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सीकर: खाटूश्यामजी में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर बाबा श्याम को पंचामृत से करवाया गया स्नान - news of sikar

खाटूश्यामजी कलयुग के देवता और विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम की नगरी में कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर बाबा श्याम को पंचामृत स्नान के बाद मंगलवार रात 12 बजे बाबा श्याम की महाआरती के बाद महापंजीरी प्रसाद का भोग लगाया गया. हालांकि कोरोना और राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार धार्मिक देवस्थान के मंदिर बंद होने से कार्यक्रम परिसर के अंदर मंदिर पुजारी और कमेटी के पदाधिकारियों ने संपन्न करवाए.

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कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर बाबा श्याम को पंचामृत से हुआ स्नान
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Published : Aug 12, 2020, 11:40 PM IST

दांतारामगढ़ (सीकर). कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मंदिर के पट दर्शनार्थ बंद रहे. मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने जन्माष्टमी पर्व पर बाबा श्याम के पंचामृत स्नान और पंजीरी के भोग के अलावा किसी प्रकार का अन्य कोई आयोजन नहीं किया और न ही श्याम भक्तों व ग्रामीणों के लिए श्याम दर्शनार्थ पट खोले गए.

श्याम बाबा के धार्मिक कार्यक्रमों में 300 साल में पहली बार ऐसा हुआ है. जहां कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर हर साल हजारों श्रद्धालु बाबा श्याम की नगरी में बाबा के दरबार में पहुंचकर भजन संध्या और अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. लेकिन अबकी बार कोरोना महामारी के चलते ऐसा कोई आयोजन नहीं किया गया है, जिससे श्याम श्रद्धालुओं और कस्बेवासियों में थोड़ी मायूसी भी छाई हुई थी.

यह भी पढ़ेंः श्याम बाबा के दर्शन कर खाटू नगरी पहुंचे मनीष सिसोदिया, कहा- बाबा के आशीर्वाद से मिली सत्ता

वहीं मंदिर परिसर इस बार सुना ही रहा. कस्बे में सात कोरोना पॉजिटिव आने के बाद आवागमन सात दिन के लिए शून्य घोषित कर दिया गया है. लेकिन श्याम भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा. प्रशासन की सख्ती के चलते उनको श्याम तोरण द्वार से ही लौटना पड़ा.

गौरतलब है कि हर साल बाबा श्याम के जन्माष्टमी पर्व पर बंगाली कारीगरों द्वारा बाबा श्याम के निज मंदिर को सजाया जाता है और वृंदावन की कुंज गलियों के साक्षात दर्शन खाटूधाम में ही होते आए हैं. लेकिन इस बार श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा केवल विद्युत झालरों की रोशनी से ही मंदिर परिसर को सजाया गया है और जन्माष्टमी पर्व पर हर कार्यक्रम श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा किए गए. लेकिन श्याम भक्तों और कस्बेवासियों के लिए बाबा श्याम के पट नहीं खुलेंगे.

यह भी पढ़ेंः MP सरकार पर संकट, खाटू श्यामजी के दर पर पहुंचे कांग्रेसी विधायक

बाबा श्याम के भक्ति और कस्बेवासी अपने घर में ही जन्माष्टमी पर्व मनाया गया. अपने घरों में लड्डू गोपाल की झांकियां सजाकर जन्माष्टमी पर्व घर-घर में ही धूमधाम से मनाया गया. श्री श्याम मंदिर कमेटी के प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही मंदिर में कार्यक्रम आयोजन किया गया. हर साल की भांति बाबा को पंचामृत से स्नान करवाकर रात 12 बजे महाआरती किया गया.

दांतारामगढ़ (सीकर). कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मंदिर के पट दर्शनार्थ बंद रहे. मंदिर कमेटी के पदाधिकारियों ने जन्माष्टमी पर्व पर बाबा श्याम के पंचामृत स्नान और पंजीरी के भोग के अलावा किसी प्रकार का अन्य कोई आयोजन नहीं किया और न ही श्याम भक्तों व ग्रामीणों के लिए श्याम दर्शनार्थ पट खोले गए.

श्याम बाबा के धार्मिक कार्यक्रमों में 300 साल में पहली बार ऐसा हुआ है. जहां कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर हर साल हजारों श्रद्धालु बाबा श्याम की नगरी में बाबा के दरबार में पहुंचकर भजन संध्या और अनेक धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं. लेकिन अबकी बार कोरोना महामारी के चलते ऐसा कोई आयोजन नहीं किया गया है, जिससे श्याम श्रद्धालुओं और कस्बेवासियों में थोड़ी मायूसी भी छाई हुई थी.

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वहीं मंदिर परिसर इस बार सुना ही रहा. कस्बे में सात कोरोना पॉजिटिव आने के बाद आवागमन सात दिन के लिए शून्य घोषित कर दिया गया है. लेकिन श्याम भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा. प्रशासन की सख्ती के चलते उनको श्याम तोरण द्वार से ही लौटना पड़ा.

गौरतलब है कि हर साल बाबा श्याम के जन्माष्टमी पर्व पर बंगाली कारीगरों द्वारा बाबा श्याम के निज मंदिर को सजाया जाता है और वृंदावन की कुंज गलियों के साक्षात दर्शन खाटूधाम में ही होते आए हैं. लेकिन इस बार श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा केवल विद्युत झालरों की रोशनी से ही मंदिर परिसर को सजाया गया है और जन्माष्टमी पर्व पर हर कार्यक्रम श्री श्याम मंदिर कमेटी द्वारा किए गए. लेकिन श्याम भक्तों और कस्बेवासियों के लिए बाबा श्याम के पट नहीं खुलेंगे.

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बाबा श्याम के भक्ति और कस्बेवासी अपने घर में ही जन्माष्टमी पर्व मनाया गया. अपने घरों में लड्डू गोपाल की झांकियां सजाकर जन्माष्टमी पर्व घर-घर में ही धूमधाम से मनाया गया. श्री श्याम मंदिर कमेटी के प्रताप सिंह चौहान ने कहा कि राज्य सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही मंदिर में कार्यक्रम आयोजन किया गया. हर साल की भांति बाबा को पंचामृत से स्नान करवाकर रात 12 बजे महाआरती किया गया.

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