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Special: गौरक्षा और वचन पालन के लिए तेजाजी ने दिया था बलिदान, तेजादशमी पर खरनाल में लगता है मेला

राजस्थान की वीर प्रसूता धरती पर कई ऐसे वीर योद्धाओं ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने प्राणों का बलिदान देकर भी अपने वचन का पालन किया है. इन योद्धाओं में सत्यवादी वीर तेजाजी का नाम आज भी जनमानस में गर्व के साथ लिया जाता है और लोकदेवता के रूप में घर-घर में वीर तेजाजी की पूजा की जाती है.खरनाल गांव में हर साल तेजादशमी पर भव्य मेला भरता है. कोरोना काल में इस मेले पर भी असर पड़ा है. देखिए खास रिपोर्ट...

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
लोक देवता तेजाजी
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Published : Aug 28, 2020, 7:03 AM IST

नागौर. राजस्थान की धरती को वीर प्रसविनी कहा जाता है क्योंकि इस धरती पर ऐसे बहादुर योद्धाओं ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने वचन का पालन करने और सत्य की रक्षा के लिए प्राणों तक का बलिदान कर दिया. ऐसे ही एक वीर योद्धा हुए सत्यवादी वीर तेजाजी. जो अपना वचन निभाने और गौमाता की रक्षा के लिए अकेले ही 365 चोरों से लड़े और विजयी हुए. इसके बाद एक नाग को दिया वचन निभाने के लिए उस नाग को अपनी जीभ पर डसवाया और प्राणों का बलिदान कर दिया.

गौरक्षा और वचन पालन के लिए तेजाजी ने दिया था बलिदान

जनमानस में आज वीर तेजाजी लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं और ना केवल राजस्थान बल्कि देश के कई इलाकों में उनकी वीरता की गाथाएं आज भी सुनाई जाती हैं. नागौर जिले के खरनाल गांव में वीर तेजाजी के जन्मस्थान पर आज एक भव्य मंदिर बना है, जहां देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. यहां भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजादशमी के मौके पर हर साल भव्य मेला भी लगता है और लाखों श्रद्धालु धोक लगाते हैं.

खरनाल गांव में हुआ था तेजाजी का जन्म

वीर तेजाजी का जन्म खरनाल गांव में पिता ताहड़देव और माता रामकंवरी के घर साल 1074 में हुआ था. उनका विवाह पनेर गांव के रायमल जाट की बेटी पेमल से हुआ था. जनश्रुतियों के अनुसार तेजाजी 9 महीने के और पेमल 6 महीने की थीं, तभी दोनों के माता-पिता ने उनका विवाह पुष्कर घाट पर कर दिया था.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
वीर तेजाजी की प्रतिमा

तेजादशमी की कथा

समय आने पर तेजाजी पत्नी पेमल को लेने ससुराल पनेर पहुंचे, जहां उन दिनों गायों को चुराने वाले लुटेरों के गिरोह का आतंक फैला था. जब तेजाजी अपने ससुराल थे तभी ऐसे ही एक गिरोह ने लाछा नाम की गुर्जर समाज की महिला की गायों को चुरा लिया था. उसने गांव वालों से मदद मांगी लेकिन चोरों के आतंक को देखते हुए कोई भी ग्रामीण उसकी मदद को आगे नहीं आया. इसके बाद वह अपनी सहेली पेमल के पास पहुंची और तेजाजी से उसकी गायों को चोरों से छुड़ाकर लाने की गुहार लगाई. वीर तेजाजी ने उसे वचन दिया कि वे उसकी गायों को सुरक्षित लेकर आएंगे और अपनी लीलण घोड़ी पर सवार होकर चोरों के पीछे चल पड़े.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
तेजाजी ने गायों को चुराने वाले गिरोह से किया युद्ध

पढ़ें- नागौर: वीर तेजाजी मंदिर में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने की मांग

