श्रीगंगानगर. रसद विभाग में दाल वितरण को लेकर गड़बड़ी करने का मामला सामने आया है. जिसमें रसद वितरण करने वाले डिपो संचालकों ने दाल का ही गबन कर दिया. मामला कोरोना संक्रमण के दौरान सरकार की ओर से वितरित किए जाने वाले गेहूं और चना दाल का है. जहां दो डिपो संचालक ने उपभोक्ताओं को उनके हिस्से की दाल का वितरण करने की बजाए दाल का गबन किया.
सरकार के निर्देश पर राशनकार्ड धारियों को प्रतिमाह दो किलो चना दाल वितरित करने का कार्य रसद विभाग ने राशन डिपो होल्डर्स को दिया है. लेकिन डिपो संचालकों ने उपभोक्ताओं को गुमराह कर प्रति कार्ड 2-2 किलो की बजाय 1 किलो दाल वितरित की है. उपभोक्ताओं के हिस्से की दाल का गबन होने की शिकायत मिलने पर रसद विभाग ने पदमपुर तहसील क्षेत्र के घमूड़वाली पंचायत में दो राशन डिपो संचालकों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए, इनके लाइसेंस निलंबित कर दिए.
डीएसओ राकेश सोनी ने बताया कि दोनों डिपो संजीव और उग्रसेन के नाम से एक ही व्यक्ति चला रहा था. दाल में गड़बड़ी की शिकायत मिलने के बाद विभाग ने लाइसेंस निलंबित करने के आदेश जारी किए. अब इनकी जगह समीपवर्ती पंचायतों के राशन डिपो संचालकों को गेहूं और चना दाल वितरण की जिम्मेदारी सौंपी गई है. घमूड़वाली के लोगों ने शिकायत की थी कि राशन डिपो संचालकों ने राशन कार्ड धारियों को 2 किलो की जगह 1 किलो चना दाल दी है. करीब 200 राशन कार्डों पर इस प्रकार का गड़बड़ी राशन डिपो होल्डर की ओर से की गई थी.
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शिकायत के बाद मामले में जांच शुरू की गई तो राशन डिपो संचालकों ने कुछ कार्डधारियों के घर 1 किलो दाल और पहुंचा दी. लेकिन जांच करने पर डिपो पर ज्यादा दाल मिली. जबकि कार्ड धारियों को 2 किलो दाल उपलब्ध करवाए जाने के बाद कम मात्रा में दाल उपलब्ध होनी चाहिए थी. हालांकि दाल वितरण में गड़बड़ी की शिकायत होने पर राशन कार्ड धारियों को 2 किलो प्रति परिवार के हिसाब से दाल दी गई. वहीं शिकायत होने की सूचना मिलने पर राशन डिपो होल्डर्स ने बची हुई 1 किलो चना दाल लोगों के घरों में जा कर दी, लेकिन कुछ लोगों ने लेने से इनकार कर दिया. उपभोक्ताओं के हिस्से की चना दाल में गबन करने के मामले में रसद विभाग द्वारा मुकदमा दर्ज करवाया जाना चाहिए था, लेकिन विभाग के अधिकारी राजनीतिक दबाव के चलते मामले पर पर्दा डालने में लगे हुए हैं. ऐसे में गरीबों के हक पर डाका डाल रहे राशन डिपो होल्डर्स क्या इसी तरह से लूट मचाते रहेंगे यह बड़ा सवाल है.