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राजस्थान का ऐसा अनोखा गांव देवमाली...जहां आज भी कच्चे मकान में रहते हैं लोग, कोई नहीं पीता शराब

21वीं सदी में राजस्थान में एक ऐसा गांव है जहां आज भी कच्चे मकान हैं. जहां सदियों से कोई पक्का मकान नहीं बना. यहां ना कोई शराब पीता है और ना कोई जुआ, सट्टा या किसी व्यसन का आदी है. 300 परिवारों वाले इस गांव को गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण की कर्म स्थली के रूप में जाना जाता है. यहां के मंदिर के प्रति गुर्जर समाज की एक अनोखी आस्‍था है.

अजमेर में बहुत अनोखा गांव देवमाली
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Published : Jul 8, 2019, 5:34 PM IST

अजमेर. जिले के मसूदा पंचायत समिति का देवमाली गांव अनोखा गांव है. जहां पूरे गांव में एक नहीं 300 परिवार रहते हैं. जहां तमाम कच्चे मकान बने हुए हैं और पूरा गांव व्यसन मुक्त है. वहीं यहां तक कि जहां प्रदेश में छोटी-छोटी बात को लेकर भूमि विवाद उत्पन्न होता है. यहां तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम है. इस गांव के लोगों का मानना है कि जो भी पक्का घर बनाएगा उसे मुसीबतों का सामना करना होगा.

गांव में रहती हैं 1500 से 2000 की आबादी
300 परिवार की बस्ती की जनसंख्या लगभग 1500 से 2000 की जनसंख्या वाले गांव में निवास करते है. ऐसी मान्यता है की गांव के पूर्वज के वचनों के कारण गांव में चार चीजों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. कच्चा मकान, शराब, मांस और सेवन नहीं करना, साथ ही केरोसिन का उपयोग नहीं करने के वचन पर गांव वाले प्रतिबंध है. गांव में बिजली चले जाने पर मिट्टी के तेल यानी केरोसिन का उपयोग नहीं किया जाता है और तिल्ली के तेल से दीपक जलाया जाता है.

गांव की सारी जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित
देवमाली गांव में लावड़ा गोत्र के गुर्जर समाज के लोग रहते हैं. गांव में गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण का मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है. साथ ही पूरे गांव में एक ही गोत्र के लोग रहते हैं जिसके कारण वह भगवान देवनारायण की पूजा करते हैं. जहां उनको पुजारी माना जाता है. गांव की तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित है.

घर में तमाम सुविधा उपलब्ध...पर घर कच्चा
गांव की लगभग 25 वर्ष तक सरपंच रही भागी देवी गुर्जर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पूरे गांव में हमारी पौराणिक मान्यता व देवनारायण भगवान की आस्था के होने के कारण हम मिट्टी व पत्थर से कच्चा मकान बनाते है और उनमें रहते है. इस गांव के संपन्न लोग भी मिट्टी के बने कच्चे घरों में ही रहते हैं. इनका मानना है कि पक्की छत बनाने से गांव में आपदा आ सकती हैं. घर में तमाम सुविधा उपलब्ध है. लेकिन मकान जरूर कच्चे हैं. घर में टीवी, फ्रिज, कूलर और महंगी लग्जरी गाड़ियां उपलब्ध होते हुए भी कच्चे मकान बने हुए हैं. यहां तक कि इस गांव से पलायन के बाद दूसरे गांव में रहते हैं तभी वहां भी कच्चा मकान बनाकर ही रहते हैं.

अजमेर में बहुत अनोखा गांव देवमाली

गांव में सब हैं शाकाहारी
वहीं गांव के लक्ष्मण गुर्जर ने कहा कि हमारे गांव में कोई भी युवा व्यसन नहीं करता है. यहां तक कि गांव में शराब व नॉनवेज किसी प्रकार का व्यसन नहीं करते है न दुकान है. पूरे गांव में जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित है और जमीन जब भी हम बेचते हैं तो स्टांप के जरिए ही खरीदा और बेचा जाता है. जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित होने के कारण हमारे को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है. यहां तक कि किसान क्रेडिट कार्ड , फसली ऋण व छूट का मुआवजा भी हमारे को नहीं मिलता है. हमारी मांग है कि सरकार इन जमीन को मंदिर के पुजारी के नाम से हटाकर सभी खातेदारों के नाम कर दें तो निश्चित रूप से सरकारी योजनाओं का हम ग्राम वासियों को लाभ मिलने लग जाएगा.

