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जेल में बैंड-बाजा : कैदियों ने बनाया बैंड ग्रुप, जेल प्रोग्राम्स में परफॉर्मेंस...गाने लिखने से लेकर कंपोज तक कर रहे कैदी, अब बनेगा स्टूडियो

कहा जाता है कि जेल से छोटा अपराधी अक्सर बड़ा बदमाश बनकर निकलता है. लेकिन ये तस्वीर कुछ अलहदा है. जेलें अब वाकई सुधार गृह बन रही हैं. उदयपुर की जेल (Udaipur jail) में कुछ कैदियों ने Out Of The Box के नाम से अपना बैंड ग्रुप (Band group) बनाया है. ये कैदी सरकारी कार्यक्रमों में परफोर्म कर रहे हैं. गीत लिखने से लेकर म्यूजिक कंपोज करने तक का काम कैदी ही कर रहे हैं. जेल में अब इनका स्टूडियो भी बनेगा.

जेल में बैंड-बाजा
जेल में बैंड-बाजा
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Published : Jul 28, 2021, 7:27 PM IST

Updated : Jul 28, 2021, 11:10 PM IST

उदयपुर. बैंड बजाना मुहावरे का एक अर्थ धुनाई करना भी होता है. जेल में कैदियों को सही रास्ते पर लाने के लिए कभी-कभार उनका 'बैंड बजा' दिया जाता है. लेकिन उदयपुर की जेल में कैदी बैंड-बाजा बजाते देखे जा सकते हैं.

उदयपुर के केंद्रीय कारागृह (Udaipur Central Jail) में कैदियों को लेकर एक नवाचार (innovation) किया गया है. एक एनजीओ के सहयोग से कैदियों को गीत-संगीत का हुनर सिखाया जा रहा है. जेल प्रशासन इस उद्देश्य में काफी हद तक सफल भी हुआ है. बैंड बाजा बजाने में इस जेल के कैदी इतने माहिर हो गए हैं कि अब उन्हें जेल के बाहर चुनिंदा कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति के लिए भेजा जाने लगा है.

उदयपुर जेल में कैदियों का बैंड ग्रुप

इस नवाचार से खुश जेल प्रबंधन ने आने वाले दिनों में इस योजना का विस्तार करने की प्लानिंग की है. कोरोना के दौरान कैदियों से परिजनों के मिलने पर पाबंदी लगाई गई थी. इससे कैदियों की मनोदशा पर नकारात्मक असर पड़ा. ऐसे में जेल प्रबंधन लगातार कैदियों को सकारात्मक रखने का प्रयास कर रहा है. इसी कोशिश में जेल के करीब दो दर्जन कैदियों को गीत-संगीत से जोड़ा गया है.

पढ़ें-SPECIAL : पर्यावरण संरक्षण के लिए अलवर जिला परिषद की अभिनव पहल...कबाड़ को दिया नया रूप, सरकार ने की सराहना

ये कैदी बैंड वादन (band performance) में इतना आनंद महसूस करने लगे हैं कि बैंड बजाने के साथ-साथ गीत भी लिखते हैं और गीतों पर म्यूजिक भी खुद ही कंपोज कर रहे हैं. इन कैदियों की विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए कारागार विभाग (prison department) अब जेल में एक स्टूडियो बनाने की प्लानिंग कर रहा है.

जेल में बैंड-बाजा
सरकारी कार्यक्रम में कैदियों का बैंड वादन

राज्य की जेलों में कैदियों के कौशल प्रशिक्षण और पुनर्वास (Skill Training and Rehabilitation of Prisoners) पर आधारित कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इन्हीं कार्यक्रमों के तहत उदयपुर केंद्रीय कारागृह में कैदियों को बैंड का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अब जेल का ये बैंड इतना फेमस हो गया है कि कई सरकारी कार्यक्रमों में कैदी अपने बैंड वादन का हुनर दिखा चुके हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा तो ये कैदी निजी कार्यक्रमों में भी प्रस्तुति दे सकेंगे. बैंड वादन से होने वाली आय भी कैदियों के खाते में दर्ज होगी. साथ ही जेल से मुक्त होने के बाद इनके पास रोजगार का अवसर भी होगा.

उदयपुर की जेल में बैंड वादन के लिए बाकायदा कैदी चुने गए हैं. अब इन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जेल के 12 कैदी हाफ बैंड और पाइप बैंड बजाने में माहिर हो चुके हैं. इस तरह के बैंड इन दिनों कम दिखाई दे रहे हैं.

पढ़ें- पथरीली जमीन पर सेब बागान : चित्तौड़गढ़ में युवा किसान का कारनामा...पथरीली जमीन पर उगाए सेब, जिला कलेक्टर ने किया दौरा

जेल के बंदियों ने उत्साहित होकर 'आउट ऑफ द बॉक्स' के नाम से अपना एक म्यूजिक बैंड बना लिया है. 8 सदस्यों वाले इस म्यूजिक बैंड के लीडर जरनैल सिंह और परमेश्वर व्यास हैं.

