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देश का नाम रोशन करने के लिए आर्थिक मदद के इंतजार में 17 मेडल हासिल कर चुकी पावर लिफ्टर

पावर लिफ्टिंग में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से अब तक 17 मेडल अपने नाम करवा चुकी श्रीगंगानगर की इस बेटी का निशाना अब ओलम्पिक में भारत को मेडल दिलाना है. लेकिन इस पावर लिफ्टर के हौसले के सामने सबसे बड़ी चुनौती है आर्थिक तंगी की मार. जिससे वह अपने दम पर खेल की किट तक नहीं खरीद सकी. यही वजह है कि पावर लिफ्टिंग में अब तक 17 मेडल हासिल कर चुकी यह होनहार खिलाड़ी देश के लिए गोल्ड मेडल के सपने को लेकर किट मिलने की उम्मीद में है, ताकि कड़ी मेहनत करके पावर लिफ्टिंग के मैदान में फिर अपना लोहा मनवा सके.

देश का नाम रोशन करने के लिए मदद के इंतजार में पावर लिफ्टर
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Published : Jul 24, 2019, 11:31 PM IST

श्रीगंगानगर. पुरानी कहावत है कि खेलोगे कूदोगे तो होंगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब. लेकिन इस कहावत को गलत सिद्ध करने में लगी है जिले की एक बेटी. जिसने खेल में अपना लोहा मनवाया है. इस होनहार खिलाड़ी पर आर्थिक तंगी हावी होने से उसके सपने अब दम तोड़ने के कगार पर हैं.

बता दें कि पावर लिफ्टिंग में करीब 17 मेडल्स अपने नाम कर चुकी यह होनहार खिलाड़ी खेल के मैदान में यूं तो किसी से पिछड़ती नहीं है,लेकिन देश को ओलंपिक में मेडल दिलाने की जब सोचती है तब आर्थिक तंगी उसे आगे बढ़ने से रोक देती है.

श्रीगंगानगर की गोल्डन गर्ल शिखा कालड़ा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बसे गांव खाटलबाना की रहने वाली हैं. जिले की इस बेटी ने 22 जुलाई को बीकानेर में आयोजित हुई राजस्थान राज्य सीनियर महिला-पुरुष पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में 4 खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए 435 किलोग्राम वजन में गोल्ड मेडल जीता था. जिससे इससे अपने गांव के साथ-साथ श्रीगंगानगर जिले का नाम रोशन किया है. घर के आर्थिक हालात मजबूत नहीं होने के बावजूद भी इस खिलाड़ी ने अब तक 7 गोल्ड,6 सिल्वर और 4 कांस्य मेडल जीते हैं.

देश का नाम रोशन करने के लिए मदद के इंतजार में पावर लिफ्टर

पिता हैं ड्राईवर
शिखा के पिता रामचंद्र पेशे से ड्राईवर हैं और माता संतोष कालड़ा ग्रहणी है. वह मुश्किल से अपना घर चला पाते हैं. शिखा 12 वीं कक्षा तक खाटलबाना गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ी है. शिखा कहती है कि उसे बचपन से ही पावर लिफ्टिंग का शौक था.

शिखा कहती हैं कि पिता ने मेरे सपने को देखा और जितना उनसे हुआ उन्होंने मेरे सपने को पूरा करने की कोशिश की. लेकिन अब देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल लाने की तैयारी कर रही शिखा के पास अपना किट लाने तक के पैसे नहीं हैं. ऐसे में शिखा को आर्थिक मदद की जरूरत है ताकि वह श्रीगंगानगर जिले और देश का नाम दुनिया मे रोशन कर सकें.

श्रीगंगानगर. पुरानी कहावत है कि खेलोगे कूदोगे तो होंगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब. लेकिन इस कहावत को गलत सिद्ध करने में लगी है जिले की एक बेटी. जिसने खेल में अपना लोहा मनवाया है. इस होनहार खिलाड़ी पर आर्थिक तंगी हावी होने से उसके सपने अब दम तोड़ने के कगार पर हैं.

बता दें कि पावर लिफ्टिंग में करीब 17 मेडल्स अपने नाम कर चुकी यह होनहार खिलाड़ी खेल के मैदान में यूं तो किसी से पिछड़ती नहीं है,लेकिन देश को ओलंपिक में मेडल दिलाने की जब सोचती है तब आर्थिक तंगी उसे आगे बढ़ने से रोक देती है.

श्रीगंगानगर की गोल्डन गर्ल शिखा कालड़ा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बसे गांव खाटलबाना की रहने वाली हैं. जिले की इस बेटी ने 22 जुलाई को बीकानेर में आयोजित हुई राजस्थान राज्य सीनियर महिला-पुरुष पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में 4 खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए 435 किलोग्राम वजन में गोल्ड मेडल जीता था. जिससे इससे अपने गांव के साथ-साथ श्रीगंगानगर जिले का नाम रोशन किया है. घर के आर्थिक हालात मजबूत नहीं होने के बावजूद भी इस खिलाड़ी ने अब तक 7 गोल्ड,6 सिल्वर और 4 कांस्य मेडल जीते हैं.

