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रामपाल जाट बोले- आलमारी में रखा विधयेक सदन की टेबल पर आए तो किसानों मिले उपज का उचित दाम - RAJASTHAN BUDGET 2025

बजट पर रामपाल जाट ने कहा- किसानों की आर्थिक समृद्धि हो. किसानों को उपज का उचित दाम दिलाने वाला विधेयक सदन की टेबल पर आए.

Farmers Mahapanchayat National President
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट (ETV Bharat Jaipur)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 13, 2025, 7:06 PM IST

जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार अपने पहले शासन का दूसरा पूर्ण बजट पेश करने जा रही है. 19 फरवरी पेश होने वाले इस बजट से आम और खास सभी को खासा उम्मीद है. इसी कड़ी में प्रदेश के अन्नदाता भी इस बजट से कुछ राहत भरा मिलने की उम्मीद जगा रहे हैं. किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए बजट में क्या कुछ घोषणा हो, इसको लेकर ईटीवी भारत ने किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट से खास बात की.

जाट ने कहा कि भजनलाल सरकार के बजट से अन्नदाता को बड़ी उम्मीद है. भारत सरकार के आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन विपणन (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम 2017 के आधार पर राजस्थान की ओर से वर्ष 2018 में विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया गया था, जो सरकार की अलमारी में 7 वर्ष से रखा हुआ है. ये विधेयक आलमारी से सदन की टेबल तक पहुंचे तो किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिले.

बजट पर रामपाल जाट से खास बातचीत, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

विधेयक सदन की टेबल तक पहुंचे : रामपाल जाट ने कहा कि बजट का संबंध आय एवं व्यय से होता है. आय का व्यय से अधिक होना समृद्धि का प्रतीक है. व्यक्ति जब समृद्ध होता है तो राज्य का समृद्ध होना स्वाभाविक है. राजस्थान की जनसंख्या में 72 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र की है, जिनकी आय का आधार कृषि एवं उससे संबंधित सहायक कार्य है. इस क्षेत्र में आय बढ़ोतरी का सर्वोत्तम तरीका खेत को पानी एवं फसल को दाम है. अभी तक तो इस क्षेत्र में उत्पादकों को वे दाम भी प्राप्त नहीं होते, जिसे सरकार न्यूनतम के रूप में घोषित करती है.

चालू वर्ष में राजस्थान के कुल उत्पादन का मूंग 8.19 %, मूंगफली 12.68 %, सोयाबीन 6.98 % तथा उड़द 0.018 % की खरीद 10 फरवरी 2025 तक हुई है. किसानों को अपना शेष उत्पादन घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में बेचना पड़ा, यानी उत्पादक किसानों को सोयाबीन में 892, उड़द 1400, मूंगफली 1600 से 2000 तथा मूंग 3500 रुपए प्रति क्विंटल कम प्राप्त हुआ. दूसरी ओर प्रकृति की मार से जो फसलें खराब हुईं, उनकी क्षतिपूर्ति भी किसानों को प्राप्त नहीं हुईं, जबकि इसके लिए आपदा राहत कोष के नियम राज्य एवं केंद्र ने बनाए हुए हैं. जो फसल उत्पादित हुई, उसकी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से किसानों को घाटा उठाना पड़ा. इससे राज्य की समृद्धि पर विपरीत प्रभाव आता है.

Diya Kumari and Bhajanlal Sharma
दीया कुमारी और सीएम भजनलाल (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें : बजट से उम्मीद : कर्मचारी बोले- सरकार पिटारे से ऐसा कुछ निकले कि कर्मचारियों को नहीं करना पड़े आंदोलन - RAJASTHAN BUDGET 2025

जाट ने कहा कि अर्थशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार अधिकतम उपभोक्ताओं की जेब में पैसा आने पर मांग उत्पन्न होती है, उससे नए-नए उद्योग धंधे आरंभ होते हैं. उनकी जेब में पैसा आने पर फिर मांग बढ़ती है, तब मांग एवं आपूर्ति का चक्र गतिमान होता है. उसी से अर्थव्यवस्था को पंख लगते हैं. रामपाल जाट ने कहा कि राजस्थान की समृद्धि के लिए बजट में सिंचाई परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देना जरूरी है. इसके साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में क्रय-विक्रय रोकने के लिए कानून बनाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही नीलामी बोली आरंभ हो तो किसान आर्थिक रूप से मजबूत होगा.

