा होने के कारण अलवर की प्याज की डिमांड ज्यादा रही व किसान मालामाल हो गए.

पढ़ें: टैक्स चोरी करने वालों की पौ बारह! सरकार का दावा था कि Changeover से बदलेगी तस्वीर...लम्बे समय से System में उलझ कर रह गया वाणिज्य कर विभाग

फसल नुकसान का मिले मुआवजा

किसानों व व्यापारियों का कहना है कि सरकार को प्याज को भी अन्य फसलों में शामिल करते हुए नुकसान का मुआवजा देना चाहिए. अलवर की प्रमुख फसल प्याज का रकबा बढ़ रहा है. ज्यादा से ज्यादा किसान प्याज की खेती करने लगे हैं. साल में दो बार प्याज की खेती होती है. प्याज की फसल से किसानों के अलावा व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, मजदूर व सभी को फायदा मिलता है. किसानों के पास पैसा आता है तो वो बाजार में खर्च करते हैं. इस तरह सभी वर्ग को फायदा मिलता है. इसलिए सरकार को प्याज की फसल उगाने वाले किसानों पर ध्यान देना चाहिए. व्यापारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलकर प्याज की फसल को भी अन्य फसलों में शामिल करने की मांग करेंगे.

अलवर. महाराष्ट्र के नासिक के बाद अलवर प्याज की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है. इस बार अलवर व आसपास क्षेत्र में ज्यादा बारिश होने के कारण प्याज में नमी आ गई थी. प्याज में जलेबी रोग लग गया था. किसानों की हजारों बीघा प्याज खराब हो गई. जिले में 60 प्रतिशत प्याज खराब हो चुकी है. केवल 40 प्रतिशत ब्याज बची हुई है. इस 40 फीसदी में भी दाग लग गया है. इस वजह से किसान को प्याज के बेहतर दाम नहीं मिल रहे हैं. प्याज में नमी होने के कारण इसकी सप्लाई दूरस्थ राज्यों को नहीं की जाकर केवल आसपास के राज्यों में की जा रही है.

इसलिए प्याज में लगा दाग

इस बार ज्यादा बारिश होने के कारण प्याज में नमी आ गई. जिसके चलते प्याज में जलेबी लोग लग गया. क्योंकि अलवर की ज्यादातर कृषि भूमि की मिट्टी चिकनी है व इसमें नमी बनी रहती है. इस साल लगातार रुक-रुक कर बारिश हो रही थी जिसके चलते प्याज की फसल में नमी आ गई व प्याज की फसल में जलेबी रोग लग गया था.

प्याज में लगा दाग, किसान परेशान

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प्याज की आवक और भाव

अलवर मंडी में इस समय 35 से 40 हजार कट्टे प्याज की आवक हो रही है. हर साल किसान को प्याज के 30 से 35 रुपए किलो के भाव मिलते हैं. लेकिन इस बार प्याज महज 15 से 20 रुपए किलो के हिसाब से बिक रहा है. किसान को फसल की बुवाई का पैसा भी नहीं मिल रहा है. इससे किसान खासा परेशान है. कर्ज लेकर प्याज की फसल की बुवाई करने वाले किसानों को फसल खराब होने के कारण अब लागत का पैसा भी पूरा नहीं मिल पा रहा है.

नए क्षेत्रों में किसानों ने की प्याज की खेती

अभी तक राजगढ़, मालाखेड़ा, अलवर, अलवर ग्रामीण, रामगढ़, किशनगढ़ बास, तिजारा, बानसूर व आसपास क्षेत्र में प्याज की खेती होती थी. इस साल से नीमराणा, बहरोड़, शाहजहांपुर, थानागाजी सहित जिले के अन्य हिस्सों के किसानों ने भी प्याज की बुआई की है. अलवर का प्याज देश के अलावा पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और आस-पास के देशों में सप्लाई होता है. अलवर का प्याज, लाल प्याज और खैरथल की प्याज के नाम से जानी जाता है. बीते कुछ सालों से किसानों को प्याज के बेहतर दाम मिल रहे हैं. महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश व कर्नाटक में बारिश का प्रभाव ज्यादा होने के कारण अलवर की प्याज की डिमांड ज्यादा रही व किसान मालामाल हो गए.

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फसल नुकसान का मिले मुआवजा

किसानों व व्यापारियों का कहना है कि सरकार को प्याज को भी अन्य फसलों में शामिल करते हुए नुकसान का मुआवजा देना चाहिए. अलवर की प्रमुख फसल प्याज का रकबा बढ़ रहा है. ज्यादा से ज्यादा किसान प्याज की खेती करने लगे हैं. साल में दो बार प्याज की खेती होती है. प्याज की फसल से किसानों के अलावा व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, मजदूर व सभी को फायदा मिलता है. किसानों के पास पैसा आता है तो वो बाजार में खर्च करते हैं. इस तरह सभी वर्ग को फायदा मिलता है. इसलिए सरकार को प्याज की फसल उगाने वाले किसानों पर ध्यान देना चाहिए. व्यापारियों ने कहा कि मुख्यमंत्री से मिलकर प्याज की फसल को भी अन्य फसलों में शामिल करने की मांग करेंगे.

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