देश का नाम रोशन करने के लिए मदद के इंतजार में पावर लिफ्टर

पिता हैं ड्राईवर
शिखा के पिता रामचंद्र पेशे से ड्राईवर हैं और माता संतोष कालड़ा ग्रहणी है. वह मुश्किल से अपना घर चला पाते हैं. शिखा 12 वीं कक्षा तक खाटलबाना गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ी है. शिखा कहती है कि उसे बचपन से ही पावर लिफ्टिंग का शौक था.

शिखा कहती हैं कि पिता ने मेरे सपने को देखा और जितना उनसे हुआ उन्होंने मेरे सपने को पूरा करने की कोशिश की. लेकिन अब देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल लाने की तैयारी कर रही शिखा के पास अपना किट लाने तक के पैसे नहीं हैं. ऐसे में शिखा को आर्थिक मदद की जरूरत है ताकि वह श्रीगंगानगर जिले और देश का नाम दुनिया मे रोशन कर सकें.

Intro:श्रीगंगानगर : पावर लिफ्टिंग में अपने बेहतरीन प्रदर्शन से अब तक गोल्ड,सिल्वर व कांस्य सहित 17 मेडल अपने नाम करवा चुकी जिले की इस बेटी का निशाना अब ओलम्पिक में भारत को मेल्ड दिलाना है। लेकिन इस पावर लिफ्टर के हौसले तब कमजोर पड़ जाते हैं जब आर्थिक तंगी की मार से वह अपने दम पर खेल के किट तक नहीं खरीद सकती है। यही वजह है कि पावर लिफ्टिंग में अब तक 17 मेडल लगा चुकी श्रीगंगानगर जिले की यह होनहार खिलाड़ी देश के लिए गोल्ड मेडल का सपना लेकर किट मिलने की उम्मीद लगाए हुए है। ताकि कड़ी मेहनत करके पावर लिफ्टिंग के मैदान में फिर अपना लोहा मनवा दे।


Body:पुरानी कहावत है कि खेलोगे कूदोगे तो होंगे खराब,पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब। लेकिन इस कहावत को गलत सिद्ध करने में लगी है जिले की एक बेटी। जिसने खेल में अपना लोहा मनवा दिया है।इस होनहार खिलाड़ी पर आर्थिक तंगी हावी होने से उसके सपने अब दम तोड़ने के कगार पर हैं। पावर लिफ्टिंग में करीब 17 मेडल्स लगा चुकी यह होनहार खिलाड़ी खेल के मैदान में यूं तो किसी से पिछड़ती नहीं है,लेकिन देश को ओलंपिक में मेडल दिलाने की जब सोचती है तब आर्थिक तंगी उसे आगे बढ़ने से रोकती है। श्रीगंगानगर की गोल्डन गर्ल शिखा कालड़ा देश के लिए मेडल लाने के लिए अपनी ताकत झोंक रखी है। अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बसे गांव खाटलबाना की इस बेटी ने 22 जुलाई को बीकानेर में आयोजित हुई राजस्थान राज्य सीनियर महिला-पुरुष पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में 4 खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए 435 किलोग्राम वजन में गोल्ड मेडल जीतकर अपने गांव के साथ-साथ श्रीगंगानगर जिले का नाम रोशन किया है। शिखा के पिता रामचंद्र ड्राइवर है और माता संतोष कालड़ा ग्रहणी है। घर के आर्थिक हालात मजबूत नहीं होने के बावजूद भी इस खिलाड़ी ने अब तक 7 गोल्ड,6 सिल्वर और 4 कांस्य मेडल जीते हैं।

शिखा के पिता रामचंद्र पेशे से ड्राइवर हैं और वह मुश्किल से अपना घर चला पाते हैं। शिखा 12 वीं कक्षा तक खाटलबाना गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ी है। शिखा कहती है कि उसे बचपन से ही पावर लिफ्टिंग का शौक था।वह कहती है पिता ने मेरे सपने को देखा और जितना उनसे हुआ उन्होंने पूरा करने की कोशिश की। लेकिन अब देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल लाने की तैयारी कर रही सिखा के पास अपना किट लाने तक के पैसे नहीं है। ऐसे में सीखा को आर्थिक मदद की दरकार है ताकि श्रीगंगानगर जिले व देश का नाम दुनिया मे रोशन कर सकें। शिखा कहती है कि मेरे पिता से जितना हुआ उतना उन्होंने मेरे लिए किया। खेल की डाइट में कभी कमी नहीं आए उसके लिए पिता ने दिन रात मेहनत की ओर कभी-कभी वह रातों को सोते ही नहीं। उनका बस एक ही सपना था कि बेटी देश का नाम रोशन करें।

बाइट : शिखा कालड़ा,पावर लिफ्टर
बाइट : रामचंद्र, पिता


Conclusion:देश का नाम रोशन करने के लिए मदद के इंतजार में पावर लिफ्टर।
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