उदयपुर. राजस्थान के उदयपुर में जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर आगामी एक जुलाई को भगवान अपने भक्तों का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे (Jagannath Rath Yatra In Udaipur). इस रथ यात्रा में हजारों की संख्या में भक्त शामिल होंगे. भगवान जगदीश की रथ यात्रा (God Jagannath Procession) के आयोजन को लेकर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है. 2 साल के बाद भगवान जगदीश की रथ यात्रा शाही ठाठ बाट के साथ निकाली जाएगी. कोरोना के कारण पिछले 2 साल से ये यात्रा नहीं निकाली जा रही थी. पिछले 25 सालों से प्रभु को रथ में सवार कराकर भ्रमण कराने की परम्परा निभाई जा रही है. राजस्थान की सबसे बड़ी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए विशाल रजत रथ तैयार किया गया है. इसके लिए 2 साल से कड़ी मेहनत की जा रही है.अब इसका कार्य अंतिम चरणों में है. 28 खंडों को मिलकर इस रजत रथ का निर्माण किया गया है. इसमें 90 किलो चांदी का प्रयोग किया गया है.
तैयारी पूरी है: पुरी की तर्ज पर उदयपुर की भव्य जगन्नाथ यात्रा भी दर्शनीय है. भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ यात्रा को देखने के लिए देश दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी उदयपुर पहुंचते हैं. इस बार रथयात्रा में विभिन्न समाजों की 70 से अधिक झांकियां शामिल होंगी. जगदीश चौक प्रांगण से भगवान जगन्नाथ की विशाल रथ यात्रा का शुभारंभ होगा. 21 बंदूकों की सलामी के साथ यात्रा आगे बढ़ेगी. रथयात्रा शहर के प्रमुख मार्गो से होती हुई निकलेगी. जहां हजारों की संख्या की संख्या में भक्तों के जुटने की उम्मीद हैय ये पुष्प वर्षा कर अपने आराध्य देव का स्वागत करेंगे. योजनानुसार रथ यात्रा मार्ग को दुल्हन की तरह सजाया जाएगा. शहर भर में 21 हजार से अधिक भगवा ध्वज लगाए जाएंगे.
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भगवान का विशेष रथ: राजस्थान की सबसे बड़ी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए विशाल रथ तैयार किया गया है. दो साल से श्रीरथ समिति के कार्यकर्ता लगातार इस काम में जुटे हुए थे.अब इस रजत रथ का लगभग कार्य पूरा हो चुका है. रथ समिति के अध्यक्ष राजेंद्र श्रीमाली ने बताया कि रजत रथ मे करीब 90 किलो चांदी चढ़ाई गई है.भगवान जगन्नाथ का नया रथ अत्याधुनिक तकनीक से युक्त बनाया गया है. रथ की लंबाई 8 फीट और ऊंचाई 21 फीट रखी गई है. रथ के पहियों को 6 इंच अंदर लिया गया है. पिलर में हैदराबादी की नक्काशी है.इस बार रथ में लगे घोड़े का स्वरूप भी चेंज किया गया है. जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन आसानी से हो सके. रथ में लगे घोड़े उत्तराखंड से बनवाए गए हैं. यह रथ सागवान की लकड़ी से निर्मित है. इसके ऊपर 90 किलो चांदी की परत चढ़ाई गई.
भगवान जगदीश की रथ यात्रा की यह परंपरा करीब 400 वर्ष पुरानी है.मंदिर स्थापना के साथ शुरू इस रथयात्रा के परंपरा आज भी बखूबी जारी है.पहले जहां मंदिर परिसर में ही भगवान की रथ यात्रा का आयोजन होता था लेकिन दो दशकों से रथ यात्रा का भव्य स्वरूप दिया गया और शहर कोट के अंदर रथ यात्रा निकाली जाने लगी.