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Chandra Grahan 2022: पुष्कर मेले के अंतिम दिन चंद्र ग्रहण का असर, ब्रह्मा मंदिर समेत सभी मंदिरों के कपाट रहे बंद - etv bharatpur Rajasthan news

अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले का मंगलवार को अंतिम दिन है. मेले के अंतिम दिन पूर्णिमा (last day of Pushkar Fair 2022) का महास्नान होता है. खंडग्रास चंद्रग्रहण की वजह से श्रद्धालु दिन में महास्नान नहीं कर पाए हैं.

last day of Pushkar Fair 2022
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Published : Nov 8, 2022, 3:34 PM IST

Updated : Nov 8, 2022, 5:49 PM IST

अजमेर. अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले का मंगलवार को अंतिम दिन (last day of Pushkar Fair 2022) है. खंडग्रास चंद्रग्रहण ने मेले के अंतिम दिन को प्रभावित कर दिया है. मेले के अंतिम दिन पूर्णिमा का महास्नान होता है. लेकिन चन्द्र ग्रहण की वजह से सुबह 5:53 पर सूतक लगने से ना तो श्रद्धालु सरोवर में पूर्णिमा का स्नान कर पाए हैं और ना ही जगतपिता ब्रह्मा के अलावा पुष्कर के सभी छोटे बड़े मंदिरों के दर्शन कर पाए हैं.

बताया जा रहा है कि देर शाम 6:30 के बाद लोग सरोवर में (Maha snan in Pushkar) महास्नान करेंगे. इसलिए घाटों पर जहां कार्तिक पूर्णिमा पर महास्नान के लिए लाखों लोग जुटते थे. लेकिन ग्रहण के कारण 10 से 12 हजार लोग ही स्नान करने पहुंचे. कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण होने से पुष्कर मेले पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है. मेले के अंतिम दिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन करीब 2 लाख से अधिक लोग पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर महा स्नान करते हैं. वहीं देश के कोने-कोने से आए साधु संत भी महास्नान में शामिल होते हैं.

लेकिन इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर चंन्द्र ग्रहण होने से 10 से 12 हजार लोग ही स्नान के लिए घाटों पर पहुंचे. घाटों पर रातभर से सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. दरअसल सूतक सुबह 5:53 मिनट से शुरू हुआ था. ऐसे में कई धर्म परायण लोगों ने तड़के सूतक से पहले ही आस्था की डुबकी सरोवर में लगा ली. कुछ लोगों ने पूर्णिमा को एक दिन पहले मानकर स्नान कर लिया. बता दें कि पुष्कर मेले के 5 दिवसीय धार्मिक मेले में ब्रह्म चौदस और कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक रहती है.

पढ़ें. Kartik Purnima 2022: राक्षसों के संहार को भगवान विष्णु व शिव ने लिए अवतार, जानें कार्तिक पूर्णिमा पर महात्म्य की कथा

ब्रह्मा मंदिर समेत सभी छोटे बड़े मंदिर के कपाट हैं बंदः कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए 1 दिन पहले से ही श्रद्धालुओं की आवक पुष्कर में बढ़ गई है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन भी श्रद्धालु पुष्कर पहुंच रहे हैं. लेकिन ज्यादातर श्रद्धालु ग्रहण समाप्ति का इंतजार (Mandir remained closed due to lunar eclipse) कर रहे हैं. इसके बाद सरोवर में महा स्नान करके पूजा अर्चना करने के बाद वे जगत् पिता ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करेंगे. सुबह 5:53 बजे से विश्व का एकमात्र जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर समेत पुष्कर के सभी प्रमुख और छोटे-बड़े मंदिरों के कपाट ग्रहण का सुतक लगने से बंद कर दिए गए. शाम को ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिरों में शुद्धिकरण करने के बाद ही कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले जाएंगे. यही वजह है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु ग्रहण समाप्ति का इंतजार कर रहे हैं.

सूतक के समय से ग्रहण समाप्ति तक स्नान का नहीं है महत्वः सूतक से ग्रहण समाप्ति तक पुष्कर सरोवर में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने का कोई धार्मिक महत्व नहीं है. लोग अपनी इच्छा से स्नान कर सकते हैं, लेकिन यह महा स्नान नहीं माना जाएगा. लेकिन पुष्कर आए कई लोगों ने सरोवर के घाटों पर पहुंचकर स्नान किया. इनमें से ज्यादात्तर लोग ग्रहण समाप्ति के बाद दोबारा स्नान करेंगे.

