अजमेर. कार्तिक माह शनिवार से शुरू हो चुका है. कार्तिक मास में पुष्कर तीर्थ में स्नान करने का विशेष महत्व है. कार्तिक मास के पहले दिन पुष्कर के पवित्र सरोवर के सभी 52 घाटों पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. वहीं, शनिवार को श्रद्धालुओं ने शरद पूर्णिमा का स्नान भी किया. चंद्र ग्रहण के चलते शाम 4 बजे के बाद सूतक शुरू हो चुका है. ऐसे में जगत पिता ब्रह्मा मंदिर समेत सभी छोटे-बड़े मंदिर के पट बंद कर दिए गए हैं.
52 घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता : कार्तिक मास के दौरान स्नान, पूजा अर्चना और दान करने से शुभदायक फल प्राप्त होते हैं. शनिवार के दिन ही शरद पूर्णिमा भी है, लेकिन चंद्र ग्रहण होने के कारण श्रद्धालुओं ने सूतक लगने से पहले ही कार्तिक स्नान के साथ शरद पूर्णिमा का स्नान भी किया. पुष्कर के पवित्र सरोवर के 52 घाटों पर श्रद्धालुओं का सुबह से ही तांता लगा रहा. श्रद्धालुओं ने आस्था की सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा अर्चना की. इसके बाद जगतपिता ब्रह्मा के दर्शन किए.
30 वर्षों के बाद शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण : श्री ब्रह्मा मंदिर के पुजारी लक्ष्मी निवास वशिष्ठ ने बताया कि प्रकृति का यह अद्भुत संयोग है कि 30 वर्ष बाद शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण हुआ है. शाम 4:05 बजे सूतक शुरू हो गया है, लेकिन ग्रहण का प्रभाव रात्रि 1:05 बजे पर होगा. चंद्र ग्रहण से शुद्धि रात्रि 2:23 बजे पर है. सूतक काल में श्री ब्रह्मा मंदिर समेत सभी छोटे बड़े मंदिर के पट बंद रहेंगे. श्रद्धालुओं से अपील की जा रही है कि सूतक के खत्म होने के बाद पुष्कर के पवित्र सरोवर में स्नान कर मंगला आरती में सुबह 5:30 बजे शामिल हों.
खीर का भोग एक दिन पहले लगा : शरद पूर्णिमा के दिन चांदनी रात में खीर बनाकर रखी जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने पर चंद्रमा की किरणों के खीर पर पड़ने पर उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं. इस खीर का अगले दिन भगवान को भोग लगाया जाता है और खीर का प्रसाद लोगों में वितरित किया जाता है. तीर्थ पुरोहित पंडित दीनदयाल पाराशर ने बताया कि शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण के कारण भगवान को खीर का भोग नहीं लगेगा, इसलिए लोगों ने एक दिन पहले ही खीर को चंद्रमा की किरणों में रखकर शनिवार सुबह भगवान को भोग लगा दिया है यानी शरद पूर्णिमा का दिन एक दिन पहले मनाया गया, लेकिन स्नान, पूजा-अर्चना और दान लोग आज कर रहे हैं.
पंडित पाराशर ने बताया कि कार्तिक माह शनिवार से आरंभ हुआ है. पूरे मास लोग सुबह जल्दी तीर्थ पर स्नान करते हैं. मान्यता है कि कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक जगत पिता ब्रह्मा ने पुष्कर में सृष्टि यज्ञ किया था. पुष्कर जगत पिता ब्रह्मा का सबसे बड़ा तीर्थ है. पुष्कर को सभी तीर्थ का गुरु माना जाता है. उन्होंने बताया कि तीर्थ यात्राएं करने के बाद भी पुष्कर जरूर आना पड़ता है, वरना तीर्थ यात्रा का फल नहीं मिलता है.