उदयपुर. पूरे देश में गणेशोत्सव धूम-धाम से मनाया जा रहा है. गणेश महोत्सव पर हर रोज बड़ी संख्या में भक्त गजानंद महाराज के दर्शन करने के लिए पहुंच रहे हैं. इसी कड़ी में आज हम आपको राजस्थान के उदयपुर शहर में स्थित 291 साल पुराने सुंदरी विनायक मंदिर की महिमा और यहां की विशेषता के बारे में बता रहे हैं. इस मंदिर में भगवान गणेश की अलौकिक प्रतिमा स्थापित है. शहर के कालाजी गोराजी में स्थित 12 भुजाओं वाले गणपति मंदिर की विशेष मान्यता है.
मंदिर के व्यवस्थापक मोहनलाल भट्ट ने बताया कि यह पुश्तैनी मंदिर है. इस मंदिर को सुंदरी विनायक मंदिर (Sundari Vinayak Mandir) भी कहा जाता है. भगवान गणेश की मूर्ति की तीन से चार अलग-अलग विशेषताएं हैं. भगवान गणेश की इस मूर्ति में सूंड दाहिनी तरफ है, लेकिन बाकी अधिकांश मूर्तियों में भगवान गणेश की सूंड बाई तरफ होती हैं. 4 फीट लंबी और 3 फुट चौड़ी प्रतिमा में दोनों तरफ 6-6 हाथ हैं. यानि कुल 12 भुजाएं हैं.
नाभि में संदरी माता स्थापित: बायीं ओर की 6 भुजाओं में त्रिशूल, चक्र, धनुष, माला, गदा और लड्डू है. वहीं दायीं ओर 6 हाथों में (Ganesh Idol with 12 Hands) कमल, पाश, अनाज की बाली और नाभि में सुंदरी माता के छोटी प्रतिमा स्थापित है. प्रतिमा के पीछे तोरण के दोनों स्तंभों पर ऋषियों का समूह, शिव-पार्वती और विष्णु-लक्ष्मी अंकित है. इस प्रतिमा में भगवान गणेश का वाहन कहीं भी अंकित नहीं है. लेकिन नंदी बैल, गज और सिंह, गरुड़ अंकित है. पेट पर सुंदरी माता जी विराजित हैं. इसलिए इन्हें सुंदरी विनायक कहते हैं.
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मोहनलाल भट्ट ने बताया कि शिव और शक्ति की उपासना इस मूर्ति से की (Ganesh Idol with trunk on Right side) जाती है. उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज शिव और शक्ति की एक साथ उपासना करते थे. 290 वर्ष पूर्व महाराणा संग्राम सिंह के समय जगराम भट्ट को इसकी पूजा की जिम्मेदारी दी गई थी. तब से ही हमारा परिवार सेवा कर रहा है.
इतिहासकार श्रीकृष्ण जुगनू ने बताया कि सबसे प्राचीन गणेश की प्रतिमाओं में सुंदर विनायक के रूप में यह प्रतिमा स्थापित है. भगवान गणेश की यह प्रतिमा 12 भुजाओं वाली है, जो एक सफेद पत्थर पर बनी हुई है. शारदा तिलक ग्रंथ में वर्णित शक्ति गणपति के ध्यान से वर्णित है. यहां भगवान गणेश के दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.