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छात्रा की खुदकुशी के बाद से छात्रावास में खौफ, कई छात्राएं घर लौटी

राजकीय महाविद्यालय जनजाति आश्रम छात्रावास में 16 फरवरी को एक छात्रा द्वारा फंदे पर झूल कर खुदकुशी करने के बाद से छात्रावास में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है। घटना के 3 दिन बाद भी छात्राएं खौफ में है और उस हादसे को भुला नहीं पा रही है।

Suicide
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Published : Feb 20, 2019, 12:03 AM IST

बांसवाड़ा.यहां राजकीय महाविद्यालय जनजाति आश्रम छात्रावास में 16 फरवरी को एक छात्रा द्वारा फंदे पर झूल कर खुदकुशी करने के बाद से छात्रावास में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है.घटना के 3 दिन बाद भी छात्राएं खौफ में है और उस हादसे को भुला नहीं पा रही है। कई छात्राएं डर के मारे छुट्टियां लेकर अपने घर चली गई है. वहीं परीक्षा की मजबूरी के चलते जो छात्रा यहां पर रह रही है वह भी भयभीत नजर आ रही है.खासकर रातमें छात्राएंडरी सहमी रहती है। वहीं वार्डन ने धीरे धीरे खौफ खत्म होने की बात कही है। छात्रावास में गर्ल्स और बॉयज कॉलेज की छात्राएं निवासरत है.

Suicide
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा संचालित इस छात्रावास में करीब दो दर्जन कमरे हैं जिनमें 87 छात्राएं निवास कर रही है.16 फरवरी को वंदना कुमारी गरासिया छात्रावास की कमरे में फांसी के फंदे पर झूलती मिली थी.हालांकि पुलिस और परिजनों ने पढ़ाई के तनाव में वंदना द्वारा आत्महत्या करने की बात कही है. लेकिन इस घटना के बाद से छात्रावास में भय का माहौल बना हुआ है.इस घटना के दूसरे ही दिन एक दर्जन से अधिक छात्राएं छुट्टी लेकर अपने घरों को लौट गई.बाद में यह संख्या और बढ़ती गई.मंगलवार शाम तक 87 छात्राओं वाले इस हॉस्टल में 52 छात्राएं उपस्थित थी.कुछ छात्राओं से हुई बातचीत में सामने आया कि वे अब तक उस खौफ के साए से बाहर नहीं निकल पा रही है.

बांसवाड़ा.यहां राजकीय महाविद्यालय जनजाति आश्रम छात्रावास में 16 फरवरी को एक छात्रा द्वारा फंदे पर झूल कर खुदकुशी करने के बाद से छात्रावास में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है.घटना के 3 दिन बाद भी छात्राएं खौफ में है और उस हादसे को भुला नहीं पा रही है। कई छात्राएं डर के मारे छुट्टियां लेकर अपने घर चली गई है. वहीं परीक्षा की मजबूरी के चलते जो छात्रा यहां पर रह रही है वह भी भयभीत नजर आ रही है.खासकर रातमें छात्राएंडरी सहमी रहती है। वहीं वार्डन ने धीरे धीरे खौफ खत्म होने की बात कही है। छात्रावास में गर्ल्स और बॉयज कॉलेज की छात्राएं निवासरत है.

