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Lath Utsav Festival in Pushkar : पुष्कर के श्री वेणुगोपाल मंदिर और श्री बैकुंठ नाथ मंदिर में दक्षिण परंपरा के अनुसार मनाया गया लठ उत्सव - Rajasthan Hindi News

Lath Utsav Festival in Pushkar, राजस्थान में पुष्कर के श्री वेणुगोपाल मंदिर और श्री बैकुंठ नाथ मंदिर में दक्षिण परंपरा के अनुसार लठ उत्सव मनाया गया. इस दौरान 25 फुट ऊंचे और चिकने मलखंब पर चढ़कर दही माखन की मटकी तोड़नी होती है.

Lath Utsav Festival in Pushkar
Lath Utsav Festival in Pushkar
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 9, 2023, 9:06 AM IST

अजमेर. पुष्कर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन लठ उत्सव की धूम मची. पुष्कर में भगवान श्री रंगनाथ वेणुगोपाल और बैकुंठ नाथ नए रंग जी के मंदिर में वर्षों पुरानी दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार लठ उत्सव मनाया गया. इस दौरान दही मक्खन लूटने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. बता दें कि उत्तर भारत में दही हांडी की परंपरा है, लेकिन यहां नए और पुराने दोनों ही श्री रंग जी के मंदिर में दक्षिण परंपरा के अनुसार लठ उत्सव मनाने की परंपरा वर्षों पुरानी है.

शुक्रवार को पुष्कर में हर्षोल्लास के साथ दक्षिण भारत की परंपरा के अनुसार श्री रंग जी के दोनों मंदिर में लठ उत्सव मनाया गया. पुष्कर के श्री रंगनाथ वेणुगोपाल मंदिर जो कि पुराना रंग जी का मंदिर के नाम से विख्यात है, यहां शुक्रवार को धूमधाम से लठ उत्सव मनाया गया. स्थानीय पंडित आशुतोष शर्मा ने बताया कि वेणुगोपाल श्री रंगनाथ मंदिर में लठ उत्सव के पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे. यह पर्व जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है.

उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत की स्थापत्य कला के अनुसार ही मंदिर का निर्माण एक सदी पहले किया गया था. दक्षिण भारत के पंडित ही मंदिर में सेवा पूजन का कार्य करते हैं. उत्तर भारत में दही हांडी प्रचलित है लेकिन दक्षिण भारत में इस लठ उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

पढ़ें : राजस्थान : जोधपुर के घनश्याम मंदिर में बड़ा हादसा, दही हांडी फोड़ने के दौरान गिरा भारी भरकम ट्रस

नए श्री रंगजी के मंदिर में भी मची लठ उत्सव की धूम : इसी प्रकार पुष्कर में श्री बैकुंठ नाथ मंदिर है जो नए श्री रंग जी के मंदिर से विख्यात है. इस मंदिर को बांगड़ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की स्थापत्य कला भी दक्षिण भारत से पूरी तरह मिलती-जुलती है. यहां भी दक्षिण भारत के पुजारी और सेवादार मंदिर में पूजा-अर्चना का कार्य संभालते हैं. यहां भी दक्षिण भारत की परंपरा के अनुसार लठ उत्सव मनाया गया. स्थानीय लोग नन्द उत्सव के रूप में जानते हैं. मंदिर के व्यवस्थापक सत्यनारायण रामावत ने बताया कि यह भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं पर आधारित है. इस उत्सव में भगवान श्री कृष्णा फल और दही हांडी की मटकिया तोड़ते हैं और भक्तों में लुटाते हैं.

25 फिट ऊंचे मलखंब में चढ़ने की होती है प्रतिस्पर्धा : श्री वेणुगोपाल मंदिर और श्री बैकुंठ नाथ मंदिर परिसर में लठ उत्सव का आयोजन हुआ. स्थानीय पंडित आशुतोष शर्मा बताते हैं कि मंदिर परिसर के बीच 25 फिट ऊंचा मलखंब होता है, जिस पर श्री कृष्णा और उनके ग्वाल साथियों की टोली चढ़ने की कोशिश करती है. श्रद्धालु श्री कृष्ण के जयकारे लागते हैं. श्री बैकुंठ नाथ मंदिर के व्यवस्थापक सत्यनारायण रामावत बताते हैं कि मंदिर परिसर में मलखंब पर 5 दिन से हर रोज मुल्तानी मिट्टी, चिकनी मिट्टी और मेथी का लेप लगाया जाता हैं, ताकि मलखंब अच्छी तरह से चिकना हो जाये और उसे पर चढ़ना आसान न रहे.

