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पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में हुई दीक्षा संस्कार विधि, वैराग्य दृश्य देख आखों से छलके आंसू

जिले के झाडोल में श्री मल्लीनाथ जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में तप कल्याणक के अवसर पर आचार्य अनुभवसागर महाराज ने कहा कि पैसा और प्रसिद्धि किसी भी प्राणी को वास्तविक एवं स्थाई सुख नहीं दे सकते. यह तात्कालिक शांति तो देते हैं, किंतु पुनः हमारी अभिलाषाओं और इच्छाओं को और बढ़ा देते हैं.

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में हुई दीक्षा संस्कार विधि
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Published : May 21, 2019, 10:02 PM IST

Updated : May 21, 2019, 10:39 PM IST

सलूम्बर (उदयपुर). जिले के झाडोल में श्री मल्लीनाथ जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में तप कल्याणक के अवसर पर आचार्य अनुभवसागर महाराज ने कहा कि पैसा और प्रसिद्धि किसी भी प्राणी को वास्तविक एवं स्थाई सुख नहीं दे सकते. यह तात्कालिक शांति तो देते हैं, किंतु पुनः हमारी अभिलाषाओं इच्छाओं को और बढ़ा देते हैं. एक ही पदार्थ भूख और प्यास लगने पर बहुत अच्छा लगता है, वहीं पदार्थ भूख और प्यास की पूर्ति होने के उपरांत हमें जहर सा प्रतीत होने लगता है, इसलिए प्रश्न यह उठता है कि क्या पदार्थ सुख का कारण है? आचार्य कहते हैं नहीं. शरीर को जब तक जरूरत होती है तब तक यह पदार्थ सुख देते हैं किंतु शरीर की जरूरत पूरी होते ही वही मनोहर पदार्थ हमें जहर से प्रतीत होने लगते हैं.

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में हुई दीक्षा संस्कार विधि

विधिवत बने मल्लीकुमार राजकुमार से दिगम्बर मुनिराज-

प्रवक्ता अनिल स्वर्णकार ने बताया कि प्रातः प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन, विधानाचार्य कमलेश सिंघवी सलूम्बर के निर्देशन में जन्म कल्याणक पूजन हुई. इस अवसर पर घट यात्रा निकली जिसमें महिलाओं ने मंगल कलश धारण किए. घट यात्रा के नवनिर्मित मंदिर पर पहुंचने पर नवनिर्मित वेदीयों की शुद्धि की गई. 32 मुकुटबद्ध राजाओं द्वारा विभिन्न भेंट प्रदान की गयी. दोपहर में राजा कुंभ का दरबार लगा. राजकुमार मल्लीकुमार ने धन वैभव परिवार को त्याग कर वन गमन कर दीक्षा धारण करने का निर्णय ले लिया. माता-पिता का घर, परिवार धन, पैसा, वैभव, वैराग्य उनकों नहीं रोक पाया. लोकान्तिक देवों ने वैराग्य की अनुमोदना की. उसी समय पर वैराग्य को धारण कर जैनेश्वरी दीक्षा को स्वीकार किया और राजकुमार से दिगम्बर मुनिराज बन गए. मुनि दीक्षा संस्कार विधि आचार्य अनुभवसागर महाराज ने सम्पन्न कराई. मुनि मल्लिनाथ को कमंडल सुंदरलाल नेणचंद सकरावत ने,पिच्छीका सन्जय नाथूराम सेलावत परिवार ने भेंट की. केशलोंच झेलने के सौभाग्य अंकित वेणीचन्द धुरावत परिवार को मिला. वैराग्य के समय मल्लीकुमार की विदाई के पलों ने सारे वातावरण को अश्रुपूर्ण कर दिया और सभी ने भावविभोर होकर मल्लीकुमार को विदाई दी. माता पिता सहित कई श्रावक श्राविकाओं के वैराग्य दृश्य को देखकर आखों से आंसू छलक गए. शाम को श्रीजी ओर आचार्य श्री की आरती हुई. बुधवार को पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में महामुनि राज की आहार चर्या होगी दोपहर में भगवान का समवशरण शरण लगेगा.

कार्यक्रम में उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा, उदयपुर जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, सरस डेयरी अध्यक्ष डॉ गीता पटेल, सलूम्बर विधायक अमृत लाल मीणा, पूर्व उपप्रधान धुलचन्द वीरमोत जिला अध्यक्ष भंवर सिंह पंवार, गिर्वा प्रधान तख्त सिंह, प्रमोद सामर ने पहुंचकर आचार्य ने अनुभवसागर महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया.

