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38 करोड़ के घोटाले की जांच अब भी अधूरी, शिक्षा मंत्री कह रहे दोषियों पर होगी कार्रवाई - Govind Singh Dotasara

शिक्षा विभाग में हुए 38 करोड़ रुपये के घोटाले मामले में जांच ठंडे बस्ते में है. लेकिन शिक्षा मंत्री बार-बार दोषियों को सलाखों के पीछे भेजने को लेकर दावे कर रहे हैं. मामले का खुलासा सितंबर 2019 में हुआ. लेकिन ट्रेजरी और बैंक के किसी भी अधिकारी या कर्मचारी से अब तक पूछताछ तक नहीं हुई.

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38 करोड़ के घोटाले की जांच अब भी अधूरी
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Published : Jun 26, 2020, 10:54 PM IST

श्रीगंगानगर. जिले के शिक्षा विभाग में 38 करोड़ रुपए के घोटाले मामले में भले ही जांच ठंडे बस्ते में है. लेकिन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर गबन की राशि हासिल करने के लगातार दावे कर रहे हैं. मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी दफ्तर में प्रतिनियुक्ति पर लगे शारीरिक शिक्षक ओम प्रकाश ने बैंक और ट्रेजरी से मिलकर फर्जी बिल पेश करके सरकार को 38 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया.

38 करोड़ के घोटाले की जांच अब भी अधूरी

मामले का खुलासा सितंबर 2019 में हुआ तो शिक्षा विभाग से लेकर शिक्षा मंत्रालय तक हड़कंप मच गया. इतना बड़ा घोटाला एक शारीरिक शिक्षक ने अकेले अपने दम पर कर दिया. ये यकीन होने वाली बात नहीं थी. जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच शिक्षा निदेशक बीकानेर की मौजूदगी में उपनिदेशक देव लता से करवाई. लेकिन जांच अधिकारी ने मामले में गड़बड़ी करनी शुरू कर दी तो उन्हें भी रिटायरमेंट से एक दिन पहले शिक्षा निदेशक सौरव स्वामी ने निलंबित किया.

पढ़ें- किरोड़ी लाल खाली कर रहे सरकारी आवास...अब राजवी की बारी

मामले में सरकारी धन की रिकवरी और घोटाले में शामिल दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की बात कहते हुए शिक्षा मंत्री डोटासरा ने पूरे प्रकरण की जांच एसीबी से करवाने की बात बार-बार कही, लेकिन आज तक जांच नहीं हुई. 38 करोड़ के इस घोटाले में आरोपी शिक्षक ओम प्रकाश अकेला होगा यह हजम होने वाली बात नहीं है. हालांकि घोटाले में सीबीओ दफ्तर के कई अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित और चार्जशीट के साथ तबादले भी किए गए.

लेकिन ट्रेजरी और बैंक के किसी अधिकारी कर्मचारी से अब तक पूछताछ तक नहीं हुई. जबकि 38 करोड़ के इस घोटाले में बैंक और ट्रेजरी की बड़ी भूमिका रही थी. मंत्री की ओर से एसीबी जांच का कहकर जांच नहीं करवाना भी बड़े सवाल खड़ा करता है. लेकिन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा अब भी कह रहे हैं कि मामले में दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी. ऐसे में सवाल यह है कि कड़ी सजा देगा कौन.

पढ़ें- पूर्व नेता प्रतिपक्ष डूडी को मिल सकती है बड़ी जिम्मेदारी, CM गहलोत से हुई मुलाकात

शिक्षा मंत्री डोटासरा से जब इस घोटाले की जांच के बारे में पूछा गया तो वे कहते हैं कि मामले में पुलिस जांच और विभागीय जांच दो स्तर पर हुई है. जिसके बाद रिकवरी भी हुई है. वहीं, वे खुद स्वीकार करते हैं कि घोटाले की जांच में जब मामले को दबाने की शिकायत आई तो जांच बदली गई. मंत्री कहते हैं कि अब भी मामले में कार्रवाई जारी है. किसी को बचाने का कोई मकसद नहीं है.

