पुष्कर(अजमेर). धार्मिक नगरी पुष्कर में पांच दिनों तक चलने वाला कार्तिक एकादशी पंचतीर्थ स्नान के साथ शुरू हो गया है. देवउठनी एकादशी के दिन श्रद्धालुओं ने सरोवर में डुबकी लगाकर पूजा-अर्चना की. हालांकि कोरोना संक्रमण के प्रभाव और प्रशासन की अपील के चलते पिछले साल की तुलना में इस साल कम श्रद्धालु पुष्कर पहुंचे हैं.
ऐसी मान्यता है कि कार्तिक एकादशी पर पंचतीर्थ स्नान में किए स्नान का फल एक हजार बार किए गए गंगा स्नान के बराबर और सौ बार माघ स्नान के समान और जो फल कुंभ में प्रयाग में स्नान करने पर मिलता है. वही फल कार्तिक माह में किसी पवित्र नदी के तट पर स्नान करने से मिलता है.
साथ ही जो व्यक्ति कार्तिक के पवित्र महीने के नियमों का पालन करते हैं. वह सालभर के सभी पापों से मुक्ति पाते हैं. इन्हीं मान्यताओं के चलते कार्तिक माह की प्रबोधनी एकादशी के दिन धार्मिक नगरी पुष्कर में श्रद्धालुओं ने पवित्र सरोवर में कोरोना गाइडलाइन के साथ आस्था की डूबकी लगाकर धर्म लाभ प्राप्त किया. बता दें कि महास्नान के लिए सरोवर के घाटों पर अलसुबह से ही महिला श्रदालुओं का आना शुरू हो गया है.
श्रद्धालुओं ने सरोवर के घाटों पर दीपदान कर पूजा-अर्चना की और यथा शक्ति दान-पुण्य किया. सुबह से शुरू हुआ स्नान का दौर दिनभर जारी रहेगा. पुष्कर के धार्मिक इतिहास में यह पहला मौका होगा जब बहुत कम संख्या में श्रद्धालुओं की आवक हुई है. तीर्थ पुरोहितों के अनुसार कार्तिक माह में हर वर्ष कार्तिक एकादशी से पूर्णिमा तक पांच दिनों तक 33 करोड़ देवी-देवता पवित्र सरोवर में वास करते हैं.
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इन्हीं मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए न केवल कार्तिक माह के इन पांच दिनों में बल्कि पूरे कार्तिक माह में देश और दुनिया के लाखों श्रद्धालु पवित्र सरोवर में आस्था की डुबकी लगाने पुष्कर आते थे. गौरतलब है कि कोरोना महामारी के बढ़ते प्रभाव और प्रशासन की अपील के चलते इस वर्ष बहुत ही कम श्रद्धालुओं की आवक पुष्कर में हुई है. इसके चलते घाट बाजार और जगतपिता ब्रह्मा मंदिर मार्ग सूने पड़े हैं.