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स्पेशल: पाक से आए 8 लोगों को मिली नागरिकता, सर्टिफिकेट मिलने पर हुए भावुक

पाकिस्तान के सिंध से साल 2000 में आकर कोटा में रह रहे 8 जनों को सभी कागजी कार्रवाई के बाद सोमवार को कलेक्टर ओम कसेरा ने भारतीय नागरिकता के सर्टिफिकेट सौंपे. सर्टिफिकेट मिलने के बाद सभी भावुक हो गए.

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Published : Jan 1, 2020, 1:53 PM IST

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8 लोगों को मिली भारतीय नागरिकता

कोटा. पाकिस्तान के सिंध से साल 2000 में आकर कोटा में रह रहे 8 जनों को समस्त कागजी कार्रवाई के बाद सोमवार को कलेक्टर ओम कसेरा ने भारतीय नागरिकता के सर्टिफिकेट दिए. सर्टीफिकेट प्राप्त करने के बाद उन्होंने कहा, कि बहुत तकलीफें सही हैं. अब हमें भी गर्व है, कि हम भी भारत के नागरिक हैं. उन्होंने ये भी कहा, कि भारत ऐसा देश है, जहां पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है. किसी भी धर्म, किसी भी मजहब के लोग यहां आजादी के साथ रहते हैं. सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है.

8 लोगों को मिली भारतीय नागरिकता

पढ़ेंः हनुमानगढ़: CAA पर बीजेपी का स्पष्टीकरण, कहा- देशहित में नागरिकता संशोधन एक्ट, विपक्ष फैला रहा दंगा

पूरी जांच के बाद मिली नागरिकता

सिंध से आए गुरुदासमल, विद्याकुमारी, आईलमल, सुशीलन बाई, रुक्मणी खोबूमल, नरेश कुमार, सेवक और कोशलन बाई साल 2000 में पाकिस्तान के सिंध से राजस्थान के कोटा में रहने लगे थे. इन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया. दस्तावेजों की छानबीन की साथ ही सीआईडी इंटेलीजेंस से जांच करवाई गई. बाद में गृह विभाग ने उनको भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र जारी किए.

कलेक्टर ने सौंपा नागरिकता प्रमाण पत्र

कोटा में कई सालों से पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आकर रह रहे थे और भारत की नागरिकता के लिए सरकार की तरफ से नागरिकता प्रदान करने का इंतजार कर रहे थे. सोमवार को जब जिला कलेक्टर ने इन लोगों को भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र दिया, वह पल इनकी जिंदगी के लिए यादगार बन गया. जब हमने इन्हीं में से कुछ परिवारों से बात की तो खुशी के साथ ही अपनों से अलग होने का दर्द भी छलका.

पढ़ेंः गहलोत को करना होगा CAA लागू, नहीं तो राजद्रोह का सामना करने को रहें तैयारः बीजेपी विधायक

उनका कहना था, कि 1947 के बंटवारे ने सरहद को ही नहीं लोगों को भी अपनों से जुदा किया. हम लोग पाकिस्तान में दोयम दर्जे की जिंदगी गुजारने पर मजबूर थे. आखिरकार भारत में आकर रहने का निर्णय लिया. एक-एक करके भारत में आ गए. भारत में आने के बाद भी संघर्ष जारी रहा. खाली हाथ आए सिंधी परिवार ने अपने पुरुषार्थ से खुद को खड़ा किया. वे नागरिकता हासिल करने की कोशिश में भी जुटे रहे.

पढ़ेंः CAA, नागरिकता लेने का नहीं, बल्कि नागरिकता देने का बिल है: भजन लाल

भारत सरकार का किया शुक्रिया

जिन लोगों को नागरिकता मिली है, उनका कहना है, कि उनके अपने जो पाकिस्तान में रह गए हैं, वह भी देर सवेर भारत में ही आ जाएंगे. इन लोगों ने सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, कि भारत ऐसा देश है, जहां पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है.

कोटा. पाकिस्तान के सिंध से साल 2000 में आकर कोटा में रह रहे 8 जनों को समस्त कागजी कार्रवाई के बाद सोमवार को कलेक्टर ओम कसेरा ने भारतीय नागरिकता के सर्टिफिकेट दिए. सर्टीफिकेट प्राप्त करने के बाद उन्होंने कहा, कि बहुत तकलीफें सही हैं. अब हमें भी गर्व है, कि हम भी भारत के नागरिक हैं. उन्होंने ये भी कहा, कि भारत ऐसा देश है, जहां पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है. किसी भी धर्म, किसी भी मजहब के लोग यहां आजादी के साथ रहते हैं. सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता है.

8 लोगों को मिली भारतीय नागरिकता

पढ़ेंः हनुमानगढ़: CAA पर बीजेपी का स्पष्टीकरण, कहा- देशहित में नागरिकता संशोधन एक्ट, विपक्ष फैला रहा दंगा

पूरी जांच के बाद मिली नागरिकता

सिंध से आए गुरुदासमल, विद्याकुमारी, आईलमल, सुशीलन बाई, रुक्मणी खोबूमल, नरेश कुमार, सेवक और कोशलन बाई साल 2000 में पाकिस्तान के सिंध से राजस्थान के कोटा में रहने लगे थे. इन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया. दस्तावेजों की छानबीन की साथ ही सीआईडी इंटेलीजेंस से जांच करवाई गई. बाद में गृह विभाग ने उनको भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र जारी किए.

