अजमेर. कोरोना महामारी को देखते हुए लॉकडाउन जारी है. ऐसे में सब कुछ रुक गया है. जिससे हर वर्ग को किसी ना किसी रूप में नुकसान उठाना पड़ रहा है. इस विकट परिस्थितियों में सबका पेट भरने वाले अन्नदाता किसानों को भी काफी नुकसान हो रहा है. फसल काट कर घर पहुंच गई, लेकिन फसल नहीं बेच पाने से किसानों के हाथ खाली हैं. वहीं लॉकडाउन में दूध और सब्जियों की खपत कम होने से किसानों की कमर टूट रही है. ईटीवी भारत किसानों की तकलीफ को जानने पीसांगन पंचायत समिति के नुरियावास गांव पहुंचा. जहां किसानों का दर्द सामने आया.
बता दें कि अजमेर जिले में फसल गत वर्ष की तुलना में अच्छी हुई है. वहीं सब्जियां का उत्पादन भी शानदार रहा है. मगर कोरोना ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. जिले में 95 फीसदी लावणी सिमट चुकी है और खेत खाली हो गए है. मगर किसानों की मुश्किल कम नहीं हुई. फसल अच्छी होने के बावजूद लॉकडाउन के चलते किसान अपनी फसल को नहीं बेच पा रहे हैं. कड़ी मेहनत और धैर्य के साथ तैयार की गई फसल किसानों के घरों में पड़ी है.
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खेत पर काम कर रहे किसानों से ईटीवी भारत में उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत की तो उन्होंने बताया कि फसल को नहीं बेच पाने से उनके हाथ खाली है. जिससे उन्हें अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में भी काफी समस्या का सामना करना पड़ रहा है. किसान ने बताया कि कृषि उपज मंडी खोल दी गई है, लेकिन वहां उनकी फसल को खरीदने के लिए भाव लगाने वाले व्यापारी ही नहीं है. जिससे उनकी फसल के उचित दाम नहीं मिल पा रहे हैं.
ईटीवी भारत को बताया कि सरकार को फसल के निर्धारित मूल्य को बढ़ा देना चाहिए. सहकारी समिति के माध्यम से उनके फसल को बेचने की व्यवस्था की जानी चाहिए. जिससे लॉकडाउन के चलते किसानों को दूर मंडियों तक जाने की मुश्किलें नहीं झेलनी पड़े. ईटीवी भारत से बातचीत में सामने आया कि किसान संशय की स्थिति में है. उन्हें लग रहा है कि उनकी फसल के सही दाम उन्हें नहीं मिलेंगे.
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इस पर दूसरे किसान ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से दूध की खपत कम हो गई है. शादी, विवाह, उत्सव और मिठाई की दुकानें बंद होने से दूध की मांग 50% ही रह गई है. लॉकडाउन में सब्जियां भी कम बिक रही है और जहां बिक रही है वहां सब्जियों के दाम बहुत ही कम मिल रहे हैं.