नागौर. कोरोना की दूसरी लहर धीरे-धीरे देश के हर छोटे बड़े इलाके को अपने आगोश में लेती जा रही है. नागौर जिला भी इससे अछूता नहीं रहा है. यहां भी संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है.
कुछ दिनों पहले जहां जिले भर में मरीजों की तादाद 2 अंकों में भी नहीं आ रही थी, वहीं अब जिले में पॉजिटिव मरीजों का आंकड़ा जल्द ही 3 अंकों में पहुंचने वाला है. कोरोना संक्रमण के बढ़ने पर हालात बेकाबू ना हो जाए ऐसे में सरकार ने नागौर के प्रमुख चिकित्सालय जवाहरलाल नेहरू अस्पताल को कोविड-अस्पताल में बदलने के आदेश जारी कर दिए हैं. यानी जल्द ही नागौर का सबसे बड़ा JLN अस्पताल में अगले आदेश तक सिर्फ कोरोना संक्रमित मरीजों का ही इलाज होगा.
अस्पताल से जुड़े चिकित्सकों के मुताबिक दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए वैकल्पिक व्यवस्थाए की जा रही है और जेएलएन अस्पताल में सिर्फ कोविड-19 से संक्रमित मरीजो का ही इलाज होगा. चिकित्सकों के मुताबिक इसका एक बड़ा फायदा ये भी होगा कि दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोग कोरोना संक्रमित के संपर्क में नहीं आएंगे.
देश के कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी की समस्या आ रही है, क्या ये कमी नागौर में तो नहीं है इस बारे में PMO जेएलएन डॉ. शंकर लाल ने बताया कि नागौर में फिलहाल इस तरह की कोई समस्या नहीं है. वर्तमान में 32 मरीज JLN मे भर्ती हैं जो कि ऑक्सीजन पर निर्भर है. उन्हें ऑक्सीजन की कमी नहीं आने दी जा रही.
राजकीय जेएलएन अस्पताल का निरीक्षण
वीकेंड कर्फ्यू के दौरान शनिवार को राजकीय जेएलएन अस्पताल का नागौर जिला कलक्टर डाॅ. जितेन्द्र कुमार सोनी, पुलिस अधीक्षक श्वेता धनकड़, अतिरिक्त जिला कलक्टर मनोज कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद जवाहर चौधरी ने औचक निरीक्षण किया. जिला कलेक्टर ने जिले में बढ़ते कोरोना मरीजों की संख्या पर चिंता व्यक्त की. जेएलएन के चिकित्सा अधिकारियों कों निर्देश दिए कि चिकित्सा विभाग हर स्थिति और परिस्थिति के लिए तैयार रहे और समुचित व्यवस्था बनाने के प्रयास करें.
उन्होंने ऑक्सीजन और वेंटिलेटर बेड्स की उपलब्धता पर्याप्त हो इसके लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेहराम महिया और पीएमओ शंकरलाल को इसके लिए आवश्यक निर्देश दिए. डाॅ. सोनी ने जेएलएन परिसर स्थित महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से संचालित वन स्टोप सेंटर (सखी) का निरीक्षण किया और वहां मौजूद कार्मिकों को सभी प्रकार की हिंसा से पीड़ित महिलाओं और बालिकाओं को एक ही स्थान पर हर संभव सहायता जिसमेंअस्थाई आश्रय, पुलिस, विधिक, चिकित्सा, कांउसलिंग आसानी से मिल सके और इसमें किसी प्रकार की कोताही ना बरतने के भी उन्होने निर्देश दिए.