सीकर. दहेज प्रथा कहीं न कहीं आज भी हमारे समाज में कायम है. दहेज ने न जाने कितने मां-बाप से उनकी संतानें छीनी है. इस लालच की आग में अक्सर लड़कियों का पूरा जीवन नरक बन जाता है और फिर बेटियां पिता पर बोझ बनने लगती हैं. इन सभी बातों को झुठलाते हुए एक ससुर ने इस कुप्रथा को मुंहतोड़ जबाव देते हुए न केवल दहेज लेने से मना किया, बल्कि अनपी नई बहू को खुद कार गिफ्ट की.
रिटायर्ड प्रधानाचार्य हैं ससुर...
दरअसल, सीकर के प्रकाश चंद जाखड़ लक्ष्मणगढ़ इलाके के रहनावा गांव के रहने वाले हैं. प्रकाश पेशे से एक रिटायर्ड प्रधानाचार्य हैं. 2 दिन पहले ही उनके बेटे सुधीर जाखड़ की शादी तिड़ोकी छोटी गांव की प्रीति कस्वा के साथ हुई है. प्रकाश का बेटा सुधीर जाखड़ भूगोल विषय में पीएचडी कर रहा है और प्रीति भी एमए की छात्रा है. प्रधानाचार्य का बेटा पीएचडी होल्डर है और राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित हो चुका है. इस बेटे की शादी में न केवल दहेज लेने से मना कर दिया, बल्कि दुल्हन को एक कार भी गिफ्त की है.
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ससुर प्रकाश चंद जाखड़ का कहना है कि अगर हर ससुर अपनी बहू को अपनी बेटी माने और दहेज लेने से मना करे तो कोई भी बेटी अपने पिता पर बोझ नहीं होगी.
बेटे ने 4 महिलाओं की बचाई थी जान...
प्रकाश के बेटे सुधीर के गांव में एक बार एक कच्चे घर में आग लग गई थी. उस वक्त स्कूल में पढ़ने वाले सुधीर ने अपनी जान की परवाह किए बिना 4 महिलाओं की जान बचाई थी. इस कार्य के लिए सुधीर को 2007 में गणतंत्र दिवस पर तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने सम्मानित किया था.
प्रकाश और उनके बेटे के इस कदम ने हमारे संकुचित समाज को एक नई दिशा प्रदान की है. अगर हर परिवार बहुओं को बेटियों का दर्जा दे तो, समाज की कई बुराईयों को खत्म किया जा सकता है. ईटीवी भारत भी प्रकाश और उनके बेटे के इस अनूठे कदम की सराहना करता है.