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रूप चौदस पर तीर्थ नगरी पुष्कर में भारतीय रंग में रंगी विदेशी पर्यटक महिलाएं, किए सौलह श्रंगार

आदि-अनादि काल से भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी का खास महत्व माना जाता रहा है. दीपावली से एक दिन पहले आने वाली रूप चतुर्दशी के इस खास पर्व को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. भारतीय महिलाएं तो इस दिन साज-श्रृंगार करती ही हैं लेकिन इस बार पुष्कर में विदेशों से घूमने आई युवतियां भी रूप चौदस पर भारतीय रंग में रंगी हुई नजर आई.

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Published : Oct 26, 2019, 11:55 PM IST

पुष्कर (अजमेर). धार्मिक नगरी पुष्कर में भी महिलाओं को सजते-संवरते देखकर सात समंदर पार से आई विदेशी बालाएं भी अपने आपको रोक नहीं सकी और उन्होंने भी भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी का महत्व समझकर अपने आपको सजाने-संवारने के लिए ब्यूटी पार्लर का रुख किया. यहां पर न केवल इन विदेशी महिलाओं ने श्रृंगार करवाया बल्कि भारतीय परिधान को धारण करते हुए सोलह श्रृंगार भी किए.

तीर्थ नागरी पुष्कर में रूप चौदस पर महिलाओं ने किया सोलह श्रृंगार

पर्यटकों के अनुसार उन्हें भारतीय संस्कृति से बेहद लगाव है. भारतीय सिनेमा ने उन्हें हिंदी सीखने के लिए उत्साहित किया है. विदेशी महिलाओं ने सजने -संवरने के बाद अपने इस अनुभव बारे में बताया कि यहां आने पर रूप चतुरदशी के बारे में जानकारी मिली तो हमने भी भारतीय धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार श्रृंगार किया है. हमें ये सब करके बहुत अच्छा लगा.

पढ़ें- दीपोत्सव स्पेशल : रूप चतुर्दशी आज, नख से शिख तक सजेंगी-संवरेगी महिलाएं

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार चतुर्दशी के दिन नरकासुर राक्षस के चंगुल में बंदी बनाई गई 17 हजार रानियों को भगवान कृष्ण ने मुक्त कराया था. तब इन रानियों ने चंगुल से मुक्त होने के बाद जड़ी-बूटियों से स्नान कर श्रृंगार किया था. तब से आज तक भारतीय महिलाएं इस दिन को रूप चतुर्दशी के रूप में मानती हैं और अपने सजती संवरती हैं.

पुष्कर (अजमेर). धार्मिक नगरी पुष्कर में भी महिलाओं को सजते-संवरते देखकर सात समंदर पार से आई विदेशी बालाएं भी अपने आपको रोक नहीं सकी और उन्होंने भी भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी का महत्व समझकर अपने आपको सजाने-संवारने के लिए ब्यूटी पार्लर का रुख किया. यहां पर न केवल इन विदेशी महिलाओं ने श्रृंगार करवाया बल्कि भारतीय परिधान को धारण करते हुए सोलह श्रृंगार भी किए.

तीर्थ नागरी पुष्कर में रूप चौदस पर महिलाओं ने किया सोलह श्रृंगार

पर्यटकों के अनुसार उन्हें भारतीय संस्कृति से बेहद लगाव है. भारतीय सिनेमा ने उन्हें हिंदी सीखने के लिए उत्साहित किया है. विदेशी महिलाओं ने सजने -संवरने के बाद अपने इस अनुभव बारे में बताया कि यहां आने पर रूप चतुरदशी के बारे में जानकारी मिली तो हमने भी भारतीय धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार श्रृंगार किया है. हमें ये सब करके बहुत अच्छा लगा.

पढ़ें- दीपोत्सव स्पेशल : रूप चतुर्दशी आज, नख से शिख तक सजेंगी-संवरेगी महिलाएं

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार चतुर्दशी के दिन नरकासुर राक्षस के चंगुल में बंदी बनाई गई 17 हजार रानियों को भगवान कृष्ण ने मुक्त कराया था. तब इन रानियों ने चंगुल से मुक्त होने के बाद जड़ी-बूटियों से स्नान कर श्रृंगार किया था. तब से आज तक भारतीय महिलाएं इस दिन को रूप चतुर्दशी के रूप में मानती हैं और अपने सजती संवरती हैं.

Intro:पुष्कर(अजमेर)आदि -अनादि काल से भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी का खास महत्व माना जाता रहा है । दीपावली से एक दिन पहले आने वाली रूप चतुर्दशी के इस खास पर्व को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है । महिलाये रूप चतुर्दशी पर्व पर खास तोर से अपने रूप को निखारने के जतन करती है ।

Body: धार्मिक नगरी पुष्कर में भी महिलाओ को सजते -संवरते देखकर सात समंदर पार से आई विदेशी बालाये भी अपने आपको रोक नहीं सकी और उन्होंने भी भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी का महत्व समझकर अपने आपको सजाने - संवारने के लिए ब्यूटी पार्लर का रूख किया । जंहा पर ना केवल इन विदेशी महिलाओ ने श्रगार करवाया बल्कि भारतीय परिधान को धारण करते हुए सोलह श्रंगार भी किये । पर्यटकों के अनुसार उन्हें भारतीय संस्कृति से बेहद लगाव है । भारतीय सिनेमा ने उन्हें हिंदी सीखने के लिए उत्साहित किया।
विदेशी महिलाओ ने सजने -संवरने के बाद अपने इस अनुभव बारे में बताया की यंहा आने पर रूप चतुरदशी के बारे में जानकारी मिली थी हमने भी भारतीय धार्मिक रीति रिवाजो के अनुसार श्रृंगार किया है । हमें ये सब करके बहुत अच्छा लगा |

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भारतीय धार्मिक ग्रंथो के अनुसार चतुर्दशी के दिन नरकासुर राक्षस के चगुल में बंदी बनाई गई 17 हजार रानियों को भगवान कृष्ण ने मुक्त कराया था । तब इन रानियों ने चंगुल से मुक्त होने के बाद जड़ी बूटियों से स्नान कर श्रृंगार किया था । तब से आज तक भारतीय महिलाये इस दिन को रूप चतुर्दशी के रूप में मानती है और अपने आपको सजाती और सवारती है ।

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