कोटा. पाकिस्तान के सिंध से साल 2000 में आकर कोटा में रह रहे 8 जनों को समस्त कागजी कार्रवाई के बाद सोमवार को कलेक्टर ओम कसेरा ने भारतीय नागरिकता के सर्टिफिकेट दिए. सर्टीफिकेट प्राप्त करने के बाद उन्होंने कहा, कि बहुत तकलीफें सही हैं. अब हमें भी गर्व है, कि हम भी भारत के नागरिक हैं. उन्होंने ये भी कहा, कि भारत ऐसा देश है, जहां पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है. किसी भी धर्म, किसी भी मजहब के लोग यहां आजादी के साथ रहते हैं. सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है.
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पूरी जांच के बाद मिली नागरिकता
सिंध से आए गुरुदासमल, विद्याकुमारी, आईलमल, सुशीलन बाई, रुक्मणी खोबूमल, नरेश कुमार, सेवक और कोशलन बाई साल 2000 में पाकिस्तान के सिंध से राजस्थान के कोटा में रहने लगे थे. इन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया. दस्तावेजों की छानबीन की साथ ही सीआईडी इंटेलीजेंस से जांच करवाई गई. बाद में गृह विभाग ने उनको भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र जारी किए.
कलेक्टर ने सौंपा नागरिकता प्रमाण पत्र
कोटा में कई सालों से पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आकर रह रहे थे और भारत की नागरिकता के लिए सरकार की तरफ से नागरिकता प्रदान करने का इंतजार कर रहे थे. सोमवार को जब जिला कलेक्टर ने इन लोगों को भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र दिया, वह पल इनकी जिंदगी के लिए यादगार बन गया. जब हमने इन्हीं में से कुछ परिवारों से बात की तो खुशी के साथ ही अपनों से अलग होने का दर्द भी छलका.
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उनका कहना था, कि 1947 के बंटवारे ने सरहद को ही नहीं लोगों को भी अपनों से जुदा किया. हम लोग पाकिस्तान में दोयम दर्जे की जिंदगी गुजारने पर मजबूर थे. आखिरकार भारत में आकर रहने का निर्णय लिया. एक-एक करके भारत में आ गए. भारत में आने के बाद भी संघर्ष जारी रहा. खाली हाथ आए सिंधी परिवार ने अपने पुरुषार्थ से खुद को खड़ा किया. वे नागरिकता हासिल करने की कोशिश में भी जुटे रहे.
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भारत सरकार का किया शुक्रिया
जिन लोगों को नागरिकता मिली है, उनका कहना है, कि उनके अपने जो पाकिस्तान में रह गए हैं, वह भी देर सवेर भारत में ही आ जाएंगे. इन लोगों ने सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, कि भारत ऐसा देश है, जहां पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है.