इस दौरान रास्ते में उन्हें एक नाग आग में जलता हुआ दिखाई दिया तो दया भाव दिखाते हुए तेजाजी ने अपने भाले से नाग को आग से बचा लिया. इस पर नाग क्रोधित हुआ. बताया जाता है कि वह अपना शरीर त्यागने जा रहा था और तेजाजी ने उसे बचा लिया. इसलिए उसने तेजाजी को डसना चाहा. तेजाजी ने गायों को छुड़ाकर लाने के अपने वचन की दुहाई दी और नाग से वादा किया कि वह गायों को छुड़ाकर वापस उसके पास आएंगे. इसके बाद आगे जाकर तेजाजी ने गायों को चुराने वाले गिरोह को ललकारा और युद्ध किया. इस युद्ध में तेजाजी ने चोरों को परास्त किया और गायों को लेकर पनेर गांव पहुंचे.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
आग से नाग को बचाया

तेजाजी के भाले पर नाग के लिपटा होने का कारण

पनेर गांव जाकर पता चला कि एक बछड़ा अभी भी उन चोरों के चंगुल में रह गया है. तेजाजी वापस गए और बछड़े को भी छुड़ाकर लाए. लेकिन इस युद्ध में तेजाजी घायल हो गए. गायों को सुरक्षित छोड़ने के बाद तेजाजी अपना वचन निभाने के लिए नाग के पास गए. तेजाजी का पूरा शरीर लहूलुहान था, इसलिए नाग ने ऐसी जगह डसना चाहा जहां घाव नहीं हो. तब तेजाजी ने नाग को अपने भाले पर लिया और अपनी जीभ पर डसवाया. इसलिए आज भी तेजाजी की घोड़ी पर बैठी प्रतिमा के साथ भाले पर लिपटा नाग भी होता है.

सर्पदंश से पीड़ित का उपचार

नाग को जीभ पर डसवाने के बाद तेजाजी ने अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन उनकी सत्यवादिता और वचन पालन से प्रभावित होकर नाग ने उन्हें वरदान दिया कि जहां भी उनकी पूजा होगी वहां सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति का उपचार होगा. ग्रामीण इलाकों में आज भी सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति तेजाजी के मंदिर जाते हैं.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
भाले पर लिपटा नाग

तेजादशमी पर भव्य मेला का आयोजन

बताया जाता है कि तेजाजी के बलिदान की खबर सुनकर उनकी पत्नी पेमल ने भी अपने प्राण त्याग दिए. खरनाल गांव में उनकी बहन गायों को चरा रही थी. उन्हें जब तेजाजी के बलिदान की जानकारी मिली तो अचानक धरती फटी और वह धरती में समा गई. तेजाजी की घोड़ी लीलण ने भी अपने प्राण त्याग दिए और तेजाजी को डसने के बाद नाग ने भी अपना शरीर त्याग दिया. जहां तेजाजी ने बलिदान दिया, वह स्थान आज सुरसुरा के नाम से जाना जाता है जो नागौर की सीमा पर अजमेर जिले में है. वहां भी तेजादशमी के मौके पर हर साल भव्य मेला लगता है.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
खरनाल में तेजाजी का मंदिर

खरनाल में है भव्य मंदिर

तेजाजी के जन्मस्थान पर खरनाल गांव में भव्य मंदिर बना है. जहां भी तेजादशमी के मौके पर मेला लगता है और राजस्थान के अलग-अलग जिलों के साथ ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात से लाखों श्रद्धालु यहां धोक लगाने पहुंचते हैं. तेजादशमी पर करीब पांच लाख श्रद्धालु खरनाल पहुंचते हैं.

पढ़ें- SPECIAL: बूंदी में दम तोड़ रही है ऐतिहासिक चित्र शैली, देखरेख का अभाव सबसे बड़ी वजह

खरनाल गांव में लीलण घोड़ी की समाधि और तेजाजी का पैनोरमा भी है, जहां कलाकृतियों के माध्यम से तेजाजी की जीवनी दर्शाई गई है. इसी जगह पर एक संकल्प स्तंभ भी है, जहां लिखे 4 संकल्प आज की युवा पीढ़ी को सत्यवादी वीर तेजाजी के बताए रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
तेजाजी का मंदिर

प्रशासन से मांग

हालांकि, इस साल महामारी कोविड-19 के खतरे के चलते कम ही श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और प्रशासन के निर्देश पर मंदिर कमेटी ने भी मेला स्थगित रखा है. लेकिन तेजाजी के भक्तों का अलग-अलग जगहों से खरनाल पहुंचने का सिलसिला जारी है. इसके मद्देनजर अखिल भारतीय श्री वीर तेजा जन्मस्थली संस्थान, खरनाल की ओर से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने की मांग भी की गई है.