सलूम्बर (उदयपुर). जिले के झाडोल में श्री मल्लीनाथ जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में तप कल्याणक के अवसर पर आचार्य अनुभवसागर महाराज ने कहा कि पैसा और प्रसिद्धि किसी भी प्राणी को वास्तविक एवं स्थाई सुख नहीं दे सकते. यह तात्कालिक शांति तो देते हैं, किंतु पुनः हमारी अभिलाषाओं इच्छाओं को और बढ़ा देते हैं. एक ही पदार्थ भूख और प्यास लगने पर बहुत अच्छा लगता है, वहीं पदार्थ भूख और प्यास की पूर्ति होने के उपरांत हमें जहर सा प्रतीत होने लगता है, इसलिए प्रश्न यह उठता है कि क्या पदार्थ सुख का कारण है? आचार्य कहते हैं नहीं. शरीर को जब तक जरूरत होती है तब तक यह पदार्थ सुख देते हैं किंतु शरीर की जरूरत पूरी होते ही वही मनोहर पदार्थ हमें जहर से प्रतीत होने लगते हैं.

पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में हुई दीक्षा संस्कार विधि

विधिवत बने मल्लीकुमार राजकुमार से दिगम्बर मुनिराज-

प्रवक्ता अनिल स्वर्णकार ने बताया कि प्रातः प्रतिष्ठाचार्य ऋषभ जैन, विधानाचार्य कमलेश सिंघवी सलूम्बर के निर्देशन में जन्म कल्याणक पूजन हुई. इस अवसर पर घट यात्रा निकली जिसमें महिलाओं ने मंगल कलश धारण किए. घट यात्रा के नवनिर्मित मंदिर पर पहुंचने पर नवनिर्मित वेदीयों की शुद्धि की गई. 32 मुकुटबद्ध राजाओं द्वारा विभिन्न भेंट प्रदान की गयी. दोपहर में राजा कुंभ का दरबार लगा. राजकुमार मल्लीकुमार ने धन वैभव परिवार को त्याग कर वन गमन कर दीक्षा धारण करने का निर्णय ले लिया. माता-पिता का घर, परिवार धन, पैसा, वैभव, वैराग्य उनकों नहीं रोक पाया. लोकान्तिक देवों ने वैराग्य की अनुमोदना की. उसी समय पर वैराग्य को धारण कर जैनेश्वरी दीक्षा को स्वीकार किया और राजकुमार से दिगम्बर मुनिराज बन गए. मुनि दीक्षा संस्कार विधि आचार्य अनुभवसागर महाराज ने सम्पन्न कराई. मुनि मल्लिनाथ को कमंडल सुंदरलाल नेणचंद सकरावत ने,पिच्छीका सन्जय नाथूराम सेलावत परिवार ने भेंट की. केशलोंच झेलने के सौभाग्य अंकित वेणीचन्द धुरावत परिवार को मिला. वैराग्य के समय मल्लीकुमार की विदाई के पलों ने सारे वातावरण को अश्रुपूर्ण कर दिया और सभी ने भावविभोर होकर मल्लीकुमार को विदाई दी. माता पिता सहित कई श्रावक श्राविकाओं के वैराग्य दृश्य को देखकर आखों से आंसू छलक गए. शाम को श्रीजी ओर आचार्य श्री की आरती हुई. बुधवार को पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में महामुनि राज की आहार चर्या होगी दोपहर में भगवान का समवशरण शरण लगेगा.

कार्यक्रम में उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा, उदयपुर जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, सरस डेयरी अध्यक्ष डॉ गीता पटेल, सलूम्बर विधायक अमृत लाल मीणा, पूर्व उपप्रधान धुलचन्द वीरमोत जिला अध्यक्ष भंवर सिंह पंवार, गिर्वा प्रधान तख्त सिंह, प्रमोद सामर ने पहुंचकर आचार्य ने अनुभवसागर महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया.

Intro:वैराग्य दृश्य पर आखों से छलके आंसू,
माता ,पिता,धन, परिवार नही रोक पाये वैराग्य
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में हुई दीक्षा संस्कार विधी,

उदयपुर जिले के झाडोल में श्री मल्लीनाथ जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में तप कल्याणक के अवसर पर आचार्य अनुभवसागर महाराज ने कहा कि पैसा और प्रसिद्धि किसी भी प्राणी को वास्तविक एवं स्थाई सुख नहीं दे सकते ।यह तात्कालिक शांति तो देते हैं, किंतु पुनःहमारी अभिलाषाओं इच्छाओं को और बढ़ा देते हैं। Body:वैराग्य दृश्य पर आखों से छलके आंसू,
माता ,पिता,धन, परिवार नही रोक पाये वैराग्य
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में हुई दीक्षा संस्कार विधी,