सरकारी बिल्डिंग के अलावा सभी मकान कच्चे
वहीं मंदिर के पुजारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भगवान में आस्था होने के कारण तमाम मकान कच्चे बने हुए हैं. यहां भाद्रपद मास में मेला लगता है और राजस्थान के कई जिलों से पैदल दर्शनार्थी पहुंचते हैं. लेकिन अभी तक जमीन भगवान के नाम दर्ज है. यहां सरकारी बिल्डिंग के अलावा सभी मकान कच्चे बने हुए हैं. गांव में पानी का टैंक हम नहीं बनाते हैं सिर्फ प्लास्टिक के डिब्बों में ही पानी एकत्रित रखते हैं.

सरकारी योजनाओं का ग्रामवासियों को नहीं मिल रहा लाभ
वहीं ग्राम पंचायत देवमाली के सचिव बिरदी चंद शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे पूरे पूरे गांव में कच्चे मकान बने हुए हैं. जो देवमाली की शरण में जितने परिवार रहते है. कच्चे मकान बनाकर रहते है. गांव में सरकारी बिल्डिंग पक्की बनी हुई है. यहां तक कि शौचालय भी कच्चे बने हुए हैं. हमारे को सरकार से ऑर्डर प्राप्त हुआ है जिसके कारण हम इनको शौचालय पर अनुदान के रूप में प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव में दो मकान बने और दोनों का निर्माण हुआ. लोगों की जमीन खुद के नाम नहीं होने के कारण इनको तमाम सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.

अजमेर. जिले के मसूदा पंचायत समिति का देवमाली गांव अनोखा गांव है. जहां पूरे गांव में एक नहीं 300 परिवार रहते हैं. जहां तमाम कच्चे मकान बने हुए हैं और पूरा गांव व्यसन मुक्त है. वहीं यहां तक कि जहां प्रदेश में छोटी-छोटी बात को लेकर भूमि विवाद उत्पन्न होता है. यहां तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम है. इस गांव के लोगों का मानना है कि जो भी पक्का घर बनाएगा उसे मुसीबतों का सामना करना होगा.

गांव में रहती हैं 1500 से 2000 की आबादी
300 परिवार की बस्ती की जनसंख्या लगभग 1500 से 2000 की जनसंख्या वाले गांव में निवास करते है. ऐसी मान्यता है की गांव के पूर्वज के वचनों के कारण गांव में चार चीजों पर प्रतिबंध लगा हुआ है. कच्चा मकान, शराब, मांस और सेवन नहीं करना, साथ ही केरोसिन का उपयोग नहीं करने के वचन पर गांव वाले प्रतिबंध है. गांव में बिजली चले जाने पर मिट्टी के तेल यानी केरोसिन का उपयोग नहीं किया जाता है और तिल्ली के तेल से दीपक जलाया जाता है.

गांव की सारी जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित
देवमाली गांव में लावड़ा गोत्र के गुर्जर समाज के लोग रहते हैं. गांव में गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण का मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है. साथ ही पूरे गांव में एक ही गोत्र के लोग रहते हैं जिसके कारण वह भगवान देवनारायण की पूजा करते हैं. जहां उनको पुजारी माना जाता है. गांव की तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित है.

घर में तमाम सुविधा उपलब्ध...पर घर कच्चा
गांव की लगभग 25 वर्ष तक सरपंच रही भागी देवी गुर्जर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पूरे गांव में हमारी पौराणिक मान्यता व देवनारायण भगवान की आस्था के होने के कारण हम मिट्टी व पत्थर से कच्चा मकान बनाते है और उनमें रहते है. इस गांव के संपन्न लोग भी मिट्टी के बने कच्चे घरों में ही रहते हैं. इनका मानना है कि पक्की छत बनाने से गांव में आपदा आ सकती हैं. घर में तमाम सुविधा उपलब्ध है. लेकिन मकान जरूर कच्चे हैं. घर में टीवी, फ्रिज, कूलर और महंगी लग्जरी गाड़ियां उपलब्ध होते हुए भी कच्चे मकान बने हुए हैं. यहां तक कि इस गांव से पलायन के बाद दूसरे गांव में रहते हैं तभी वहां भी कच्चा मकान बनाकर ही रहते हैं.

