अजमेर. अजमेर नगर निगम क्षेत्र के वार्ड 79 के भाजपा पार्षद वीरेंद्र वालिया को 20 हजार रुपए की रिश्वत के साथ एसीबी ने रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. साथ ही वालिया के दलाल रोशन चीता को भी एसीबी ने पकड़ लिया है. बताया जा रहा है कि ईदगाह कॉलोनी में सरकारी भूमि पर मकान निर्माण कराने की एवज में परिवादी को रिश्वत देने के लिए पार्षद वीरेंद्र वालिया परेशान कर रहा था.
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की टीम ने अजमेर में बड़ी कार्रवाई करते हुए बीजेपी के पार्षद वीरेंद्र वालिया और उसके दलाल रोशन चीता को 20 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है. वालिया के घर पर एसीबी की टीम सर्च अभियान चला रही है. पार्षद वालिया को एसीबी की टीम क्रिश्चियन गंज थाने में लेकर पहुंची है जहां उससे पूछताछ की जा रही है. अजमेर एसीबी की स्पेशल यूनिट के डीएसपी पारसमल करवाई में मौजूद हैं.
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डीएसपी पारसमल ने बताया कि अजमेर एसीबी की इंटेलिजेंस को परिवादी की ओर से शिकायत दी गई थी कि एक आवासीय भूखंड उसने खरीदा था जिस पर निर्माण कार्य को अवैध बताकर नहीं तोड़ने देने और निर्बाध रूप से कार्य चलने देने के एवज में पार्षद वीरेंद्र वालिया ने दलाल रोशन चीता के माध्यम से 50 हजार रुपए रिश्वत की डिमांड की जा रही है. उन्होंने बताया कि शिकायत का 12 फरवरी को एसीबी ने सत्यापन करवाया. इसमें प्रत्येक भूखंड के 25 हजार रुपए की डिमांड यानी कुल 2 भूखंड पर निर्माण कार्य जारी रखने की एवज में 50 हजार रुपए की डिमांड परिवादी से की गई थी.
उसके बाद सोमवार को दलाल रोशन चीता के अजमेर से बाहर होने के कारण रिश्वत की राशि परिवादी से नहीं ली गई. मंगलवार को रोशन चीता जब बाहर से लौटा तो उसने परिवादी से बातचीत की ईदगाह क्षेत्र में रोशन चीता ने परिवादी को अपनी दुकान पर बुलाया जहां पर एसीबी की टीम ने कार्रवाई को अंजाम देते हुए वैशाली नगर स्थित अरावली विहार के मकान नंबर बी-42 निवासी बीजेपी पार्षद वीरेंद्र वालिया और चौरसिया वास स्थित ईदगाह कॉलोनी निवासी रोशन चीता को परिवादी से 20 हजार रुपए की राशि लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. उन्होंने बताया कि एसीबी की ओर से मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान किया जाएगा.
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तीसरे आरोपी की लिप्तता की कर रहे पड़ताल
उन्होंने बताया कि मामले में दो परिवादी हैं दोनों का नाम गोपनीय रखा गया है. बातचीत में डीएसपी पारसमल ने बताया कि सत्यापन के दौरान पार्षद मौजूद थे. पार्षद विरेंद्र वालिया लगातार परिवादी से संपर्क में थे और डिमांड कर रहे थे. साथ ही नगर निगम के अधिकारियों के नाम लेकर परिवादी को धमकाया जा रहा था. उन्होंने बताया कि मामले में तीसरा आरोपी भी है जो सत्यापन के वक्त मौजूद था. अनुसंधान में उसकी लिप्तता के बारे में जांच की जा रही है.
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जमीनों का कारोबारी है वालिया
बीजेपी पार्षद वीरेंद्र वालिया की गिनती अजमेर के भू माफिया में आती है. यूं तो वालिया नगर निगम और अजमेर विकास प्राधिकरण में ठेकेदार भी है, लेकिन लंबे समय से जमीनों का कारोबार करते रहा है. वालिया सरकारी जमीन पर कब्जा करने और बेचने के मामले में सक्रिय रहा है. अपने ऊंचे रसुखातों और दबंग छवि के वजह से लोग भी उसके खिलाफ शिकायत देने से कतराते हैं. बताया जाता है कि दिल्ली और जयपुर में भी वालिया पार्टनरशिप में फ्लैट निर्माण का कार्य करता है. कार्रवाई के दौरान आरोपी पार्षद वीरेंद्र वालिया कैमरे के सामने क्षेत्र में अतिक्रमण और बांग्लादेशियों के होने की बात जोर-जोर से कहने लगा. वहीं खुद को झूठा फंसाने का आरोप भी लगाया.
दूसरी बार वालिया रहा है पार्षद
वालिया नगर निगम में दूसरी बार पार्षद रहे हैं. दोनों बार अलग-अलग वार्ड से वह जीता है. इसके अलावा वह बीजेपी का सक्रिय कार्यकर्ता भी है. अजमेर उत्तर क्षेत्र में वह विधायक वासुदेव देवनानी के करीबी माना जाता है. एसीबी के शिकंजे में फंसे पार्षद वालिया के मामले से अन्य पार्षदों में भी हड़कंप मच गया है. इस कार्रवाई की सूचना सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कई पार्षदों ने अपने मोबाइल फोन तक स्विच ऑफ कर लिए हैं.