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प्रदेश के 190 स्कूलों को किया गया मर्ज, 169 स्कूलों में थे शून्य नामांकन - SCHOOLS MERGED IN RAJASTHAN

प्रदेश के 190 स्कूलों को मर्ज किया गया है. इनमें से 169 स्कूलों में एक भी बच्चे नहीं पढ़ते थे.

प्रदेश के 190 स्कूलों को किया गया मर्ज
प्रदेश के 190 स्कूलों को किया गया मर्ज (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 19 hours ago

जयपुर : प्रदेश के जिन स्कूलों में एक भी छात्र नहीं पढ़ता या छात्रों की संख्या बहुत कम है, ऐसे 190 स्कूलों को मर्ज किया गया है. मर्ज होने वाले स्कूलों में सबसे ज्यादा जयपुर और जोधपुर के 20-20 स्कूल शामिल हैं. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर इस संबंध में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने आदेश जारी किए.

विपरीत रूप से प्रभावित हो रही थी शिक्षा की गुणवत्ता : बीते दिनों प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारियों से उनके क्षेत्र के ऐसे स्कूल, जिनमें एक भी छात्र नहीं पढ़ता और कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की सूची मांगी गई थी. इस सूची के साथ ही आसपास के दूसरे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सूची भी मांगी गई. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि इनमें 169 राजकीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे थे, जिनके बेहद नजदीक एक और सरकारी स्कूल संचालित होने के कारण पर्याप्त नामांकन छात्र संख्या उपलब्ध नहीं हो पाती थी. इसी कारण आरटीई मापदंडों के अनुसार अध्यापकों के पद स्वीकृत करने के बावजूद भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पाए थे और शिक्षा की गुणवत्ता विपरीत रूप से प्रभावित हो रही थी. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए शून्य नामांकन वाले राजकीय प्राथमिक/ उच्च प्राथमिक विद्यालय ग्राम के निकट अन्य प्राथमिक / उच्च प्राथमिक विद्यालय में मर्ज कर दिया गया है.

इसे भी पढ़ें. प्रदेश के सभी संभागों में खुलेगा बालिका सैनिक स्कूल, जमीन चिह्नित करने और फंड जुटाने का काम शुरू

इसी तरह एक ही परिसर में संचालित 21 विद्यालयों को भी मर्ज किया गया है. एक ही परिसर में एक से अधिक स्कूल संचालित होने से इन विद्यालयों में पर्याप्त नामांकन नहीं हो पाता था. शिक्षा मंत्री ने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से राज्य सरकार ने ये कदम उठाया गया है. इससे स्कूलों में संसाधन और पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे. वहीं, जिन स्कूलों को मर्ज किया गया है, वहां के सरप्लस शिक्षकों को अब दूसरे स्कूलों के खाली पदों पर लगाया जाएगा. तब तक टीचर्स को नजदीकी स्कूल में जाना होगा.

यहां मर्ज किए गए स्कूल : अलवर में 5, अजमेर में 2, बालोतरा में 7, बांसवाड़ा में 3, बारां में 1, बाड़मेर में 5, ब्यावर में 3, भीलवाड़ा में 4, भरतपुर में 2, बीकानेर में 5, बूंदी में 3, चित्तौड़गढ़ में 2, चूरू में 6, दौसा में 6, डीडवाना-कुचामन में 11, डूंगरपुर में 3, श्रीगंगानगर में 5, हनुमानगढ़ में 2, जयपुर में 20, जैसलमेर में 3, जालोर में 6, झालावाड़ में 5, झुंझुनू में 1, जोधपुर में 20, करौली में 10, कोटा में 4, कोटपूतली-बहरोड में 7, नागौर में 7, पाली में 5, फलोदी में 3, प्रतापगढ़ में 2, राजसमंद में 3, सवाई माधोपुर में 4, सीकर में 5, सिरोही में 2, टोंक में 2, उदयपुर में 5, खैरथल-तिजारा में 1.

जयपुर : प्रदेश के जिन स्कूलों में एक भी छात्र नहीं पढ़ता या छात्रों की संख्या बहुत कम है, ऐसे 190 स्कूलों को मर्ज किया गया है. मर्ज होने वाले स्कूलों में सबसे ज्यादा जयपुर और जोधपुर के 20-20 स्कूल शामिल हैं. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के निर्देश पर इस संबंध में प्रारंभिक शिक्षा निदेशक सीताराम जाट ने आदेश जारी किए.

विपरीत रूप से प्रभावित हो रही थी शिक्षा की गुणवत्ता : बीते दिनों प्रदेश के जिला शिक्षा अधिकारियों से उनके क्षेत्र के ऐसे स्कूल, जिनमें एक भी छात्र नहीं पढ़ता और कम छात्र संख्या वाले स्कूलों की सूची मांगी गई थी. इस सूची के साथ ही आसपास के दूसरे प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों की सूची भी मांगी गई. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि इनमें 169 राजकीय प्राथमिक/उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐसे थे, जिनके बेहद नजदीक एक और सरकारी स्कूल संचालित होने के कारण पर्याप्त नामांकन छात्र संख्या उपलब्ध नहीं हो पाती थी. इसी कारण आरटीई मापदंडों के अनुसार अध्यापकों के पद स्वीकृत करने के बावजूद भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हो पाए थे और शिक्षा की गुणवत्ता विपरीत रूप से प्रभावित हो रही थी. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए शून्य नामांकन वाले राजकीय प्राथमिक/ उच्च प्राथमिक विद्यालय ग्राम के निकट अन्य प्राथमिक / उच्च प्राथमिक विद्यालय में मर्ज कर दिया गया है.

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इसी तरह एक ही परिसर में संचालित 21 विद्यालयों को भी मर्ज किया गया है. एक ही परिसर में एक से अधिक स्कूल संचालित होने से इन विद्यालयों में पर्याप्त नामांकन नहीं हो पाता था. शिक्षा मंत्री ने कहा कि शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार की दृष्टि से राज्य सरकार ने ये कदम उठाया गया है. इससे स्कूलों में संसाधन और पर्याप्त शिक्षक उपलब्ध हो सकेंगे. वहीं, जिन स्कूलों को मर्ज किया गया है, वहां के सरप्लस शिक्षकों को अब दूसरे स्कूलों के खाली पदों पर लगाया जाएगा. तब तक टीचर्स को नजदीकी स्कूल में जाना होगा.

यहां मर्ज किए गए स्कूल : अलवर में 5, अजमेर में 2, बालोतरा में 7, बांसवाड़ा में 3, बारां में 1, बाड़मेर में 5, ब्यावर में 3, भीलवाड़ा में 4, भरतपुर में 2, बीकानेर में 5, बूंदी में 3, चित्तौड़गढ़ में 2, चूरू में 6, दौसा में 6, डीडवाना-कुचामन में 11, डूंगरपुर में 3, श्रीगंगानगर में 5, हनुमानगढ़ में 2, जयपुर में 20, जैसलमेर में 3, जालोर में 6, झालावाड़ में 5, झुंझुनू में 1, जोधपुर में 20, करौली में 10, कोटा में 4, कोटपूतली-बहरोड में 7, नागौर में 7, पाली में 5, फलोदी में 3, प्रतापगढ़ में 2, राजसमंद में 3, सवाई माधोपुर में 4, सीकर में 5, सिरोही में 2, टोंक में 2, उदयपुर में 5, खैरथल-तिजारा में 1.

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