बांसवाड़ा. सुप्रीम कोर्ट की ओर से पदोन्नति में आरक्षण को गैर मौलिक अधिकार बताए जाने के बाद से ही SC/ST वर्ग में गुस्सा है. इसके विरोध में रविवार को जिला कलेक्ट्रेट के बाहर विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया. साथ ही इसके विरोध में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन भेजे गए.
अनुसूचित जाति/जनजाति आरक्षण मंच के बैनर तले विभिन्न शिक्षक संगठनों, सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के साथ एससी/एसटी के लोग कलेक्ट्रेट के बाहर एकत्र हुए और प्रदर्शन किया. साथ ही प्रोफेसर रतन लाल डोडियार, प्रोफेसर एलएल परमार, अंबेडकर शिक्षक संगठन के जिलाध्यक्ष वालजी आड, प्रगतिशील शिक्षक संगठन के अध्यक्ष प्रभु लाल बुज वीर एकलव्य भील संगठन के अध्यक्ष वीरचंद मईडा आदिवासी आरक्षण मंच मिशन 73 के संयोजक धूला राम भगोरा आदि ने धरने में शामिल लोगों को संबोधित किया.
धरना प्रदर्शन के दौरान वक्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि जानबूझकर सरकार SC/ST और OBC वर्ग के हितों के साथ कुठाराघात कर रही है. कभी सरकार तो कभी कोर्ट के जरिए आरक्षण को लेकर इस प्रकार के फैसले सामने आते रहते हैं. आरक्षण हमारा मौलिक अधिकार है. इसके जरिए ही आज देश का बहुत बड़ा तबका शिक्षित होकर विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा दिखा रहा है.
साथ ही वक्ताओं ने कहा कि सरकार को इस मामले में दखल देना चाहिए और पदोन्नति में आरक्षण के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने के लिए अध्यादेश लाया जाना चाहिए. केंद्र सरकार से संसद में विधेयक पारित करवाकर अनुसूचित जाति जनजाति के आरक्षण की व्यवस्था को संविधान की नवीं अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए.
वहीं दोपहर बाद मंच के बैनर तले एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर के जरिए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और SC/ST आयोग के नाम ज्ञापन भेजा. जिसमें केंद्र सरकार से विधेयक लाकर आरक्षण को संविधान की नवी अनुसूची में शामिल करवाने का आग्रह किया गया.
पदोन्नति में आरक्षण को लेकर भीमसेना ने दिया राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन
पदोन्नति में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर भीम सेना ने राष्ट्रपति के नाम पुलिस उपाधीक्षक को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन सीकर जिले के फतेहपुर के उपखंड अधिकारी को दिया जाना था, लेकिन रविवार को अवकाश होने के चलते पुलिस उपाधीक्षक ने अंबेडकर सर्किल पहुंचकर ज्ञापन लिया.
ज्ञापन के जरिए भीम सेना ने मांग की है कि नियुक्ति औ प्रमोशन में आरक्षण पर लगी रोक हटाई जाए. 200 प्वॉइंट की जगह 13 प्वॉइंट रोस्टर लागू का आदेश निरस्त किया जाए. एससी/एसटी और ओबीसी के परीक्षार्थी सामान्य श्रेणी में आते हैं तो अधिक अंक आने पर उन पर लगाई गई रोक को निरस्त किया जाए. निजी क्षेत्र, उच्च न्यायालयों और उद्योगों में भी आरक्षण लागू हो. जाति आधारित जनगणना आंकड़ें जारी कर आनुपालिक जल, जमीन और नौकरियों में हिस्सेदारी दी जाए.
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साथ ही भीम सेना के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य सुरेन्द्र महिचा ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने 7 फरवरी को फैसले में बहुजन समाज को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित करते हुए नियुक्ति और पदोन्नति में आरक्षण को मौलिक अधिकार नहीं बताया है. यह संविधान और हमारी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया गया है. इस फैसले का हम विरोध करते हैं. जब तक आरक्षित समाज भारत की मुख्य धारा में शामिल नहीं होगा, तब तक आरक्षण लागू रहना चाहिए.