अजमेर में बहुत अनोखा गांव देवमाली

गांव में सब हैं शाकाहारी
वहीं गांव के लक्ष्मण गुर्जर ने कहा कि हमारे गांव में कोई भी युवा व्यसन नहीं करता है. यहां तक कि गांव में शराब व नॉनवेज किसी प्रकार का व्यसन नहीं करते है न दुकान है. पूरे गांव में जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित है और जमीन जब भी हम बेचते हैं तो स्टांप के जरिए ही खरीदा और बेचा जाता है. जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित होने के कारण हमारे को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है. यहां तक कि किसान क्रेडिट कार्ड , फसली ऋण व छूट का मुआवजा भी हमारे को नहीं मिलता है. हमारी मांग है कि सरकार इन जमीन को मंदिर के पुजारी के नाम से हटाकर सभी खातेदारों के नाम कर दें तो निश्चित रूप से सरकारी योजनाओं का हम ग्राम वासियों को लाभ मिलने लग जाएगा.

सरकारी बिल्डिंग के अलावा सभी मकान कच्चे
वहीं मंदिर के पुजारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भगवान में आस्था होने के कारण तमाम मकान कच्चे बने हुए हैं. यहां भाद्रपद मास में मेला लगता है और राजस्थान के कई जिलों से पैदल दर्शनार्थी पहुंचते हैं. लेकिन अभी तक जमीन भगवान के नाम दर्ज है. यहां सरकारी बिल्डिंग के अलावा सभी मकान कच्चे बने हुए हैं. गांव में पानी का टैंक हम नहीं बनाते हैं सिर्फ प्लास्टिक के डिब्बों में ही पानी एकत्रित रखते हैं.

सरकारी योजनाओं का ग्रामवासियों को नहीं मिल रहा लाभ
वहीं ग्राम पंचायत देवमाली के सचिव बिरदी चंद शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे पूरे पूरे गांव में कच्चे मकान बने हुए हैं. जो देवमाली की शरण में जितने परिवार रहते है. कच्चे मकान बनाकर रहते है. गांव में सरकारी बिल्डिंग पक्की बनी हुई है. यहां तक कि शौचालय भी कच्चे बने हुए हैं. हमारे को सरकार से ऑर्डर प्राप्त हुआ है जिसके कारण हम इनको शौचालय पर अनुदान के रूप में प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव में दो मकान बने और दोनों का निर्माण हुआ. लोगों की जमीन खुद के नाम नहीं होने के कारण इनको तमाम सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है.

Intro:अजमेर- 21वीं सदी में भी अजमेर जिले के मसूदा पंचायत समिति के देवमाली गांव अनोखा गांव दिखाई दे रहा है । जहां पूरे गांव में एक नहीं 300 परिवार रहते हैं जहां तमाम कच्चे मकान बने हुए हैं और पूरा गांव व्यसन मुक्त है। वही यहां तक कि जहां प्रदेश में छोटी-छोटी बात को लेकर भूमि विवाद उत्पन्न होता है यहां तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम है जिनके कारण इनको सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं यहां तक कि प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत बने शौचालय भी कच्चे बने हुए हैं।


Body:अजमेर जिले के मसूदा पंचायत समिति का देवमाली गांव एक अनूठा गांव है जहां गुर्जर समाज के लगभग 300 परिवार रहते हैं। जो एक ही गोत्र में एक ही जाति के होने के कारण भगवान देवनारायण भगवान की आस्था के कारण पूरे गांव में कच्चे मकान बने हुए हैं। यहां तक कि प्रधानमंत्री आवास योजना में प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत गांव में जितने भी शौचालय बने हुए हैं जिनका निर्माण भी मिट्टी व पत्थर से हुआ है।

300 परिवार की बस्ती की जनसंख्या लगभग 1500 से 2000 की जनसंख्या वाले गांव में निवास करते है । ऐसी मान्यता है की गांव के पूर्वज के वचनों के कारण गांव में चार चीजों पर प्रतिबंध लगा हुआ है। कच्चा मकान ,दश शराब का सेवन नहीं , मांस का सेवन नहीं व केरोसिन का उपयोग नहीं करने के वचन पर गांव वाले प्रतिबंध है । देवमाली गांव में लावड़ा गोत्र के गुर्जर समाज के लोग रहते हैं। गांव में गुर्जर समाज के आराध्य देव भगवान देवनारायण का मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है। जिनकी तलेटी में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के पिता स्वर्गीय श्री राजेश पायलट की प्रतिमा लगी हुई है। साथ ही पूरे गांव में एक ही गोत्र के लोग रहते हैं जिसके कारण वह भगवान देवनारायण की पूजा करते हैं। जहां उनको पुजारी माना जाता है । गांव की तमाम जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित है।

