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पुष्कर पहुंची नंदा देवी लोकजात यात्रा, तीर्थ यात्रियों को मिली उत्तरांचल संस्कृति की झलक

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 11, 2023, 6:24 PM IST

Updated : Sep 11, 2023, 6:33 PM IST

उत्तरांचल की कुल देवी नंदा देवी की लोकजात यात्रा सोमवार को तीर्थराज गुरु पुष्कर पंहुची. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. जिन्होंने यात्रा का जोरदार स्वागत किया. इसके बाद उत्तरांचल घाट पर नंदा देवी की विधिवत पूजा अर्चना की गई.

Nanda Devi Lok Jat Yatra in Pushkar
Nanda Devi Lok Jat Yatra in Pushkar
पुष्कर पहुंची नंदा देवी लोकजात यात्रा

अजमेर. उत्तरांचल से रवाना हुई पर्वतीय समाज की कुल देवी नंदा देवी की लोकजात यात्रा विभिन्न राज्यों से होते हुए सोमवार को तीर्थराज गुरु पुष्कर पहुंची. यहां से यात्रा का धूमधाम से स्वागत किया गया. पुष्कर के विभिन्न क्षेत्रों से यात्रा वराह घाट के समीप उत्तरांचल घाट पहुंची. यहां नंदा देवी माता डोली की विधिवत पूजा-अर्चना की गई. तीर्थ पुरोहितों ने यात्रा में शामिल लोगों को पुष्कर राज की पूजा-अर्चना करवाई. यहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों ने नंदा देवी माता के लोकजात के दर्शन के साथ-साथ उत्तरांचल संस्कृत की झलक भी पाई.

उत्तराखंड सीएम ने की थी घोषणा : उत्तरांचल पर्वतीय समाज के अध्यक्ष डॉ. एसएस तडागी ने बताया कि उत्तरांचल में बैदानी से नंदा देवी लोकजात यात्रा 2 सितंबर को रवाना हुई थी. इसी प्रकार दशोली से भी लोकजात यात्रा रवाना होती है. जगत पिता ब्रह्मा की नगरी में उत्तरांचल पर्वतीय समाज की धर्मशाला है. उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यहां आकर धर्मशाला के विकास के लिए घोषणा की थी, जो जल्द पूरी होगी. उन्होंने बताया कि लोकजात का उद्देश्य उत्तरांचल संस्कृति को आगे बढ़ाने के अलावा उत्तरांचल के बाहर रहने वाले पर्वतीय समाज को नंदा देवी के दर्शन करवाना है.

पढ़ें. शिव पुराण महाकथा के शुभारंभ पर कलश यात्रा, 3100 से अधिक महिलाएं सिर पर कलश लेकर हुईं शामिल

जानिए कौन हैं नंदा देवी : यात्रा के संयोजक पंडित धनी प्रसाद देवराड़ी ने बताया कि उत्तरांचल में नंदा देवी को लोग अपनी बेटी के रूप में मानते हैं और हर साथ ससुराल भेजते हैं. लोक इतिहास के अनुसार नंदा देवी गढ़वाल के राजाओं के साथ-साथ कुमाऊं के कतयपुरी राजवंश की ईष्ट देवी थीं. इस कारण नंदा देवी को राजराजेश्वरी कहकर भी संबोधित किया जाता है. नंदा देवी माता को शिव अर्धांगिनी माता पार्वती के रूप में पूजा जाता है. माता को शिवा, सुनन्दा, नंदिनी आदि नाम से भी पुकारा जाता है.

10 वर्षों से माता आ रहीं पुष्कर : उन्होंने बताया कि वार्षिक जात अगस्त-सितंबर में करुड़ के नंदा देवी मंदिर से बैदानी तक होती है. देवराड़ा में माता नंदा देवी का ननिहाल होने के कारण यहां 6 माह की पूजा होती है. प्रवासी उत्तराखंडायों की ओर से हर साल नंदा देवी की लोकजात यात्रा निकाली जाती है. यह कुरुड़ मंदिर से होकर मुंबई के बेलापुर में पहला पड़ाव कर बसई, बड़ोदरा, उदयपुर, पुष्कर, जयपुर, आगरा, फरीदाबाद, दिल्ली, अंबाला होते हुए बैदानी तक पहुंच कर माता की पूजा-अर्चना की जाती है. विगत 10 वर्षों से नंदा देवी माता लोकजात पुष्कर आ रहीं हैं.

