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होलिका की तरह अब अजमेर की गली-मोहल्लों और कॉलोनियों में भी जलने लगे हैं रावण के पुतले - ajmer art

विजयदशमी पर रावण पुतला दहन करने की परंपरा सदियों पुरानी है. शहर गांव में एक या दो स्थानों पर रावण पुतला दहन के कार्यक्रम होते आए हैं. लेकिन अब होलिका दहन की तरह ही गली-मोहल्लों और कॉलोनियों में भी रावण पुतला दहन करने की होड़ लगी हुई है. यहीं वजह है कि अब रावण के पुतले भी खासे बिकने लगे हैं.

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Published : Oct 4, 2019, 1:12 PM IST

अजमेर. शहर के वैशाली नगर इलाके में चौपाटी के पास जालौर जिले के सांचौर क्षेत्र से आए कुछ परिवार रावण के पुतले बनाकर बेच रहे हैं. रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला भी बनाया जा रहा है. पिछले 4 वर्षों से रावण मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले अजमेर में यह परिवार भेज रहा है.

यह भी पढ़ें- अजमेर के ब्यावर में दो पड़ोसियों का झगड़ा इतना तूल पकड़ा कि दोनों ने आत्महत्या की चेतावनी दे डाली

रावण के पुतले बनाने वाले कारीगर धन्नालाल ने बताया कि लोगों की डिमांड के अनुसार रावण के पुतले की अधिकतम और न्यूनतम साइज बनाई जाती है. उसने बताया कि बॉस, अखबार और लुगदी से रावण के पुत्रों का निर्माण किया जाता है. डिमांड बढ़ने पर कुछ वर्षों से उनका परिवार रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने लगा है.

अजमेर में बिक रहे है रावण मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले

यह भी पढ़ें- अजमेर में तकनीकी कर्मचारियों ने 3 सूत्रीय मांगों को लेकर किया प्रदर्शन

अजमेर में पिछले 4 महीने से डेरा डाले यह परिवार रावण का पुतला बना रहे हैं. लेकिन देर रात की बारिश ने इनकी मेहनत पर पानी फेर दिया. बुत पर दिए गए आकार पर लगाए कागज बारिश के पानी से गल गए हैं. लिहाजा उन्हें दोबारा से पुतलों पर कागज लगाने की मेहनत करनी पड़ रही है. कारीगर हीरा ने बताया कि दशहरे के एक-दो दिन पहले लोग उनसे रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले खरीद कर ले जाते हैं.

यह भी पढ़ें- अजमेर: अंबे माता मंदिर के 35वें स्थापना दिवस पर निकाली गई शोभा यात्रा, प्रसिद्ध गायक विमल दीक्षित ने दी भजनों की प्रस्तुतियां

बदलते समय में जहां होलीका गली मोहल्लों और कॉलोनियों में जलाई जाने लगी है. उसी तर्ज पर अब रावण दहन भी होने लगे हैं. जबकि शहरों में एक दो जगह और गांव में एक ही जगह पर रावण दहन करने की हमेशा से परंपरा रही है. ताकि लोग एकजुट होकर बुराई पर अच्छाई की विजय को होते हुए देख सकें.

अजमेर. शहर के वैशाली नगर इलाके में चौपाटी के पास जालौर जिले के सांचौर क्षेत्र से आए कुछ परिवार रावण के पुतले बनाकर बेच रहे हैं. रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला भी बनाया जा रहा है. पिछले 4 वर्षों से रावण मेघनाथ और कुम्भकर्ण के पुतले अजमेर में यह परिवार भेज रहा है.

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रावण के पुतले बनाने वाले कारीगर धन्नालाल ने बताया कि लोगों की डिमांड के अनुसार रावण के पुतले की अधिकतम और न्यूनतम साइज बनाई जाती है. उसने बताया कि बॉस, अखबार और लुगदी से रावण के पुत्रों का निर्माण किया जाता है. डिमांड बढ़ने पर कुछ वर्षों से उनका परिवार रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने लगा है.

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अजमेर में पिछले 4 महीने से डेरा डाले यह परिवार रावण का पुतला बना रहे हैं. लेकिन देर रात की बारिश ने इनकी मेहनत पर पानी फेर दिया. बुत पर दिए गए आकार पर लगाए कागज बारिश के पानी से गल गए हैं. लिहाजा उन्हें दोबारा से पुतलों पर कागज लगाने की मेहनत करनी पड़ रही है. कारीगर हीरा ने बताया कि दशहरे के एक-दो दिन पहले लोग उनसे रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले खरीद कर ले जाते हैं.

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बदलते समय में जहां होलीका गली मोहल्लों और कॉलोनियों में जलाई जाने लगी है. उसी तर्ज पर अब रावण दहन भी होने लगे हैं. जबकि शहरों में एक दो जगह और गांव में एक ही जगह पर रावण दहन करने की हमेशा से परंपरा रही है. ताकि लोग एकजुट होकर बुराई पर अच्छाई की विजय को होते हुए देख सकें.

Intro:अजमेर। विजयदशमी पर रावण दहन करने की परंपरा सदियों पुरानी है शहर गांव में एक या दो स्थानों पर रावण दहन के कार्यक्रम होते आए हैं लेकिन अब होली दहन की तरह गली मोहल्लों और कॉलोनियों में भी रावण दहन करने की होड़ लगी हुई है। यही वजह है कि अब रावण के पुतले भी बिकने लगे हैं। अजमेर से विशेष खबर

अजमेर के वैशाली नगर इलाके में चौपाटी के पास जालौर जिले के सांचौर क्षेत्र से आए कुछ परिवार रावण के पुतले बनाकर बेच रहे हैं रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकर्ण का पुतला भी बनाया जा रहा है पिछले 4 वर्षों से रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले अजमेर में यह परिवार भेज रहा है रावण के पुतले बनाने वाले कारीगर धन्नालाल ने बताया कि लोगों की डिमांड के अनुसार रावण के पुतले की अधिकतम एवं न्यूनतम साइज बनाई जाती है। उसने बताया कि बॉस अखबार और लुगदी से रावण के पुत्रों का निर्माण किया जाता है। डिमांड बढ़ने पर कुछ वर्षों से उनका परिवार रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले बनाने लगा है...
बाइट धन्नालाल कारीगर

अजमेर में पिछले 4 महीने से डेरा डाले यह परिवार रावण का पुतला बना रहे हैं लेकिन देर रात की बारिश ने इनकी मेहनत पर पानी फेर दिया। मां से दिए गए आकार पर लगाए कागज बारिश के पानी से गल गए हैं लिहाजा उन्हें दोबारा से पुतलों पर कागज लगाने की मेहनत करनी पड़ रही है। कारीगर हीरा ने बताया कि दशहरे के एक-दो दिन पहले लोग उनसे रावण मेघनाथ और कुंभकरण के पुतले खरीद कर ले जाते हैं....
बाइट हीरा कारीगर

बदलते समय में जहां होली गली मोहल्लों और कॉलोनियों में जलाई जाने लगी है उसी तर्ज पर अब रावण दहन भी होने लगे हैं। जबकि शहरों में एक दो जगह और गांव में एक ही जगह पर रावण दहन करने की हमेशा से परंपरा रही है। ताकि लोग एकजुट होकर बुराई पर अच्छाई की विजय को होते हुए देख सकें।




Body:प्रियांक शर्मा
अजमेर


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