शादियों पर भी असरः देवउठनी एकादशी से शादियों का सीजन शुरू हो (kartik purnima bath in Pushkar) चुका है. पुष्कर और अजमेर में इस सीजन में 400 शादियां होंगी. कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होने से आज के दिन होने वाली शादियों पर भी असर पड़ा है. ग्रहण में मांगलिक कार्य निषेध माने गए हैं. ऐसे में ग्रहण के बाद ही मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

चन्द्रभागा में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकीः झालावाड़ जिले के झालरापाटन में प्रतिवर्ष लगने वाले राज्य स्तरीय चंद्रभागा मेले में मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने चंद्रभागा नदी में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए पुलिस कर्मी तैनात रहे. जिले की एसडीआरएफ की टीमों की ओर से भी नदी में नौकाओं से लगातार निगरानी रखी गई.

कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए न केवल झालावाड़ जिला, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों व सीमावर्ती मध्यप्रदेश से भी श्रद्धालु चंद्रभागा नदी में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे. सूर्य को अर्घ देकर पूजा अर्चना करते हुए कार्तिक पूर्णिमा का स्नान किया. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजीलाल मीणा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दौरान पुलिस विभाग द्वारा माकूल व्यवस्थाएं की गई हैं. महिला सुरक्षा सहित नदी किनारे हादसों को रोकने के लिए भी अतिरिक्त महिला व पुलिस कांस्टेबल को लगाया गया है. वहीं, एसडीआरएफ की टीमों की ओर से भी बोट से चक्कर लगाकर निगरानी रखी जा रही है.

भीलवाड़ा में विशाल मेले का आयोजन : भीलवाड़ा जिले की फुलिया कला उपखंड क्षेत्र में मानसी व खारी नदी के संगम पर धानेश्वर तीर्थ स्थल है जहां कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है. इस संगम पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. धानेश्वर में सभी समाजों के करीब 22 मंदिर और धर्मशालाएं स्थित हैं. प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर यहां मेले का आयोजन होता है. जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर क्षेत्र की महिलाएं 5 दिन तक व्रत उपवास रखती हैं. जिन्हें स्थानीय भाषा में पचतिरथियां कहा जाता है. जिसके समापन पर धानेश्वर संगम पर पहुंचकर दीप दान करती हैं.

अजमेर. अंतर्राष्ट्रीय पुष्कर मेले का मंगलवार को अंतिम दिन (last day of Pushkar Fair 2022) है. खंडग्रास चंद्रग्रहण ने मेले के अंतिम दिन को प्रभावित कर दिया है. मेले के अंतिम दिन पूर्णिमा का महास्नान होता है. लेकिन चन्द्र ग्रहण की वजह से सुबह 5:53 पर सूतक लगने से ना तो श्रद्धालु सरोवर में पूर्णिमा का स्नान कर पाए हैं और ना ही जगतपिता ब्रह्मा के अलावा पुष्कर के सभी छोटे बड़े मंदिरों के दर्शन कर पाए हैं.

बताया जा रहा है कि देर शाम 6:30 के बाद लोग सरोवर में (Maha snan in Pushkar) महास्नान करेंगे. इसलिए घाटों पर जहां कार्तिक पूर्णिमा पर महास्नान के लिए लाखों लोग जुटते थे. लेकिन ग्रहण के कारण 10 से 12 हजार लोग ही स्नान करने पहुंचे. कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण होने से पुष्कर मेले पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है. मेले के अंतिम दिन कार्तिक पूर्णिमा के दिन करीब 2 लाख से अधिक लोग पुष्कर सरोवर के 52 घाटों पर महा स्नान करते हैं. वहीं देश के कोने-कोने से आए साधु संत भी महास्नान में शामिल होते हैं.

लेकिन इस बार कार्तिक पूर्णिमा पर चंन्द्र ग्रहण होने से 10 से 12 हजार लोग ही स्नान के लिए घाटों पर पहुंचे. घाटों पर रातभर से सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे. दरअसल सूतक सुबह 5:53 मिनट से शुरू हुआ था. ऐसे में कई धर्म परायण लोगों ने तड़के सूतक से पहले ही आस्था की डुबकी सरोवर में लगा ली. कुछ लोगों ने पूर्णिमा को एक दिन पहले मानकर स्नान कर लिया. बता दें कि पुष्कर मेले के 5 दिवसीय धार्मिक मेले में ब्रह्म चौदस और कार्तिक पूर्णिमा पर श्रद्धालुओं की भीड़ अधिक रहती है.

