श्रीगंगानगर. पुरानी कहावत है कि खेलोगे कूदोगे तो होंगे खराब, पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब. लेकिन इस कहावत को गलत सिद्ध करने में लगी है जिले की एक बेटी. जिसने खेल में अपना लोहा मनवाया है. इस होनहार खिलाड़ी पर आर्थिक तंगी हावी होने से उसके सपने अब दम तोड़ने के कगार पर हैं.
बता दें कि पावर लिफ्टिंग में करीब 17 मेडल्स अपने नाम कर चुकी यह होनहार खिलाड़ी खेल के मैदान में यूं तो किसी से पिछड़ती नहीं है,लेकिन देश को ओलंपिक में मेडल दिलाने की जब सोचती है तब आर्थिक तंगी उसे आगे बढ़ने से रोक देती है.
श्रीगंगानगर की गोल्डन गर्ल शिखा कालड़ा अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर बसे गांव खाटलबाना की रहने वाली हैं. जिले की इस बेटी ने 22 जुलाई को बीकानेर में आयोजित हुई राजस्थान राज्य सीनियर महिला-पुरुष पावर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में 4 खिलाड़ियों को पछाड़ते हुए 435 किलोग्राम वजन में गोल्ड मेडल जीता था. जिससे इससे अपने गांव के साथ-साथ श्रीगंगानगर जिले का नाम रोशन किया है. घर के आर्थिक हालात मजबूत नहीं होने के बावजूद भी इस खिलाड़ी ने अब तक 7 गोल्ड,6 सिल्वर और 4 कांस्य मेडल जीते हैं.
पिता हैं ड्राईवर
शिखा के पिता रामचंद्र पेशे से ड्राईवर हैं और माता संतोष कालड़ा ग्रहणी है. वह मुश्किल से अपना घर चला पाते हैं. शिखा 12 वीं कक्षा तक खाटलबाना गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ी है. शिखा कहती है कि उसे बचपन से ही पावर लिफ्टिंग का शौक था.
शिखा कहती हैं कि पिता ने मेरे सपने को देखा और जितना उनसे हुआ उन्होंने मेरे सपने को पूरा करने की कोशिश की. लेकिन अब देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल लाने की तैयारी कर रही शिखा के पास अपना किट लाने तक के पैसे नहीं हैं. ऐसे में शिखा को आर्थिक मदद की जरूरत है ताकि वह श्रीगंगानगर जिले और देश का नाम दुनिया मे रोशन कर सकें.