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राजस्थान में यहां झमाझम बारिश, तापमान में गिरावट...किसानों के खिले चेहरे - bhilwara rain news

लेकसिटी उदयपुर में बुधवार को एक बार फिर मौसम के मिजाज में बदलाव देखने को मिला. सुबह से ही आसमान में काले बादल मंडराने लगे, जो दोपहर 12:00 बजे अचानक रिमझिम बारिश में बदल गए. जबकि भीलवाड़ा जिले में बीते 15 दिन बाद आज फिर इंद्र देव मेहरबान हुए भीलवाड़ा शहर सहित जिले में एक घंटे तक रिमझिम तो कहीं मूसलाधार बारिश हुई. जिससे खरीफ की फसलों के रूप में बोई गई मूंग, उड़द, ज्वार और तिल की फसलों को जीवनदान मिला.

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Published : Sep 1, 2021, 1:27 PM IST

उदयपुर. राजस्थान के कई जिलों में आज भी बारिश का दौर जारी है. उदयपुर कई इलाकों में झमाझम बारिश हुई जिससे लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली. हालांकि, जन्माष्टमी के बाद फिर से एक बार मानसून के करवट बदलने से हर दिन रुक-रुक कर बारिश हो रही है. ऐसे में तापमान में गिरावट के साथ लेकसिटी में मौसम भी खुशनुमा बना हुआ है. लेकिन कैचमेंट इलाकों में बारिश नहीं होने से फिलहाल उदयपुर की झीलो में पानी की आवक नहीं बढ़ी है.

ऐसे में लोग अब भगवान से यही दुआ करने में जुटे हुए हैं कि इस महीने अधिक बारिश हो, जिससे झीलों में भी पानी की आवक हो. हालांकि, एक बार फिर शुरू हुई बारिश ने किसानों के चेहरों पर रौनक ला दी, क्योंकि पिछले लंबे समय से किसान अपनी फसलों को लेकर चिंतित नजर आ रहे थे. ऐसे में मानसून के फिर से एक्टिव होने से किसानों ने भी राहत की सांस ली है. वहीं, इस बार लेकसिटी उदयपुर में अब तक औसत से भी कम बारिश हुई है.

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उदयपुर-भीलवाड़ा में जोरदार बारिश...

मौसम विभाग के जानकारों का कहना है कि जन्माष्टमी के बाद से ही मौसम फिर बदल रहा है. ऐसे में आने वाले सप्ताह में अच्छी बारिश होने की संभावनाएं जताई जा रही है. पिछले 3 दिनों से जहां उदयपुर के ग्रामीण इलाकों में भी तेज और जोरदार बारिश देखने को मिली वहीं दूसरी तरफ इस बदलते मौसम का लुफ्त उठाने के लिए देसी-विदेशी सैलानी भी लेकसिटी की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल इन दिनों पर्यटकों से गुलजार नजर आ रहे हैं.

पढ़ें : जोधपुर में बड़ा हादसा : मूर्ति विसर्जन के लिए पानी देखने गए युवक कुड़ी हौद में डूबे, दो भाई समेत तीन की मौत

भीलवाड़ा पर भी इंद्र देव मेरहरबान...

भीलवाड़ा जिले में बीते 15 दिन बाद आज फिर इंद्र देव मेहरबान हुए. जहां भीलवाड़ा शहर सहित जिले में एक घंटे तक जमकर बारिश हुई. जिससे खरीफ की फसलों के रूप में बोई गई मूंग, उड़द, ज्वार, तिल की फसलों को जीवनदान मिला. हालांकि, गत वर्ष की तुलना में इस बार वर्षा कम होने के कारण जिले के सभी बांध पानी का इंतजार कर रहे हैं. यहां तक कि बनास नदी में भी एक बार पानी का प्रवाह आया था, लेकिन अभी सुखी नजर आ रही है.

उदयपुर. राजस्थान के कई जिलों में आज भी बारिश का दौर जारी है. उदयपुर कई इलाकों में झमाझम बारिश हुई जिससे लोगों को उमस भरी गर्मी से राहत मिली. हालांकि, जन्माष्टमी के बाद फिर से एक बार मानसून के करवट बदलने से हर दिन रुक-रुक कर बारिश हो रही है. ऐसे में तापमान में गिरावट के साथ लेकसिटी में मौसम भी खुशनुमा बना हुआ है. लेकिन कैचमेंट इलाकों में बारिश नहीं होने से फिलहाल उदयपुर की झीलो में पानी की आवक नहीं बढ़ी है.

ऐसे में लोग अब भगवान से यही दुआ करने में जुटे हुए हैं कि इस महीने अधिक बारिश हो, जिससे झीलों में भी पानी की आवक हो. हालांकि, एक बार फिर शुरू हुई बारिश ने किसानों के चेहरों पर रौनक ला दी, क्योंकि पिछले लंबे समय से किसान अपनी फसलों को लेकर चिंतित नजर आ रहे थे. ऐसे में मानसून के फिर से एक्टिव होने से किसानों ने भी राहत की सांस ली है. वहीं, इस बार लेकसिटी उदयपुर में अब तक औसत से भी कम बारिश हुई है.

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उदयपुर-भीलवाड़ा में जोरदार बारिश...

मौसम विभाग के जानकारों का कहना है कि जन्माष्टमी के बाद से ही मौसम फिर बदल रहा है. ऐसे में आने वाले सप्ताह में अच्छी बारिश होने की संभावनाएं जताई जा रही है. पिछले 3 दिनों से जहां उदयपुर के ग्रामीण इलाकों में भी तेज और जोरदार बारिश देखने को मिली वहीं दूसरी तरफ इस बदलते मौसम का लुफ्त उठाने के लिए देसी-विदेशी सैलानी भी लेकसिटी की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में शहर के प्रमुख पर्यटन स्थल इन दिनों पर्यटकों से गुलजार नजर आ रहे हैं.

पढ़ें : जोधपुर में बड़ा हादसा : मूर्ति विसर्जन के लिए पानी देखने गए युवक कुड़ी हौद में डूबे, दो भाई समेत तीन की मौत

भीलवाड़ा पर भी इंद्र देव मेरहरबान...

भीलवाड़ा जिले में बीते 15 दिन बाद आज फिर इंद्र देव मेहरबान हुए. जहां भीलवाड़ा शहर सहित जिले में एक घंटे तक जमकर बारिश हुई. जिससे खरीफ की फसलों के रूप में बोई गई मूंग, उड़द, ज्वार, तिल की फसलों को जीवनदान मिला. हालांकि, गत वर्ष की तुलना में इस बार वर्षा कम होने के कारण जिले के सभी बांध पानी का इंतजार कर रहे हैं. यहां तक कि बनास नदी में भी एक बार पानी का प्रवाह आया था, लेकिन अभी सुखी नजर आ रही है.

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