Suicide
जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा संचालित इस छात्रावास में करीब दो दर्जन कमरे हैं जिनमें 87 छात्राएं निवास कर रही है.16 फरवरी को वंदना कुमारी गरासिया छात्रावास की कमरे में फांसी के फंदे पर झूलती मिली थी.हालांकि पुलिस और परिजनों ने पढ़ाई के तनाव में वंदना द्वारा आत्महत्या करने की बात कही है. लेकिन इस घटना के बाद से छात्रावास में भय का माहौल बना हुआ है.इस घटना के दूसरे ही दिन एक दर्जन से अधिक छात्राएं छुट्टी लेकर अपने घरों को लौट गई.बाद में यह संख्या और बढ़ती गई.मंगलवार शाम तक 87 छात्राओं वाले इस हॉस्टल में 52 छात्राएं उपस्थित थी.कुछ छात्राओं से हुई बातचीत में सामने आया कि वे अब तक उस खौफ के साए से बाहर नहीं निकल पा रही है.
Intro:बांसवाड़ा। यहां राजकीय महाविद्यालय जनजाति आश्रम छात्रावास में 16 फरवरी को एक छात्रा द्वारा फंदे पर झूल कर खुदकुशी करने के बाद से छात्रावास में अजीब सा सन्नाटा पसरा हुआ है। घटना के 3 दिन बाद भी छात्राएं खौफ में है और उस हादसे को भुला नहीं पा रही है। कई छात्राएं डर के मारे छुट्टियां लेकर अपने घर चली गई है वहीं परीक्षा की मजबूरी के चलते जो छात्रा यहां पर रह रही है वह भी भयभीत नजर आ रही है। खासकर रात्रि में छात्राएं खांसी डरी सहमी रहती है। वहीं वार्डन ने धीरे धीरे खौफ खत्म होने की बात कही है। छात्रावास में गर्ल्स और बॉयज कॉलेज की छात्राएं निवासरत है। शहर के बीचोबीच स्थित इस छात्रावास में स्नातक से लेकर स्नातकोत्तर तक की


Body:छात्राएं निवास कर रही है। जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग द्वारा संचालित इस छात्रावास में करीब दो दर्जन कमरे हैं जिनमें 87 छात्राएं निवास कर रही है। 16 फरवरी को वंदना कुमारी गरासिया छात्रावास की कमरे में फांसी के फंदे पर झूलती मिली थी। हालांकि पुलिस और परिजनों ने पढ़ाई के तनाव में वंदना द्वारा आत्महत्या करने की बात कही है लेकिन इस घटना के बाद से छात्रावास में भय का माहौल बना हुआ है। इस घटना के दूसरे ही दिन एक दर्जन से अधिक छात्राएं छुट्टी लेकर अपने घरों को लौट गई। बाद में यह संख्या और बढ़ती गई। मंगलवार शाम तक 87 छात्राओं वाले इस हॉस्टल में 52 छात्राएं उपस्थित थी। कुछ छात्राओं से हुई बातचीत में सामने आया कि वे अब तक


Conclusion:उस खौफ के साए से बाहर नहीं निकल पा रही है। वंदना मैरी कॉम नामक कमरे में तीन छात्राओं के साथ रह रही थी। उस घटना के बाद से कमरे पर ताला लगा हुआ है और उसकी रूममेट्स को अन्य कमरे में शिफ्ट कर दिया गया है। जिस कमरे में वंदना द्वारा आत्महत्या की गई उस कमरे की ओर जाने से ही छात्राएं भयभीत नजर आती है। एक छात्रा ने बताया कि दिन में तो जैसे तैसे कर निकाल लेते हैं लेकिन रात्रि में डर लगा रहता है। ग्राउंड फ्लोर पर ही रहने वाली एक अंधे छात्रा ने बताया कि यह सही है कि उस घटना के बाद से मन में अजीब सा खौफ छा गया है। रात्रि में अकेले कमरे से बाहर निकलने मैं भी डर लगता है। ग्रुप मिलने के बाद ही वह कमरे से बाहर निकल पाती है। इधर हॉस्टल वार्डन ऋतंभरा निनामा ने भी माना कि घटना के दिन छात्राएं घबरा गई थी। परिजनों ने माहौल को चेंज करने के लिहाज से कई छात्राओं को घर पर बुला लिया था लेकिन अब धीरे-धीरे माहौल बदल रहा है। हमने छात्राओं में विश्वास कायम करने के लिए अधिकारियों के जरिए उनकी काउंसलिंग में की है। जैसे-जैसे समय निकलेगा, खौफ खत्म हो जाएगा।
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