सीकर. शिक्षा नगरी सीकर में कोचिंग संस्थान और हॉस्टल सहित अन्य सभी कारोबारों पर कोरोना का असर साफ नजर आ रहा है. लंबे समय से बंद पड़े कोचिंग संस्थानों और स्कूलों की वजह से एक और कारोबार बुरी तरह से प्रभावित है, वह है टिफिन सेंटर कारोबार. पिछले कुछ साल से सीकर जैसे छोटे शहर में यह कारोबार बहुत तेजी से बढ़ा था. इसकी सबसे बड़ी वजह है, यहां के कोचिंग संस्थान.
जानकारी के मुताबिक सीकर शहर में करीब 500 छोटे बड़े टिफिन सेंटर हैं. इनमें से ज्यादातर टिफिन सेंटर नवलगढ़ रोड और पिपराली रोड इलाके में ही संचालित हो रहे हैं. इन इलाकों में शहर के कोचिंग संस्थान संचालित होते हैं, जो पिछले करीब 8 महीने से बंद हैं और तभी से टिफिन सेंटर भी बंद पड़े हैं. शहर में बाहर के करीब 50 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे थे.
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इनमें से नीट और जेईई के कोचिंग संस्थानों अलावा कंपटीशन क्लास के विद्यार्थी भी बड़ी संख्या में थे. जो विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे, उनमें से ज्यादा का खाना टिफिन सेंटर से ही जाता था. फिलहाल, सरकार स्कूलों को खोलने पर विचार कर रही है, लेकिन कोचिंग संस्थानों को लेकर कोई फैसला नहीं किया है. इस वजह से टिफिन सेंटर वालों को चिंता है कि आखिर कब तक उनका कारोबार बंद रहेगा.
अब तक 10 करोड़ से ज्यादा का नुकसान...
टिफिन सेंटर के नुकसान की बात करें तो अब तक 10 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है. इस व्यवसाय से जुड़े लोग बताते हैं कि शहर में करीब 500 टिफिन सेंटर हैं. इनमें कई छोटे हैं तो कई ऐसे भी हैं, जिनके हर दिन 500 से लेकर 700 तक टिफिन जाते थे. अगर एक टिफिन सेंटर का औसत 200 भी माने तो हर दिन करीब 10 हजार टिफिन जा रहे थे और एक टिफिन कम से कम 50 रुपए का था. ऐसे में एक दिन में ही पांच लाख का नुकसान हो रहा है. सात महीने में यह आंकड़ा 10 करोड़ के पार पहुंच गया है.
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टिफिन सेंटर संचालकों का कहना है कि कोरोना काल में सरकार ने हर वर्ग के लिए राहत पैकेज की घोषणा की है. ऐसे में उनके लिए भी पैकेज की घोषणा करनी चाहिए, जिससे नुकसान की भरपाई हो सके. फिलहाल, उनके लिए बिजली का बिल भरना भी मुश्किल हो रहा है.