जेल में बैंड-बाजा
बैंड वादन प्रस्तुत करते कैदी

उदयपुर जेल अधीक्षक राजेंद्र कुमार ने बताया कि उदयपुर में जेल बैंड की मांग लगातार बढ़ रही है. सरकारी कार्यक्रमों के अलावा जिला न्यायालय और बार एसोसिएशन के कार्यक्रमों के लिए भी जेल बैंड को बुलाया जाने लगा है. निर्धारित दरों पर बुकिंग हो जाने के बाद बंदियों को बैंड पर परफॉर्मेंस देने के लिए बाहर भेजा जाता है. इससे जो पैसा मिलता है उसका कुछ हिस्सा बैंड में शामिल बंदियों के खाते में दर्ज कर दिया जाता है. बाकी राशि राज्य सरकार बंदी कल्याण कोष में जमा करवाई जाती है.

उदयपुर. बैंड बजाना मुहावरे का एक अर्थ धुनाई करना भी होता है. जेल में कैदियों को सही रास्ते पर लाने के लिए कभी-कभार उनका 'बैंड बजा' दिया जाता है. लेकिन उदयपुर की जेल में कैदी बैंड-बाजा बजाते देखे जा सकते हैं.

उदयपुर के केंद्रीय कारागृह (Udaipur Central Jail) में कैदियों को लेकर एक नवाचार (innovation) किया गया है. एक एनजीओ के सहयोग से कैदियों को गीत-संगीत का हुनर सिखाया जा रहा है. जेल प्रशासन इस उद्देश्य में काफी हद तक सफल भी हुआ है. बैंड बाजा बजाने में इस जेल के कैदी इतने माहिर हो गए हैं कि अब उन्हें जेल के बाहर चुनिंदा कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति के लिए भेजा जाने लगा है.

उदयपुर जेल में कैदियों का बैंड ग्रुप

इस नवाचार से खुश जेल प्रबंधन ने आने वाले दिनों में इस योजना का विस्तार करने की प्लानिंग की है. कोरोना के दौरान कैदियों से परिजनों के मिलने पर पाबंदी लगाई गई थी. इससे कैदियों की मनोदशा पर नकारात्मक असर पड़ा. ऐसे में जेल प्रबंधन लगातार कैदियों को सकारात्मक रखने का प्रयास कर रहा है. इसी कोशिश में जेल के करीब दो दर्जन कैदियों को गीत-संगीत से जोड़ा गया है.

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ये कैदी बैंड वादन (band performance) में इतना आनंद महसूस करने लगे हैं कि बैंड बजाने के साथ-साथ गीत भी लिखते हैं और गीतों पर म्यूजिक भी खुद ही कंपोज कर रहे हैं. इन कैदियों की विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए कारागार विभाग (prison department) अब जेल में एक स्टूडियो बनाने की प्लानिंग कर रहा है.

जेल में बैंड-बाजा
सरकारी कार्यक्रम में कैदियों का बैंड वादन

राज्य की जेलों में कैदियों के कौशल प्रशिक्षण और पुनर्वास (Skill Training and Rehabilitation of Prisoners) पर आधारित कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इन्हीं कार्यक्रमों के तहत उदयपुर केंद्रीय कारागृह में कैदियों को बैंड का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. अब जेल का ये बैंड इतना फेमस हो गया है कि कई सरकारी कार्यक्रमों में कैदी अपने बैंड वादन का हुनर दिखा चुके हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा तो ये कैदी निजी कार्यक्रमों में भी प्रस्तुति दे सकेंगे. बैंड वादन से होने वाली आय भी कैदियों के खाते में दर्ज होगी. साथ ही जेल से मुक्त होने के बाद इनके पास रोजगार का अवसर भी होगा.

उदयपुर की जेल में बैंड वादन के लिए बाकायदा कैदी चुने गए हैं. अब इन्हें प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जेल के 12 कैदी हाफ बैंड और पाइप बैंड बजाने में माहिर हो चुके हैं. इस तरह के बैंड इन दिनों कम दिखाई दे रहे हैं.

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जेल के बंदियों ने उत्साहित होकर 'आउट ऑफ द बॉक्स' के नाम से अपना एक म्यूजिक बैंड बना लिया है. 8 सदस्यों वाले इस म्यूजिक बैंड के लीडर जरनैल सिंह और परमेश्वर व्यास हैं.

जेल में बैंड-बाजा
बैंड वादन प्रस्तुत करते कैदी

उदयपुर जेल अधीक्षक राजेंद्र कुमार ने बताया कि उदयपुर में जेल बैंड की मांग लगातार बढ़ रही है. सरकारी कार्यक्रमों के अलावा जिला न्यायालय और बार एसोसिएशन के कार्यक्रमों के लिए भी जेल बैंड को बुलाया जाने लगा है. निर्धारित दरों पर बुकिंग हो जाने के बाद बंदियों को बैंड पर परफॉर्मेंस देने के लिए बाहर भेजा जाता है. इससे जो पैसा मिलता है उसका कुछ हिस्सा बैंड में शामिल बंदियों के खाते में दर्ज कर दिया जाता है. बाकी राशि राज्य सरकार बंदी कल्याण कोष में जमा करवाई जाती है.

Last Updated : Jul 28, 2021, 11:10 PM IST
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