Paddy Crop in Jaipur Mandi
जयपुर मंडी में रखी धान की फसल (ETV Bharat Jaipur)

राजस्थान की 70 फीसदी भूमि को सिंचाई सुविधा नहीं : रामपाल जाट ने कहा कि राजस्थान की 70% से अधिक भूमि को सिंचाई की सुविधा प्राप्त नहीं है. जब सिंचाई की सुविधा प्राप्त होती है तो मिट्टी में जादू जैसा प्रभाव होता है और उत्पादन दोगुना होकर मिट्टी सोना उगलती है. राजस्थान ऐसा प्रदेश है, जिसके पास भूभाग तो संपूर्ण देश का 10% से अधिक है, लेकिन पानी लगभग एक प्रतिशत है. तब भी राजस्थान में उपलब्ध पानी का उपयोग नहीं हो पा रहा है, क्योंकि सिंचाई योजनाओं को बजट में प्राथमिकता नहीं होती है. सिंधु जल समझौते का पानी अभी भी बहकर पाकिस्तान जा रहा है. 30 वर्ष पूर्व यमुना जल का समझौता शेखावाटी को एक बूंद भी पानी नहीं दिला सका.

भरतपुर जिले में भी अभी तक पानी की प्राप्ति 20% से कम है. वर्ष 1966 में माही जल समझौते के अनुसार गुजरात के खेड़ा जिले को नर्मदा का पानी प्राप्त होने के बाद माही का संपूर्ण पानी राजस्थान को प्राप्त होना था, लेकिम संपूर्ण पानी अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. चंबल नदी से 20 हजार घन मीटर से अधिक पानी प्रतिवर्ष बहकर चला जाता है, लेकिन उस पानी के उपयोग के लिए बनी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर वर्ष 2017 में तैयार होने के उपरांत भी 8 वर्ष में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है. इसलिए सरकार अपने इस बजट में सिंचाई को प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध पूरी होने वाली महत्वपूर्ण घोषणा करे.

Diya Kumari
राजस्थान वित्त मंत्री दीया कुमारी (ETV Bharat Jaipur)

ट्रेडिशनल बजट नहीं हो : रामपाल जाट ने कहा कि अभी तो ट्रेडिशनल बजट पेश होते आ रहे हैं, किसी बजट का फोकस में सिंचाई परियोजनाएं नहीं होती है. इसलिए हम तो यह चाहेंगे कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस बजट में सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता देते हुए बजट पेश करे. सड़क, बिजली की घोषणा तो हमेशा होती है. इस बार भी हो, लेकिन किसान की समृद्धि की दिशा में सरकार कदम बढ़ाए तो विकसित राजस्थान का सपना साकार होगा. हम चाहेंगे कि नई नवेली सरकार जिसको 1 वर्ष पूरा हो चुका है, वह अपनी इच्छा शक्ति दिखाए. किसानों के लिए लाभकारी घोषणा करे.

जयपुर: प्रदेश की भजनलाल सरकार अपने पहले शासन का दूसरा पूर्ण बजट पेश करने जा रही है. 19 फरवरी पेश होने वाले इस बजट से आम और खास सभी को खासा उम्मीद है. इसी कड़ी में प्रदेश के अन्नदाता भी इस बजट से कुछ राहत भरा मिलने की उम्मीद जगा रहे हैं. किसानों की आर्थिक समृद्धि के लिए बजट में क्या कुछ घोषणा हो, इसको लेकर ईटीवी भारत ने किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट से खास बात की.

जाट ने कहा कि भजनलाल सरकार के बजट से अन्नदाता को बड़ी उम्मीद है. भारत सरकार के आदर्श कृषि उपज एवं पशुपालन विपणन (संवर्धन एवं सुविधा) अधिनियम 2017 के आधार पर राजस्थान की ओर से वर्ष 2018 में विधेयक का प्रारूप तैयार कर लिया गया था, जो सरकार की अलमारी में 7 वर्ष से रखा हुआ है. ये विधेयक आलमारी से सदन की टेबल तक पहुंचे तो किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिले.

बजट पर रामपाल जाट से खास बातचीत, सुनिए... (ETV Bharat Jaipur)

विधेयक सदन की टेबल तक पहुंचे : रामपाल जाट ने कहा कि बजट का संबंध आय एवं व्यय से होता है. आय का व्यय से अधिक होना समृद्धि का प्रतीक है. व्यक्ति जब समृद्ध होता है तो राज्य का समृद्ध होना स्वाभाविक है. राजस्थान की जनसंख्या में 72 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्र की है, जिनकी आय का आधार कृषि एवं उससे संबंधित सहायक कार्य है. इस क्षेत्र में आय बढ़ोतरी का सर्वोत्तम तरीका खेत को पानी एवं फसल को दाम है. अभी तक तो इस क्षेत्र में उत्पादकों को वे दाम भी प्राप्त नहीं होते, जिसे सरकार न्यूनतम के रूप में घोषित करती है.

