पुष्कर (अजमेर). लॉकडाउन के तीसरे चरण में दी गई रियायतों और प्रशासनिक व्यवस्थाओं का जायजा लेने शुक्रवार को जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा पुष्कर पहुंचे. इस दौरान उन्होंने सबसे पहले प्रशासन और भामाशाहों के सहयोग से कस्बे के वैष्णव धर्मशाला में बेघर और साधु संतों के लिए बनाए गए अस्थाई आश्रय स्थल का जायजा लिया.
जहां उन्होंने साधु संतों से वहां की व्यवस्थाओं के बारे में फीडबैक लिया. शर्मा ने वहां उपस्थित उपखंड अधिकारी देविका तोमर और तहसीलदार पंकज बड़गुर्जर से की गई व्यवस्थाओं की जानकारी ली. इसके बाद लंबे अरसे से बंद पड़ी कपड़ा फैक्ट्रियों का रुख किया. जिन्हें हाल ही में वापस शुरू किया गया है.
कस्बे की लीलाश्याम कपड़ा फैक्ट्री का जायजा लेते समय कपड़ा फैक्ट्री में प्राथमिक चिकित्सा किट और प्रत्येक हाल में श्रमिकों के लिए हैंड सैनिटाइजर उपलब्ध नहीं होने और हाथ धोने के लिए पर्याप्त व्यवस्था ना होने पर नाराजगी जाहिर की. जिला कलेक्टर विश्वमोहन शर्मा के निर्देशों पर उपखंड अधिकारी देविका तोमर ने फैक्ट्री प्रबंधक को नोटिस जारी कर खामियों को तुरंत दुरुस्त करने के लिए पाबंद किया. पत्रकारों से बातचीत के दौरान शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन 3.0 में उद्योग धंधों को छूट अवश्य दी गई पर निर्धारित दिशा निर्देशों की पालना करवाना अत्यंत आवश्यक है. जिसके लिए प्रशासनिक अधिकारी लगातार निरक्षण करेंगे.
अस्थाई आश्रय स्थल पर की गई व्यवस्थाओं पर संतोष जताते हुए शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार की मंशा के अनुसार समाज के हर तबके का खयाल रखा जा रहा है. शेल्टर होम में रह रहे लोगों की सभी जरूरी आवश्यकताओं की पूर्ति की जा रही है. वहीं दूसरी ओर देश के विभिन्न हिस्सों से पुष्कर में मजदूरी करने आए श्रमिकों को उनके ग्रह राज्य भिजवाने के सवाल पर शर्मा ने राज्य सरकार के निर्देशों पर कार्रवाई अमल में लाने की बात कही. इस दौरान उपखंड अधिकारी देविका तोमर, तहसीलदार पंकज बड़गुज्जर, थाना प्रभारी राजेश मिणा मौके पर मौजूद रहे.
श्रमिकों को नहीं मिल रही तनख्वाह, पालिका पर लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
कोरोना के इस संकट काल में एक ओर जहां देश की तमाम सरकारें उद्योगपतिओं से उनके श्रमिकों की तनख्वाह नहीं काटने की अपील कर रही है. वहीं सरकार के अपने महकमों में ठेके पर काम कर रहे कर्मचारी दो महीनों से अपनी तनख्वाह के इंतजार में हैं.
दरअसल सारा मामला पुष्कर नगरपालिका से जुड़ा हुआ है. जहां ठेके पर काम कर रहे मजदूर अब दो वक्त के खाने के लिए हाथ पसारेने को मजबूर हैं. इन सभी मुश्किलों के बीच शुक्रवार को कर्मचारियों ने पालिका विश्राम स्थली में इकट्ठा होकर सफाई, कचरा ढुलाई, और ड्राइविंग जैसे काम बंद कर दिए.
कर्मचारियों का आरोप था कि पालिका ठेकेदार संजय राठी पिछले दो महीनों से कर्मचारियों को उनके वेतन का भुगतान नहीं कर रहा है. वहीं जब ठेकेदार से उसका पक्ष जाना चाहा तो संजय राठी ने बताया की उसे नगर पालिका से ही ठेके के एवज में भुगतान राशि नहीं मिली है. ऐसे में वो उसके कर्मचारियों को भुगतान करने में असमर्थ है.
इतना ही नहीं ठेके पर लगे कर्मचारियों ने पालिका पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए, नियमित किए गए पालिका कर्मियों की फर्जी हाजरी इंद्राज करने का आरोप भी लगाया है. ठेका कर्मी ओमप्रकाश ने बताया है कि पालिका के 30 से अधिक नियमित किए गए कर्मचारी महीनों से काम के लिए पालिका में नही आ रहे हैं. हाल में जब से इस मामले की कलई खुलने लगी तो नियमित किए गए कर्मचारियों का पुष्कर आने का सिलसिला शुरू हो गया. कई कर्मचारी कोरोना प्रभावित क्षेत्रों से पुष्कर आ रहे हैं. जिससे ठेका कर्मियों में भय व्याप्त है.
वहीं मजदूरों की ओर से काम बंद करने की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची उपखंड अधिकारी देविका तोमर ने कर्मचारियों का पक्ष सुनकर कार्यवाहक अधिशाषी अधिकारी पारस जैन को एक दिन में ठेकेदार को उसकी बकाया राशि का भुगतान करने के निर्देश दिए. उपखंड अधिकारी से जब पालिका में व्याप्त अनियमितताओं के संबंध में सवाल किया गया, तो एसडीएम सवालों से बचती नजर आई. फिलहाल समझाइश के बाद ठेका कर्मी काम पर लौट आये हैं.