नागौर. राजस्थान की धरती को वीर प्रसविनी कहा जाता है क्योंकि इस धरती पर ऐसे बहादुर योद्धाओं ने जन्म लिया है, जिन्होंने अपने वचन का पालन करने और सत्य की रक्षा के लिए प्राणों तक का बलिदान कर दिया. ऐसे ही एक वीर योद्धा हुए सत्यवादी वीर तेजाजी. जो अपना वचन निभाने और गौमाता की रक्षा के लिए अकेले ही 365 चोरों से लड़े और विजयी हुए. इसके बाद एक नाग को दिया वचन निभाने के लिए उस नाग को अपनी जीभ पर डसवाया और प्राणों का बलिदान कर दिया.

गौरक्षा और वचन पालन के लिए तेजाजी ने दिया था बलिदान

जनमानस में आज वीर तेजाजी लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं और ना केवल राजस्थान बल्कि देश के कई इलाकों में उनकी वीरता की गाथाएं आज भी सुनाई जाती हैं. नागौर जिले के खरनाल गांव में वीर तेजाजी के जन्मस्थान पर आज एक भव्य मंदिर बना है, जहां देशभर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. यहां भाद्रपद शुक्ल दशमी को तेजादशमी के मौके पर हर साल भव्य मेला भी लगता है और लाखों श्रद्धालु धोक लगाते हैं.

खरनाल गांव में हुआ था तेजाजी का जन्म

वीर तेजाजी का जन्म खरनाल गांव में पिता ताहड़देव और माता रामकंवरी के घर साल 1074 में हुआ था. उनका विवाह पनेर गांव के रायमल जाट की बेटी पेमल से हुआ था. जनश्रुतियों के अनुसार तेजाजी 9 महीने के और पेमल 6 महीने की थीं, तभी दोनों के माता-पिता ने उनका विवाह पुष्कर घाट पर कर दिया था.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
वीर तेजाजी की प्रतिमा

तेजादशमी की कथा

समय आने पर तेजाजी पत्नी पेमल को लेने ससुराल पनेर पहुंचे, जहां उन दिनों गायों को चुराने वाले लुटेरों के गिरोह का आतंक फैला था. जब तेजाजी अपने ससुराल थे तभी ऐसे ही एक गिरोह ने लाछा नाम की गुर्जर समाज की महिला की गायों को चुरा लिया था. उसने गांव वालों से मदद मांगी लेकिन चोरों के आतंक को देखते हुए कोई भी ग्रामीण उसकी मदद को आगे नहीं आया. इसके बाद वह अपनी सहेली पेमल के पास पहुंची और तेजाजी से उसकी गायों को चोरों से छुड़ाकर लाने की गुहार लगाई. वीर तेजाजी ने उसे वचन दिया कि वे उसकी गायों को सुरक्षित लेकर आएंगे और अपनी लीलण घोड़ी पर सवार होकर चोरों के पीछे चल पड़े.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
तेजाजी ने गायों को चुराने वाले गिरोह से किया युद्ध

पढ़ें- नागौर: वीर तेजाजी मंदिर में बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने की मांग

इस दौरान रास्ते में उन्हें एक नाग आग में जलता हुआ दिखाई दिया तो दया भाव दिखाते हुए तेजाजी ने अपने भाले से नाग को आग से बचा लिया. इस पर नाग क्रोधित हुआ. बताया जाता है कि वह अपना शरीर त्यागने जा रहा था और तेजाजी ने उसे बचा लिया. इसलिए उसने तेजाजी को डसना चाहा. तेजाजी ने गायों को छुड़ाकर लाने के अपने वचन की दुहाई दी और नाग से वादा किया कि वह गायों को छुड़ाकर वापस उसके पास आएंगे. इसके बाद आगे जाकर तेजाजी ने गायों को चुराने वाले गिरोह को ललकारा और युद्ध किया. इस युद्ध में तेजाजी ने चोरों को परास्त किया और गायों को लेकर पनेर गांव पहुंचे.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
आग से नाग को बचाया