मलखंब के शीर्ष पर झंडी लगाई जाती है, जिसके साथ वहां तक पहुंचने वाले के लिए इनाम भी रखा जाता है. श्री कृष्ण के रूप में प्रतिभागी मलखंब पर चढ़ने का प्रयास करते हैं. ऊपर फल, दही, मक्खन की मटकियां लटकाई जाती हैं, जिसको तोड़ा जाता है. मटकी टूटते ही श्रद्धालु भी फल दही मक्खन लूटते हैं. लठ उत्सव को देखने वालों का मंदिर में तांता लगा रहता है.

अजमेर. पुष्कर में श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन लठ उत्सव की धूम मची. पुष्कर में भगवान श्री रंगनाथ वेणुगोपाल और बैकुंठ नाथ नए रंग जी के मंदिर में वर्षों पुरानी दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार लठ उत्सव मनाया गया. इस दौरान दही मक्खन लूटने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. बता दें कि उत्तर भारत में दही हांडी की परंपरा है, लेकिन यहां नए और पुराने दोनों ही श्री रंग जी के मंदिर में दक्षिण परंपरा के अनुसार लठ उत्सव मनाने की परंपरा वर्षों पुरानी है.

शुक्रवार को पुष्कर में हर्षोल्लास के साथ दक्षिण भारत की परंपरा के अनुसार श्री रंग जी के दोनों मंदिर में लठ उत्सव मनाया गया. पुष्कर के श्री रंगनाथ वेणुगोपाल मंदिर जो कि पुराना रंग जी का मंदिर के नाम से विख्यात है, यहां शुक्रवार को धूमधाम से लठ उत्सव मनाया गया. स्थानीय पंडित आशुतोष शर्मा ने बताया कि वेणुगोपाल श्री रंगनाथ मंदिर में लठ उत्सव के पर्व पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे. यह पर्व जन्माष्टमी के अगले दिन मनाया जाता है.

उन्होंने बताया कि दक्षिण भारत की स्थापत्य कला के अनुसार ही मंदिर का निर्माण एक सदी पहले किया गया था. दक्षिण भारत के पंडित ही मंदिर में सेवा पूजन का कार्य करते हैं. उत्तर भारत में दही हांडी प्रचलित है लेकिन दक्षिण भारत में इस लठ उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

पढ़ें : राजस्थान : जोधपुर के घनश्याम मंदिर में बड़ा हादसा, दही हांडी फोड़ने के दौरान गिरा भारी भरकम ट्रस

नए श्री रंगजी के मंदिर में भी मची लठ उत्सव की धूम : इसी प्रकार पुष्कर में श्री बैकुंठ नाथ मंदिर है जो नए श्री रंग जी के मंदिर से विख्यात है. इस मंदिर को बांगड़ मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की स्थापत्य कला भी दक्षिण भारत से पूरी तरह मिलती-जुलती है. यहां भी दक्षिण भारत के पुजारी और सेवादार मंदिर में पूजा-अर्चना का कार्य संभालते हैं. यहां भी दक्षिण भारत की परंपरा के अनुसार लठ उत्सव मनाया गया. स्थानीय लोग नन्द उत्सव के रूप में जानते हैं. मंदिर के व्यवस्थापक सत्यनारायण रामावत ने बताया कि यह भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं पर आधारित है. इस उत्सव में भगवान श्री कृष्णा फल और दही हांडी की मटकिया तोड़ते हैं और भक्तों में लुटाते हैं.

25 फिट ऊंचे मलखंब में चढ़ने की होती है प्रतिस्पर्धा : श्री वेणुगोपाल मंदिर और श्री बैकुंठ नाथ मंदिर परिसर में लठ उत्सव का आयोजन हुआ. स्थानीय पंडित आशुतोष शर्मा बताते हैं कि मंदिर परिसर के बीच 25 फिट ऊंचा मलखंब होता है, जिस पर श्री कृष्णा और उनके ग्वाल साथियों की टोली चढ़ने की कोशिश करती है. श्रद्धालु श्री कृष्ण के जयकारे लागते हैं. श्री बैकुंठ नाथ मंदिर के व्यवस्थापक सत्यनारायण रामावत बताते हैं कि मंदिर परिसर में मलखंब पर 5 दिन से हर रोज मुल्तानी मिट्टी, चिकनी मिट्टी और मेथी का लेप लगाया जाता हैं, ताकि मलखंब अच्छी तरह से चिकना हो जाये और उसे पर चढ़ना आसान न रहे.

मलखंब के शीर्ष पर झंडी लगाई जाती है, जिसके साथ वहां तक पहुंचने वाले के लिए इनाम भी रखा जाता है. श्री कृष्ण के रूप में प्रतिभागी मलखंब पर चढ़ने का प्रयास करते हैं. ऊपर फल, दही, मक्खन की मटकियां लटकाई जाती हैं, जिसको तोड़ा जाता है. मटकी टूटते ही श्रद्धालु भी फल दही मक्खन लूटते हैं. लठ उत्सव को देखने वालों का मंदिर में तांता लगा रहता है.

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