पुष्कर (अजमेर). धार्मिक नगरी पुष्कर में भी महिलाओं को सजते-संवरते देखकर सात समंदर पार से आई विदेशी बालाएं भी अपने आपको रोक नहीं सकी और उन्होंने भी भारतीय संस्कृति में रूप चतुर्दशी का महत्व समझकर अपने आपको सजाने-संवारने के लिए ब्यूटी पार्लर का रुख किया. यहां पर न केवल इन विदेशी महिलाओं ने श्रृंगार करवाया बल्कि भारतीय परिधान को धारण करते हुए सोलह श्रृंगार भी किए.
पर्यटकों के अनुसार उन्हें भारतीय संस्कृति से बेहद लगाव है. भारतीय सिनेमा ने उन्हें हिंदी सीखने के लिए उत्साहित किया है. विदेशी महिलाओं ने सजने -संवरने के बाद अपने इस अनुभव बारे में बताया कि यहां आने पर रूप चतुरदशी के बारे में जानकारी मिली तो हमने भी भारतीय धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार श्रृंगार किया है. हमें ये सब करके बहुत अच्छा लगा.
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धार्मिक ग्रंथो के अनुसार चतुर्दशी के दिन नरकासुर राक्षस के चंगुल में बंदी बनाई गई 17 हजार रानियों को भगवान कृष्ण ने मुक्त कराया था. तब इन रानियों ने चंगुल से मुक्त होने के बाद जड़ी-बूटियों से स्नान कर श्रृंगार किया था. तब से आज तक भारतीय महिलाएं इस दिन को रूप चतुर्दशी के रूप में मानती हैं और अपने सजती संवरती हैं.