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अब बैल नहीं, बाइक से चल रहा कोल्हू, कम खर्च में मुनाफा भी ज्यादा - OIL MILL RUN BY BIKE

जोधपुर में बाइक से चल रहा कोल्हू, पूरे दिन में लगता है सिर्फ 300 का पेट्रोल.

OIL MILL RUN BY BIKE
कम खर्च में मुनाफा भी ज्यादा (ETV BHARAT JODHPUR)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 11 hours ago

जोधपुर : तेल की घाणी चलाने के लिए पहले बैल का इस्तेमाल होता था. जिस लकड़ी के ढांचे में मूंगफली या फिर तिल डालकर तेल निकाला जाता था, उसे कोल्हू कहा जाता था. इससे ही एक राह पर चलने वालों के लिए कोल्हू का बैल कहावत बनी. समय बदला तो बड़ी-बड़ी तेल मिलों में इलेक्ट्रिक मोटर के इस्तेमाल होने लगे, लेकिन मारवाड़ सहित राजस्थान में कई जगहों पर सर्दी के दिनों में घाणी का कच्चा तेल काम लेने को प्राथमिकता दी जाती है. ऐसे में इस दौरान शहर व कस्बों में खूब घाणियां चलती है.

हालांकि, पहले इन्हें चलाने के लिए बैल या फिर ऊंट का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब इनकी जगह बाइक ने ले ली है. बाइक के स्पीड व गियर को सेट कर दिया जाता है, जो कोल्हू के अंदर लगे लकड़ी के भारी गट्ठर को घुमाती है. इससे तेल निकलता है. ऐसे जुगाड़ जोधपुर में भी नजर आने लगे हैं, जिनकी आज कल खूब चर्चा हो रही है.

बाइक से चल रहा कोल्हू (ETV BHARAT JODHPUR)

इसे भी पढ़ें - बैल की जगह बाइक का इस्तेमाल कर कोल्हू से सहारे निकाला जा रहा तिल्ली का तेल - Use bike instead of bull

दरअसल, मूल रूप से भीलवाड़ा जिले के रहने वाले एक परिवार ने शहर में दो-तीन जगहों पर ऐसे घाणियां लगाई हैं, जिनमें बैल की जगह बाइक लगी है. मोटरसाइकिल को घूमते देख लोग आश्चर्यचकित हैं. भीलवाड़ा से आए डालचंद बैरवा ने बताया कि पहले बैल का इस्तेमाल करते थे, लेकिन धीरे-धीरे बैल का उपयोग करने पर परेशानियां होने लगी. निगम वाले परेशान करने लगे. इसके अलावा बैल के लिए चारा पानी का इंतजाम भी महंगा पड़ना लगा, तो हमने बैल की जगह मोटरसाइकिल का उपयोग करना शुरू किया.

पूरे दिन में लगता है 300 का पेट्रोल : डालचंद ने बताया कि अगर पूरे दिन तेल निकालते हैं, तो 300 का पेट्रोल खर्च होता है. काम नहीं है तो पेट्रोल खर्च बचता है, जबकि बैल के लिए तो पूरे दिन व्यवस्था करनी पड़ती थी. उसने बताया कि इन दिनों तिलहन का तेल निकाल रहे हैं. 10 किलो तिल से छह किलो तेल निकलता है. इसके अलावा तिलकुटा भी आसानी से बिक जाता है.

जोधपुर : तेल की घाणी चलाने के लिए पहले बैल का इस्तेमाल होता था. जिस लकड़ी के ढांचे में मूंगफली या फिर तिल डालकर तेल निकाला जाता था, उसे कोल्हू कहा जाता था. इससे ही एक राह पर चलने वालों के लिए कोल्हू का बैल कहावत बनी. समय बदला तो बड़ी-बड़ी तेल मिलों में इलेक्ट्रिक मोटर के इस्तेमाल होने लगे, लेकिन मारवाड़ सहित राजस्थान में कई जगहों पर सर्दी के दिनों में घाणी का कच्चा तेल काम लेने को प्राथमिकता दी जाती है. ऐसे में इस दौरान शहर व कस्बों में खूब घाणियां चलती है.

हालांकि, पहले इन्हें चलाने के लिए बैल या फिर ऊंट का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब इनकी जगह बाइक ने ले ली है. बाइक के स्पीड व गियर को सेट कर दिया जाता है, जो कोल्हू के अंदर लगे लकड़ी के भारी गट्ठर को घुमाती है. इससे तेल निकलता है. ऐसे जुगाड़ जोधपुर में भी नजर आने लगे हैं, जिनकी आज कल खूब चर्चा हो रही है.

बाइक से चल रहा कोल्हू (ETV BHARAT JODHPUR)

इसे भी पढ़ें - बैल की जगह बाइक का इस्तेमाल कर कोल्हू से सहारे निकाला जा रहा तिल्ली का तेल - Use bike instead of bull

दरअसल, मूल रूप से भीलवाड़ा जिले के रहने वाले एक परिवार ने शहर में दो-तीन जगहों पर ऐसे घाणियां लगाई हैं, जिनमें बैल की जगह बाइक लगी है. मोटरसाइकिल को घूमते देख लोग आश्चर्यचकित हैं. भीलवाड़ा से आए डालचंद बैरवा ने बताया कि पहले बैल का इस्तेमाल करते थे, लेकिन धीरे-धीरे बैल का उपयोग करने पर परेशानियां होने लगी. निगम वाले परेशान करने लगे. इसके अलावा बैल के लिए चारा पानी का इंतजाम भी महंगा पड़ना लगा, तो हमने बैल की जगह मोटरसाइकिल का उपयोग करना शुरू किया.

पूरे दिन में लगता है 300 का पेट्रोल : डालचंद ने बताया कि अगर पूरे दिन तेल निकालते हैं, तो 300 का पेट्रोल खर्च होता है. काम नहीं है तो पेट्रोल खर्च बचता है, जबकि बैल के लिए तो पूरे दिन व्यवस्था करनी पड़ती थी. उसने बताया कि इन दिनों तिलहन का तेल निकाल रहे हैं. 10 किलो तिल से छह किलो तेल निकलता है. इसके अलावा तिलकुटा भी आसानी से बिक जाता है.

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