श्रीगंगानगर. कोरोना संकटकाल में जब लोग एक-दुसरे की मदद कर रहे हैं तो तब शहर की पुरानी आबादी वाले क्षेत्र में एक महिला को मकान मालिक ने किराया नहीं देने पर घर से निकाल दिया. उसका सारा सामान भी घर से निकाल कर बाहर फेंक दिया. महिला अपने बच्चों के साथ दर-दर भटकने के लिए मजबूर हो गई. कलक्ट्रेट में धरना देने के बाद पार्षदों की मदद से उसे रैन बसेरा में ठहराया गया है.
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ की सुमित्रा देवी सालों से शहर की पुरानी आबादी क्षेत्र में टावर के समीप किराये पर कमरा लेकर दो बच्चों के साथ रहती थी. महिला एक निजी कॉलेज में गार्ड थी लेकिन कोरोना के समय वहां से हटा दिया गया. इसके बाद कपड़े प्रेस कर वह अपना और बच्चों का पेट पाल रही थी. लेकिन रोजगार छूट जाने से उसके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया. इस कारण वह मकान मालिक को एक महीने का किराया नहीं दे सकी.
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किराया नहीं देने पर मकान मालिक ने उसका सामान उठाकर घर से बाहर फेंक दिया. महिला दर-दर भटकती रही लेकिन किसी ने उसकी सुधि नहीं ली. कुछ लोगों ने उसे रैन बसेरे में भेजा, लेकिन वहां से भी उसको जाने के लिए कह दिया गया. बाद में महिला अपनी एक बेटी और बेटे को लेकर कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठ गई तो एक पूर्व पार्षद सहित अन्य नगर परिषद अधिकारियों से बात कर उसे रैन बसेरे में भेजवा दिया गया.
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25 जुलाई के बाद से महिला इधर-उधर भटकती रही और लोग उसके खाने-पीने की व्यवस्था करते रहे. रैन बसेरे में भी गई जहां से उसे वापस भेज दिया गया. रविवार को अपने दोनों बच्चों के साथ कलेक्ट्रेट के बाहर महिला धरने पर बैठ गई. इसके बाद लोगों ने नगर परिषद अधिकारियों को मामले से अवगत कराया. जानकारी के बाद फिलहाल अधिकारियों ने महिला और बच्चों के रैन बसेरे में रहने की व्यवस्था की है.
पूर्व पार्षद भरत मेयर ने बताया कि घर से निकाली गई महिला के साथ उसकी बेटी और बेटा भी है. ऐसे हालात में उनको राहत मिलनी चाहिए. उसका किराया देने गए थे लेकिन मकान मालिक ने उसे रखने से इनकार कर दिया. फिलहाल महिला व उसके परिवार को रैन बसेरे में रखा गया है. पुलिस ने बताया कि महिला ने मारपीट करने और घर का सामान बाहर फेंकने के मामला दर्ज कराया है. जबकि मकान मालिकों में मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है.