तेजाजी के भाले पर नाग के लिपटा होने का कारण

पनेर गांव जाकर पता चला कि एक बछड़ा अभी भी उन चोरों के चंगुल में रह गया है. तेजाजी वापस गए और बछड़े को भी छुड़ाकर लाए. लेकिन इस युद्ध में तेजाजी घायल हो गए. गायों को सुरक्षित छोड़ने के बाद तेजाजी अपना वचन निभाने के लिए नाग के पास गए. तेजाजी का पूरा शरीर लहूलुहान था, इसलिए नाग ने ऐसी जगह डसना चाहा जहां घाव नहीं हो. तब तेजाजी ने नाग को अपने भाले पर लिया और अपनी जीभ पर डसवाया. इसलिए आज भी तेजाजी की घोड़ी पर बैठी प्रतिमा के साथ भाले पर लिपटा नाग भी होता है.

सर्पदंश से पीड़ित का उपचार

नाग को जीभ पर डसवाने के बाद तेजाजी ने अपने प्राण त्याग दिए, लेकिन उनकी सत्यवादिता और वचन पालन से प्रभावित होकर नाग ने उन्हें वरदान दिया कि जहां भी उनकी पूजा होगी वहां सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति का उपचार होगा. ग्रामीण इलाकों में आज भी सर्पदंश से पीड़ित व्यक्ति तेजाजी के मंदिर जाते हैं.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
भाले पर लिपटा नाग

तेजादशमी पर भव्य मेला का आयोजन

बताया जाता है कि तेजाजी के बलिदान की खबर सुनकर उनकी पत्नी पेमल ने भी अपने प्राण त्याग दिए. खरनाल गांव में उनकी बहन गायों को चरा रही थी. उन्हें जब तेजाजी के बलिदान की जानकारी मिली तो अचानक धरती फटी और वह धरती में समा गई. तेजाजी की घोड़ी लीलण ने भी अपने प्राण त्याग दिए और तेजाजी को डसने के बाद नाग ने भी अपना शरीर त्याग दिया. जहां तेजाजी ने बलिदान दिया, वह स्थान आज सुरसुरा के नाम से जाना जाता है जो नागौर की सीमा पर अजमेर जिले में है. वहां भी तेजादशमी के मौके पर हर साल भव्य मेला लगता है.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
खरनाल में तेजाजी का मंदिर

खरनाल में है भव्य मंदिर

तेजाजी के जन्मस्थान पर खरनाल गांव में भव्य मंदिर बना है. जहां भी तेजादशमी के मौके पर मेला लगता है और राजस्थान के अलग-अलग जिलों के साथ ही हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात से लाखों श्रद्धालु यहां धोक लगाने पहुंचते हैं. तेजादशमी पर करीब पांच लाख श्रद्धालु खरनाल पहुंचते हैं.

पढ़ें- SPECIAL: बूंदी में दम तोड़ रही है ऐतिहासिक चित्र शैली, देखरेख का अभाव सबसे बड़ी वजह

खरनाल गांव में लीलण घोड़ी की समाधि और तेजाजी का पैनोरमा भी है, जहां कलाकृतियों के माध्यम से तेजाजी की जीवनी दर्शाई गई है. इसी जगह पर एक संकल्प स्तंभ भी है, जहां लिखे 4 संकल्प आज की युवा पीढ़ी को सत्यवादी वीर तेजाजी के बताए रास्ते पर चलने की प्रेरणा देते हैं.

Teja Dashmi 2020,  Veer Tejaji temple,  Tejaji temple in Kharnal of Nagaur
तेजाजी का मंदिर

प्रशासन से मांग

हालांकि, इस साल महामारी कोविड-19 के खतरे के चलते कम ही श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और प्रशासन के निर्देश पर मंदिर कमेटी ने भी मेला स्थगित रखा है. लेकिन तेजाजी के भक्तों का अलग-अलग जगहों से खरनाल पहुंचने का सिलसिला जारी है. इसके मद्देनजर अखिल भारतीय श्री वीर तेजा जन्मस्थली संस्थान, खरनाल की ओर से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को श्रद्धालुओं को नियंत्रित करने की मांग भी की गई है.

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