चालू वर्ष में राजस्थान के कुल उत्पादन का मूंग 8.19 %, मूंगफली 12.68 %, सोयाबीन 6.98 % तथा उड़द 0.018 % की खरीद 10 फरवरी 2025 तक हुई है. किसानों को अपना शेष उत्पादन घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में बेचना पड़ा, यानी उत्पादक किसानों को सोयाबीन में 892, उड़द 1400, मूंगफली 1600 से 2000 तथा मूंग 3500 रुपए प्रति क्विंटल कम प्राप्त हुआ. दूसरी ओर प्रकृति की मार से जो फसलें खराब हुईं, उनकी क्षतिपूर्ति भी किसानों को प्राप्त नहीं हुईं, जबकि इसके लिए आपदा राहत कोष के नियम राज्य एवं केंद्र ने बनाए हुए हैं. जो फसल उत्पादित हुई, उसकी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद नहीं होने से किसानों को घाटा उठाना पड़ा. इससे राज्य की समृद्धि पर विपरीत प्रभाव आता है.

Diya Kumari and Bhajanlal Sharma
दीया कुमारी और सीएम भजनलाल (ETV Bharat Jaipur)

पढ़ें : बजट से उम्मीद : कर्मचारी बोले- सरकार पिटारे से ऐसा कुछ निकले कि कर्मचारियों को नहीं करना पड़े आंदोलन - RAJASTHAN BUDGET 2025

जाट ने कहा कि अर्थशास्त्र के सिद्धांत के अनुसार अधिकतम उपभोक्ताओं की जेब में पैसा आने पर मांग उत्पन्न होती है, उससे नए-नए उद्योग धंधे आरंभ होते हैं. उनकी जेब में पैसा आने पर फिर मांग बढ़ती है, तब मांग एवं आपूर्ति का चक्र गतिमान होता है. उसी से अर्थव्यवस्था को पंख लगते हैं. रामपाल जाट ने कहा कि राजस्थान की समृद्धि के लिए बजट में सिंचाई परियोजनाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देना जरूरी है. इसके साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों में क्रय-विक्रय रोकने के लिए कानून बनाकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से ही नीलामी बोली आरंभ हो तो किसान आर्थिक रूप से मजबूत होगा.

Paddy Crop in Jaipur Mandi
जयपुर मंडी में रखी धान की फसल (ETV Bharat Jaipur)

राजस्थान की 70 फीसदी भूमि को सिंचाई सुविधा नहीं : रामपाल जाट ने कहा कि राजस्थान की 70% से अधिक भूमि को सिंचाई की सुविधा प्राप्त नहीं है. जब सिंचाई की सुविधा प्राप्त होती है तो मिट्टी में जादू जैसा प्रभाव होता है और उत्पादन दोगुना होकर मिट्टी सोना उगलती है. राजस्थान ऐसा प्रदेश है, जिसके पास भूभाग तो संपूर्ण देश का 10% से अधिक है, लेकिन पानी लगभग एक प्रतिशत है. तब भी राजस्थान में उपलब्ध पानी का उपयोग नहीं हो पा रहा है, क्योंकि सिंचाई योजनाओं को बजट में प्राथमिकता नहीं होती है. सिंधु जल समझौते का पानी अभी भी बहकर पाकिस्तान जा रहा है. 30 वर्ष पूर्व यमुना जल का समझौता शेखावाटी को एक बूंद भी पानी नहीं दिला सका.

भरतपुर जिले में भी अभी तक पानी की प्राप्ति 20% से कम है. वर्ष 1966 में माही जल समझौते के अनुसार गुजरात के खेड़ा जिले को नर्मदा का पानी प्राप्त होने के बाद माही का संपूर्ण पानी राजस्थान को प्राप्त होना था, लेकिम संपूर्ण पानी अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है. चंबल नदी से 20 हजार घन मीटर से अधिक पानी प्रतिवर्ष बहकर चला जाता है, लेकिन उस पानी के उपयोग के लिए बनी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना की डीपीआर वर्ष 2017 में तैयार होने के उपरांत भी 8 वर्ष में अपेक्षित प्रगति नहीं हुई है. इसलिए सरकार अपने इस बजट में सिंचाई को प्राथमिकता देते हुए समयबद्ध पूरी होने वाली महत्वपूर्ण घोषणा करे.

Diya Kumari
राजस्थान वित्त मंत्री दीया कुमारी (ETV Bharat Jaipur)

ट्रेडिशनल बजट नहीं हो : रामपाल जाट ने कहा कि अभी तो ट्रेडिशनल बजट पेश होते आ रहे हैं, किसी बजट का फोकस में सिंचाई परियोजनाएं नहीं होती है. इसलिए हम तो यह चाहेंगे कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा इस बजट में सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता देते हुए बजट पेश करे. सड़क, बिजली की घोषणा तो हमेशा होती है. इस बार भी हो, लेकिन किसान की समृद्धि की दिशा में सरकार कदम बढ़ाए तो विकसित राजस्थान का सपना साकार होगा. हम चाहेंगे कि नई नवेली सरकार जिसको 1 वर्ष पूरा हो चुका है, वह अपनी इच्छा शक्ति दिखाए. किसानों के लिए लाभकारी घोषणा करे.

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