पुष्कर पहुंची नंदा देवी लोकजात यात्रा

अजमेर. उत्तरांचल से रवाना हुई पर्वतीय समाज की कुल देवी नंदा देवी की लोकजात यात्रा विभिन्न राज्यों से होते हुए सोमवार को तीर्थराज गुरु पुष्कर पहुंची. यहां से यात्रा का धूमधाम से स्वागत किया गया. पुष्कर के विभिन्न क्षेत्रों से यात्रा वराह घाट के समीप उत्तरांचल घाट पहुंची. यहां नंदा देवी माता डोली की विधिवत पूजा-अर्चना की गई. तीर्थ पुरोहितों ने यात्रा में शामिल लोगों को पुष्कर राज की पूजा-अर्चना करवाई. यहां बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों और स्थानीय लोगों ने नंदा देवी माता के लोकजात के दर्शन के साथ-साथ उत्तरांचल संस्कृत की झलक भी पाई.

उत्तराखंड सीएम ने की थी घोषणा : उत्तरांचल पर्वतीय समाज के अध्यक्ष डॉ. एसएस तडागी ने बताया कि उत्तरांचल में बैदानी से नंदा देवी लोकजात यात्रा 2 सितंबर को रवाना हुई थी. इसी प्रकार दशोली से भी लोकजात यात्रा रवाना होती है. जगत पिता ब्रह्मा की नगरी में उत्तरांचल पर्वतीय समाज की धर्मशाला है. उत्तराखंड सीएम पुष्कर सिंह धामी ने यहां आकर धर्मशाला के विकास के लिए घोषणा की थी, जो जल्द पूरी होगी. उन्होंने बताया कि लोकजात का उद्देश्य उत्तरांचल संस्कृति को आगे बढ़ाने के अलावा उत्तरांचल के बाहर रहने वाले पर्वतीय समाज को नंदा देवी के दर्शन करवाना है.

पढ़ें. शिव पुराण महाकथा के शुभारंभ पर कलश यात्रा, 3100 से अधिक महिलाएं सिर पर कलश लेकर हुईं शामिल

जानिए कौन हैं नंदा देवी : यात्रा के संयोजक पंडित धनी प्रसाद देवराड़ी ने बताया कि उत्तरांचल में नंदा देवी को लोग अपनी बेटी के रूप में मानते हैं और हर साथ ससुराल भेजते हैं. लोक इतिहास के अनुसार नंदा देवी गढ़वाल के राजाओं के साथ-साथ कुमाऊं के कतयपुरी राजवंश की ईष्ट देवी थीं. इस कारण नंदा देवी को राजराजेश्वरी कहकर भी संबोधित किया जाता है. नंदा देवी माता को शिव अर्धांगिनी माता पार्वती के रूप में पूजा जाता है. माता को शिवा, सुनन्दा, नंदिनी आदि नाम से भी पुकारा जाता है.

10 वर्षों से माता आ रहीं पुष्कर : उन्होंने बताया कि वार्षिक जात अगस्त-सितंबर में करुड़ के नंदा देवी मंदिर से बैदानी तक होती है. देवराड़ा में माता नंदा देवी का ननिहाल होने के कारण यहां 6 माह की पूजा होती है. प्रवासी उत्तराखंडायों की ओर से हर साल नंदा देवी की लोकजात यात्रा निकाली जाती है. यह कुरुड़ मंदिर से होकर मुंबई के बेलापुर में पहला पड़ाव कर बसई, बड़ोदरा, उदयपुर, पुष्कर, जयपुर, आगरा, फरीदाबाद, दिल्ली, अंबाला होते हुए बैदानी तक पहुंच कर माता की पूजा-अर्चना की जाती है. विगत 10 वर्षों से नंदा देवी माता लोकजात पुष्कर आ रहीं हैं.

Last Updated : Sep 11, 2023, 6:33 PM IST
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