अजमेर. प्रदेश में 27 हजार पंचायत सहायकों पर बेरोजगारी की तलवार लटक रही है. पूर्व वसुंधरा सरकार में प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में पंचायत सहायक की नियुक्ति 6 हजार रुपए के मासिक वेतन पर की गई थी. इस दौरान पंचायत के कामकाज के साथ ही स्कूल के कार्य में भी इनकी सेवाएं ली गई. 20 मई को पंचायत सहायक का कार्यकाल पूरा हो गया है. पंचायत सहायकों ने जिला मुख्यालय के बाहर लामबंद होकर सरकार से नियमितीकरण की मांग की है.
पंचायत सहायकों को उम्मीद थी कि गहलोत सरकार में उन्हें नियमित किया जाएगा. लिहाजा नियमितीकरण की उम्मीद में अल्प वेतन मिलने के बावजूद पंचायत सहायक 2 वर्ष तक काम करते रहे. पंचायत सहायकों का कहना है कि अल्प वेतन में उनका गुजारा नहीं हो पा रहा है. बावजूद इसके, उन्होंने 2 वर्ष तक काम किया और अब उनके कार्यकाल की अवधि पूरी हो चुकी है. लेकिन सरकार ना तो उनका कार्यकाल बढ़ा रही है और ना ही उन्हें नियमित किया जा रहा है.
पंचायत सहायक सुरेंद्र मेघवाल ने बताया कि पंचायत सहायकों के नियमितीकरण के लिए मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री से मांग की गई है. लेकिन अभी तक सरकार की तरफ से कोई साकारात्मक जवाब उन्हें नहीं मिला है. कार्यकाल की 2 वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद अब प्रदेश के 27 हजार पंचायत सहायक कर्मचारियों पर बेरोजगारी की तलवार लटक गई है. पंचायत सहायकों की मानें तो अब उनकी स्थिति ना घर की रही है और ना ही घाट की.