गांव की लगभग 25 वर्ष तक सरपंच रही भागी देवी गुर्जर ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पूरे गांव में हमारी पौराणिक मान्यता व देवनारायण भगवान की आस्ता के होने के कारण हम मिट्टी व पत्थर से कच्चा मकान बनाते है व उनमे रहते है । घर में तमाम सुविधा उपलब्ध है लेकिन मकान जरूर कच्चे हैं घर में टीवी , फ्रिज , कूलर और महंगी लग्जरी गाड़ियां उपलब्ध होते हुए भी कच्चे मकान बने हुए हैं। यहां तक कि इस गांव से पलायन के बाद दूसरे गांव में रहते हैं तभी वहां भी कच्चा मकान बनाकर ही रहते हैं ।

वही गांव के लक्ष्मण गुर्जर ने कहा कि हमारे गांव में कोई भी युवा व्यसन नहीं करता है। यहां तक कि गांव मे शराब व नॉनवेज किसी प्रकार का व्यसन नहीं करते है न दुकान है । पूरे गांव में जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित है और जमीन जब भी हम बेचते हैं तो स्टांप के जरिए ही खरीदा और बेचा जाता है। जमीन भगवान देवनारायण के नाम अंकित होने के कारण हमारे को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिलता है। यहां तक कि किसान क्रेडिट कार्ड , फसली ऋण व छूट का मुआवजा भी हमारे को नहीं मिलता है हमारी मांग है कि सरकार इन जमीन को मंदिर के पुजारी के नाम से हटाकर सभी खातेदारों के नाम कर दें तो निश्चित रूप से सरकारी योजनाओं का हम ग्राम वासियों को लाभ मिलने लग जाएगा । गांव मैं बिजली चले जाने पर मिट्टी के तेल यानी केरोसिन का उपयोग नहीं किया जाता है और तिल्ली के तेल से दीपक जलाया जाता है ।

वहीं मंदिर के पुजारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि भगवान में आस्था होने के कारण तमाम मकान कच्चे बने हुए हैं । यहां भाद्रपद मास में मेला लगता है और राजस्थान के कई जिलों से पैदल दर्शनार्थी पहुंचते हैं। लेकिन अभी तक जमीन भगवान के नाम दर्ज है यहा सरकारी बिल्डिंग के अलावा सभी मकान कच्चे बने हुए हैं । गांव में पानी का टैंक हम नहीं बनाते हैं सिर्फ प्लास्टिक के डिब्बों में ही पानी एकत्रित रखते हैं ।

वही ग्राम पंचायत देवमाली के सचिव विरदी चंद शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हमारे पूरे पूरे गांव में कच्चे मकान बने हुए हैं । जो देवमाली की शरद में जितने परिवार रहते है कच्चे मकान बनाकर रहते है । गांव मे सरकारी बिल्डिंग पक्की बनी हुई है । यहां तक कि शौचालय भी कच्चे बने हुए हैं। हमारे को सरकार से ऑर्डर प्राप्त हुआ है जिसके कारण हम इनको शौचालय पर अनुदान के रूप में प्रोत्साहन राशि दे रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांव में दो मकान बने और दोनों का निर्माण हुआ। लोगों की जमीन खुद के नाम नहीं होने के कारण इनको तमाम सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा है।

अब देखना यह होगा कि भगवान देवनारायण भगवान की आस्था के इस अनूठे गांव में गहलोत सरकार अब जो बजट पेश करने जा रही है जिसमें देवमाली गांव वासियों की पीड़ा को सुनते हुए इनके मंदिर के पुजारी के नाम से जमीन काश्तकारों के नाम करती है जिससे इन देवमाली के ग्राम वासियों की जमीन अपने नाम हो सके और इनको सरकारी सुविधाओं का लाभ मिल सकें।

पीटीसी ओपनिंग- सोमदत त्रिपाठी

बाईट- भागी देवी , पूर्व संरपच देवमाली

ग्रामीण

मन्दिर पुजारी

बिरदी चन्द शर्मा, ग्राम सचिव , देवमाली , मसूदा , अजमेर




Conclusion:
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