महिलाओं में उम्र ज्यादा बढ़ने के साथ बार-बार पेशाब आने या पेशाब आने जैसा महसूस होने की समस्या आमतौर पर नजर आती है. ऐसा कई कारणों से हो सकता है. आमतौर पर इस समस्या से पीड़ित महिलायें कभी शर्म या अन्य कारण से इस बारे में किसी को नहीं बताती हैं, जो गलत है. क्योंकि कई बार इस समस्या की अनदेखी समस्या के बढ़ने जैसे पेशाब से नियंत्रण हटने या कई अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकता है.
बढ़ती उम्र में बार-बार पेशाब आने की समस्या को नजरअंदाज करने से बचें महिलायें
जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हमारे शरीर में कई बदलाव आने लगते हैं, खासकर महिलाओं में. 40-50 की उम्र के बाद अक्सर महिलाओं को बार-बार पेशाब आने या पेशाब का दबाव महसूस होने की समस्या हो सकती है. यह समस्या ना केवल शारीरिक असुविधा का कारण बनती है, बल्कि सामाजिक जीवन पर भी प्रभाव डालती है.
चिकित्सकों की माने तो महिलाओं में उम्र बढ़ने के साथ बार-बार पेशाब आना या ऐसा महसूस होना सामान्य है, लेकिन इसे नजरअंदाज करना सही नहीं है. क्योंकि सही समय पर इलाज तथा अन्य सावधानियों का पालन ना करने से यह समस्या ना सिर्फ बढ़ सकती हैं बल्कि कुछ अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकती है.
कारण
बेंगलुरु की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. जयंती के वाडेकर बताती हैं कि महिलाओं में इस समस्या के लिए कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं जो हार्मोनल समस्या के साथ शारीरिक कमजोरी से जुड़े भी हो सकते हैं. दरअसल बढ़ती उम्र के कारण हमारे शरीर के तंत्र में कई बदलाव होते हैं. विशेषकर महिलाओं में इस आयु में सबसे बड़ा बदलाव मेनोपॉज के रूप में होता है. मेनोपॉज वह अवस्था है जिसमें उनका मासिक धर्म बंद हो जाता है. यह एक लंबे समय तक चलने वाली प्रक्रिया है तथा इसके चलते महिलाओं में कई प्रकार के हार्मोनल बदलाव और कमजोरी देखने में आती है.
इसके अलावा बढ़ती उम्र के प्रभाव के चलते भी कई बार ब्लैडर और पेल्विक मसल्स कमजोर होने लगती हैं. जो इस तरह की समस्याओं का कारण बन सकती हैं. ओवरएक्टिव ब्लैडर या यूटीआई भी कई बार इस प्रकार की समस्या का कारण बन सकता है. वह बताती हैं महिलाओं में बार बार पेशाब आने, पेशाब आने जैसा महसूस होने या पेशाब पर नियंत्रण ना रह पाने के कई कारण हो सकते हैं. जिनमें से कुछ मुख्य इस प्रकार हैं.
- हार्मोनल बदलाव : मेनोपॉज के दौरान या उसके अलावा भी कई बार शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी से ब्लैडर और पेशाब की नली कमजोर हो सकती है.
- पेल्विक मसल्स का कमजोर होना: उम्र बढ़ने के साथ पेल्विक मसल्स ढीली होने लगती है. इससे भी पेशाब पर नियंत्रण कम हो सकता है.
- मोटापा: कई बार अधिक वजन भी पेल्विक मसल्स पर दबाव डाल सकता है,इसलिए ज्यादा वजन या मोटापे की समस्या में भी यह समस्या हो सकती है.
- पानी कम पीना या गलत खान-पान: डिहाइड्रेशन और कैफीनयुक्त पेय पदार्थ का सेवन भी कई बार, बार-बार पेशाब आने जैसा महसूस होने का कारण बन सकता है.
- कुछ दवाओं का पार्श्व प्रभाव: कई बार डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की या कुछ अन्य प्रकार की दवाइयां भी बार-बार पेशाब आने का कारण बन सकती हैं.
- यूटीआई (यूरिन इंफेक्शन): यूरिन इंफेक्शन भी कई बार महिलाओं में इस समस्या का कारण बन सकता है.
सावधानियां और उपाय
डॉ. जयंती के वाडेकर बताती हैं कि यदि यह समस्या ज्यादा बढ़ने लगे और जल्दी-जल्दी यानी कम अंतराल पर पेशाब का दबाव महसूस होने के साथ पेशाब पर नियंत्रण भी कम होने लगे तो तत्काल चिकित्सक को दिखाना चाहिए. इसके अलावा सामान्य अवस्था में कुछ सावधानियों व बातों का पालन करने से इस समस्या में काफी राहत मिल सकती हैं. जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- डाइट में सुधार करें और कैफीन, चाय, और सॉफ्ट ड्रिंक्स से बचें. फाइबर युक्त भोजन और पर्याप्त पानी का सेवन करें.
- वजन घटाने से पेल्विक मसल्स पर दबाव कम होता है.
- सही दिनचर्या अपनाएं. समय पर सोना, पर्याप्त आराम और तनाव को दूर रखना बेहद जरूरी है.
- नियमित रूप से कीगल एक्सरसाइज यानी पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज करें. यह पेल्विक मसल्स को मजबूत बनाने में मदद करती है और ब्लैडर को बेहतर नियंत्रण देती है.
- मूत्राशय को प्रशिक्षित करने की कोशिश करें जैसे बार-बार पेशाब करने के बजाय, पेशाब के समय को कंट्रोल करने का प्रयास करें और धीरे-धीरे अंतराल को बढ़ाने की कोशिश करें.
- अगर समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से परामर्श लें. कई बार जरूरत पड़ने पर वे दवाइयों या अन्य थेरेपी की सलाह भी दे सकते हैं.
(डिस्क्लेमर: यहां आपको दी गई सभी स्वास्थ्य संबंधी जानकारी और सलाह केवल आपकी जानकारी के लिए है. हम यह जानकारी वैज्ञानिक अनुसंधान, अध्ययन, चिकित्सा और स्वास्थ्य पेशेवर सलाह के आधार पर प्रदान कर रहे हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप अपने निजी डॉक्टर की सलाह ले लें.)