यही नहीं जांच अधिकारी देवलता की शिकायत आई तो उनके खिलाफ भी सरकार ने कार्रवाई की है. वे कहते हैं कि किसी को बचाने नहीं दिया जाएगा. लेकिन मंत्री जी पूरे घोटाले से जुड़े उन दोषियों को जांच में शामिल करने की कभी चर्चा नहीं की है. जिन्होंने फर्जी खाते खोलकर खातों से पैसे निकालने में आरोपी शारीरिक शिक्षक की मदद की. ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि मंत्री या तो ऐसे दोषियों से अनजान हैं या पर्दा डालना चाहते हैं.

श्रीगंगानगर. जिले के शिक्षा विभाग में 38 करोड़ रुपए के घोटाले मामले में भले ही जांच ठंडे बस्ते में है. लेकिन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा दोषियों को सलाखों के पीछे पहुंचा कर गबन की राशि हासिल करने के लगातार दावे कर रहे हैं. मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी दफ्तर में प्रतिनियुक्ति पर लगे शारीरिक शिक्षक ओम प्रकाश ने बैंक और ट्रेजरी से मिलकर फर्जी बिल पेश करके सरकार को 38 करोड़ रुपए का चूना लगा दिया.

38 करोड़ के घोटाले की जांच अब भी अधूरी

मामले का खुलासा सितंबर 2019 में हुआ तो शिक्षा विभाग से लेकर शिक्षा मंत्रालय तक हड़कंप मच गया. इतना बड़ा घोटाला एक शारीरिक शिक्षक ने अकेले अपने दम पर कर दिया. ये यकीन होने वाली बात नहीं थी. जिसके बाद सरकार ने मामले की जांच शिक्षा निदेशक बीकानेर की मौजूदगी में उपनिदेशक देव लता से करवाई. लेकिन जांच अधिकारी ने मामले में गड़बड़ी करनी शुरू कर दी तो उन्हें भी रिटायरमेंट से एक दिन पहले शिक्षा निदेशक सौरव स्वामी ने निलंबित किया.

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मामले में सरकारी धन की रिकवरी और घोटाले में शामिल दोषियों को कड़ी सजा दिलाने की बात कहते हुए शिक्षा मंत्री डोटासरा ने पूरे प्रकरण की जांच एसीबी से करवाने की बात बार-बार कही, लेकिन आज तक जांच नहीं हुई. 38 करोड़ के इस घोटाले में आरोपी शिक्षक ओम प्रकाश अकेला होगा यह हजम होने वाली बात नहीं है. हालांकि घोटाले में सीबीओ दफ्तर के कई अधिकारियों-कर्मचारियों को निलंबित और चार्जशीट के साथ तबादले भी किए गए.

लेकिन ट्रेजरी और बैंक के किसी अधिकारी कर्मचारी से अब तक पूछताछ तक नहीं हुई. जबकि 38 करोड़ के इस घोटाले में बैंक और ट्रेजरी की बड़ी भूमिका रही थी. मंत्री की ओर से एसीबी जांच का कहकर जांच नहीं करवाना भी बड़े सवाल खड़ा करता है. लेकिन शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा अब भी कह रहे हैं कि मामले में दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी. ऐसे में सवाल यह है कि कड़ी सजा देगा कौन.

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शिक्षा मंत्री डोटासरा से जब इस घोटाले की जांच के बारे में पूछा गया तो वे कहते हैं कि मामले में पुलिस जांच और विभागीय जांच दो स्तर पर हुई है. जिसके बाद रिकवरी भी हुई है. वहीं, वे खुद स्वीकार करते हैं कि घोटाले की जांच में जब मामले को दबाने की शिकायत आई तो जांच बदली गई. मंत्री कहते हैं कि अब भी मामले में कार्रवाई जारी है. किसी को बचाने का कोई मकसद नहीं है.

यही नहीं जांच अधिकारी देवलता की शिकायत आई तो उनके खिलाफ भी सरकार ने कार्रवाई की है. वे कहते हैं कि किसी को बचाने नहीं दिया जाएगा. लेकिन मंत्री जी पूरे घोटाले से जुड़े उन दोषियों को जांच में शामिल करने की कभी चर्चा नहीं की है. जिन्होंने फर्जी खाते खोलकर खातों से पैसे निकालने में आरोपी शारीरिक शिक्षक की मदद की. ऐसे में बड़ा सवाल यह भी है कि मंत्री या तो ऐसे दोषियों से अनजान हैं या पर्दा डालना चाहते हैं.

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