उदयपुर जिले के झाडोल में श्री मल्लीनाथ जिन बिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में तप कल्याणक के अवसर पर आचार्य अनुभवसागर महाराज ने कहा कि पैसा और प्रसिद्धि किसी भी प्राणी को वास्तविक एवं स्थाई सुख नहीं दे सकते ।यह तात्कालिक शांति तो देते हैं, किंतु पुनःहमारी अभिलाषाओं इच्छाओं को और बढ़ा देते हैं।एक ही पदार्थ भूख और प्यास लगने पर बहुत अच्छा लगता है, वही पदार्थ भूख और प्यास की पूर्ति होने के उपरांत हमें ज़हर सा प्रतीत होने लगता है,अतः प्रश्न यह उठता है- क्या पदार्थ सुख का कारण है? आचार्य कहते हैं -नहीं ! शरीर को जब तक जरूरत होती है तब तक यह पदार्थ सुख देते हैं किंतु शरीर की जरूरत पूरी होते ही वही मनोहर पदार्थ हमें जहर  से प्रतीत होने लगते हैं।फिर भी संसारी प्राणी जन्म से लेकर मरण तक उन्हीं के संग्रह में अपना संपूर्ण महत्वपूर्ण जीवन यूं ही गवा देता है। हमें शरीर को संभालना है, किंतु सजाना नहीं ।गृहस्थी में रहते हुए अगर इतना भी पुरुषार्थ कर लिया तो यही परंपरा से वैराग्य और मुक्ति का सशक्त कारण बन सकता है। प्रभु मल्लीनाथ पूर्व भव जातिस्मरण से विवाह मण्डप को देखकर अपने जीवन की दिशा को वैराग्य की ओर मोड़ लिया और दूसरी ओर हम अपने क्षणिक सुख और प्रदर्शन के लिए, नश्वर शरीर की सुंदरता के लिए  प्राणियों की हिंसा से बने पदार्थों का धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं । आचार्य श्री ने कहा कि मानव होना सरल बात है लेकिन अपने अंदर मानवता को जागृत करना बड़ा कठिन है।  प्रवक्ता अनिल स्वर्णकार ने बताया कि  प्रातः प्रतिष्ठाचार्य  ऋषभ  जैन , विधानाचार्य  कमलेश सिंघवी  सलूम्बर के निर्देशन में  जन्म कल्याणक  पूजन हुई ।इस अवसर पर घट यात्रा निकली जिसमें महिलाओं ने मंगल कलश धारण किए ,घट यात्रा के नवनिर्मित मंदिर पर पहुंचने पर नवनिर्मित  वेदीयो की शुद्धि की गई । 32 मुकुट बद्ध राजाओं द्वारा विभिन्न भेंट प्रदान की गयी। दोपहर में राजा कुंभ का दरबार लगा राजकुमार मल्लीकुमार ने धन वैभव परिवार को त्याग कर वन गमन कर दीक्षा धारण करने का निर्णय ले लिया। माता-पिता घर परिवार धन पैसा वैभव वैराग्य को नहीं रोक पाया ।लोकान्तिक देवों ने वैराग्य की अनुमोदना की। उसी समय पर वैराग्य को धारण कर जैनेश्वरी दीक्षा को स्वीकार किया और राजकुमार से दिगम्बर मुनिराज बन गए। मुनि दीक्षा संस्कार विधि आचार्य अनुभवसागर महाराजने सम्पन्न कराई। मुनि मल्लिनाथ को कमंडल सुंदरलाल नेणचंद सकरावत ने,पिच्छीका सन्जय नाथूराम सेलावत परिवार ने भेंट की। केशलोंच झेलने के सोभाग्य अंकित वेणीचन्द धुरावत परिवार को मिला। वैराग्य के समय मल्लीकुमार की विदाई के पलों ने सारे वातावरण को अश्रुपूर्ण कर दिया और सभी ने भावविभोर होकर मल्लीकुमार को विदाई दी। माता पिता सहित कई श्रावक श्राविकाओं के वैराग्य दृश्य को देखकर आखों से आंसू छलक गए। शाम को श्रीजी ओर आचार्य श्री की आरती हुई।बुधवार को पंचकल्याणक प्रतिष्ठा में महामुनि राज की आहार चर्या होगी दोपहर में भगवान का समवशरण शरण लगेगा। आचार्य श्री के दिव्य ध्वनि खिरेगी ।आचार्य श्री धार्मिक शंकाओं का समाधान करेंगे।

विजुअल। झाडोल प्रतिष्ठा महोत्सव में विभिन्न आयोजन होता हुआ। Conclusion:कार्यक्रम में उदयपुर सांसद अर्जुन लाल मीणा ,उदयपुर जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल ,सरस डेयरी अध्यक्ष डॉ गीता पटेल, सलूम्बर विधायक अमृत लाल मीणा , पूर्व उपप्रधान धुलचन्द वीरमोत जिला अध्यक्ष भँवर सिंह पंवार, गिर्वा प्रधान तख्त सिंह, प्रमोद सामर ने पहुंचकर आचार्य ने अनुभवसागर महाराज से आशीर्वाद प्राप्त किया।
Last Updated : May 21, 2019, 10:39 PM IST
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