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ब्रह्मा मंदिर समेत सभी छोटे बड़े मंदिर के कपाट हैं बंदः कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के लिए 1 दिन पहले से ही श्रद्धालुओं की आवक पुष्कर में बढ़ गई है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन भी श्रद्धालु पुष्कर पहुंच रहे हैं. लेकिन ज्यादातर श्रद्धालु ग्रहण समाप्ति का इंतजार (Mandir remained closed due to lunar eclipse) कर रहे हैं. इसके बाद सरोवर में महा स्नान करके पूजा अर्चना करने के बाद वे जगत् पिता ब्रह्मा मंदिर में दर्शन करेंगे. सुबह 5:53 बजे से विश्व का एकमात्र जगतपिता ब्रह्मा का मंदिर समेत पुष्कर के सभी प्रमुख और छोटे-बड़े मंदिरों के कपाट ग्रहण का सुतक लगने से बंद कर दिए गए. शाम को ग्रहण समाप्ति के बाद मंदिरों में शुद्धिकरण करने के बाद ही कपाट श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोले जाएंगे. यही वजह है कि बड़ी संख्या में श्रद्धालु ग्रहण समाप्ति का इंतजार कर रहे हैं.

सूतक के समय से ग्रहण समाप्ति तक स्नान का नहीं है महत्वः सूतक से ग्रहण समाप्ति तक पुष्कर सरोवर में कार्तिक पूर्णिमा पर स्नान करने का कोई धार्मिक महत्व नहीं है. लोग अपनी इच्छा से स्नान कर सकते हैं, लेकिन यह महा स्नान नहीं माना जाएगा. लेकिन पुष्कर आए कई लोगों ने सरोवर के घाटों पर पहुंचकर स्नान किया. इनमें से ज्यादात्तर लोग ग्रहण समाप्ति के बाद दोबारा स्नान करेंगे.

शादियों पर भी असरः देवउठनी एकादशी से शादियों का सीजन शुरू हो (kartik purnima bath in Pushkar) चुका है. पुष्कर और अजमेर में इस सीजन में 400 शादियां होंगी. कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होने से आज के दिन होने वाली शादियों पर भी असर पड़ा है. ग्रहण में मांगलिक कार्य निषेध माने गए हैं. ऐसे में ग्रहण के बाद ही मांगलिक कार्य शुरू होंगे.

चन्द्रभागा में लोगों ने लगाई आस्था की डुबकीः झालावाड़ जिले के झालरापाटन में प्रतिवर्ष लगने वाले राज्य स्तरीय चंद्रभागा मेले में मंगलवार को कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने चंद्रभागा नदी में आस्था की डुबकी लगाई. इस दौरान व्यवस्थाओं को बनाए रखने के लिए पुलिस कर्मी तैनात रहे. जिले की एसडीआरएफ की टीमों की ओर से भी नदी में नौकाओं से लगातार निगरानी रखी गई.

कार्तिक पूर्णिमा स्नान के लिए न केवल झालावाड़ जिला, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों व सीमावर्ती मध्यप्रदेश से भी श्रद्धालु चंद्रभागा नदी में आस्था की डुबकी लगाने पहुंचे. सूर्य को अर्घ देकर पूजा अर्चना करते हुए कार्तिक पूर्णिमा का स्नान किया. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चिरंजीलाल मीणा ने बताया कि कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दौरान पुलिस विभाग द्वारा माकूल व्यवस्थाएं की गई हैं. महिला सुरक्षा सहित नदी किनारे हादसों को रोकने के लिए भी अतिरिक्त महिला व पुलिस कांस्टेबल को लगाया गया है. वहीं, एसडीआरएफ की टीमों की ओर से भी बोट से चक्कर लगाकर निगरानी रखी जा रही है.

भीलवाड़ा में विशाल मेले का आयोजन : भीलवाड़ा जिले की फुलिया कला उपखंड क्षेत्र में मानसी व खारी नदी के संगम पर धानेश्वर तीर्थ स्थल है जहां कार्तिक पूर्णिमा को विशाल मेला लगता है. इस संगम पर कार्तिक पूर्णिमा के दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते हैं. धानेश्वर में सभी समाजों के करीब 22 मंदिर और धर्मशालाएं स्थित हैं. प्रतिवर्ष कार्तिक पूर्णिमा पर यहां मेले का आयोजन होता है. जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. कार्तिक पूर्णिमा पर क्षेत्र की महिलाएं 5 दिन तक व्रत उपवास रखती हैं. जिन्हें स्थानीय भाषा में पचतिरथियां कहा जाता है. जिसके समापन पर धानेश्वर संगम पर पहुंचकर दीप दान करती हैं.

Last Updated : Nov 8, 2022, 5:49 PM IST
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