कलेक्टर ने सौंपा नागरिकता प्रमाण पत्र

कोटा में कई सालों से पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आकर रह रहे थे और भारत की नागरिकता के लिए सरकार की तरफ से नागरिकता प्रदान करने का इंतजार कर रहे थे. सोमवार को जब जिला कलेक्टर ने इन लोगों को भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र दिया, वह पल इनकी जिंदगी के लिए यादगार बन गया. जब हमने इन्हीं में से कुछ परिवारों से बात की तो खुशी के साथ ही अपनों से अलग होने का दर्द भी छलका.

पढ़ेंः गहलोत को करना होगा CAA लागू, नहीं तो राजद्रोह का सामना करने को रहें तैयारः बीजेपी विधायक

उनका कहना था, कि 1947 के बंटवारे ने सरहद को ही नहीं लोगों को भी अपनों से जुदा किया. हम लोग पाकिस्तान में दोयम दर्जे की जिंदगी गुजारने पर मजबूर थे. आखिरकार भारत में आकर रहने का निर्णय लिया. एक-एक करके भारत में आ गए. भारत में आने के बाद भी संघर्ष जारी रहा. खाली हाथ आए सिंधी परिवार ने अपने पुरुषार्थ से खुद को खड़ा किया. वे नागरिकता हासिल करने की कोशिश में भी जुटे रहे.

पढ़ेंः CAA, नागरिकता लेने का नहीं, बल्कि नागरिकता देने का बिल है: भजन लाल

भारत सरकार का किया शुक्रिया

जिन लोगों को नागरिकता मिली है, उनका कहना है, कि उनके अपने जो पाकिस्तान में रह गए हैं, वह भी देर सवेर भारत में ही आ जाएंगे. इन लोगों ने सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए कहा, कि भारत ऐसा देश है, जहां पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है.

Intro:स्पेशल रिपोर्ट :-भारत ऐसा देश है जहां पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है सभी को चाहे किसी भी धर्म किसी भी मजहब का हो वह भारत की खुली फिजाओं में आजादी के साथ रहता है और समानता के साथ उसके साथ व्यवहार किया जाता है।यह कहना है भारत की नागरिकता मिलने पर परिजनों ने की साझा।
Body:पाकिस्तान के सिंध से वर्ष 2000 में आकर कोटा में रह रहे 8 जनों को समस्त कागजी कार्रवाई के बाद सोमवार को कलेक्टर ओम कसेरा ने भारतीय नागरिकता के सर्टिफिकेट सौंपे तो उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा ।सर्टीफिकेट प्राप्त करने के बाद बोले कि बहुत तकलीफे सही है, अब हमें भी गर्व है कि हम भी भारत के नागरिक है।
पूरी जांच के बाद मिली नागरिकता:-
सिंध से आये गुरुदासमल पुत्र भिखचंद, विद्याकुमारी पुत्री असोदमल, आईलमल पुत्र धर्मनमल, सुशीलन बाई पुत्री नानूमल, रुक्मणी पुत्री खोबूमल, नरेश कुमार पुत्र चंदरमल ,सेवक पुत्र घरमल, कोशलन बाई पुत्री नानूमल ने सन2000 में पाकिस्तान के सिंध से कोटा में पाकिस्तान के सिंध प्रांत से कोटा में रहने लगे थे।इन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया।दस्तावेजो की छानबीन की।सीआईडी इंटेलीजेंस से जांच करवाई।बाद में गृह विभाग ने उनको भारतीय नागरिकता प्रमाणपत्र जारी किए।

कोटा के कुछ घरो में आज एक त्यौहार का आलम नजर आया जी हां हम बात कर रहे हैं उन लोगों की जो कोटा में कई वर्षों से पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आकर रह रहे थे और भारत की नागरिकता के लिए सरकार की तरफ से नागरिकता प्रदान करने का इंतजार कर रहे थे सोमवार को जब जिला कलेक्टर ने इन लोगों को भारत की नागरिकता का प्रमाण पत्र दिए वह पल इनकी जिंदगी के लिए अभी अविस्मरणीय पल बन गए थे।
जब हमने इन्हीं में से कुछ परिवारों से बात की तो उनकी खुशी के साथ अपनों से अपने मातृभूमि से अलग होने का दर्द भी उनके बातों और चेहरे से नजर आया उनका कहना था 1947 के बंटवारे ने सरहद को ही नहीं लोगों को भी अपनों से जुदा किया इन लोगों की पाकिस्तान में दोयम दर्जे की जिंदगी गुजारने पर मजबूर थे आखिरकार इन्होंने भारत में आकर रहने का निर्णय लिया और एक-एक करके भारत में आ गए भारत में आने के बाद की भी इनकी कहानी काफी संघर्षशील रही खाली हाथ आए यह सिंधी परिवार ने अपने पुरुषार्थ से अपने आप को खड़ा किया और इसी दौरान यहां की नागरिकता हासिल करने के लिए भी लगे रहे।
Conclusion:इनका कहना था की जो इनके अपने पाकिस्तान में रह गए वह भी देर सवेर भारत में ही आ जाएंगे इन लोगों ने सरकार का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि भारत ऐसा देश है जहां पर किसी भी तरह का भेदभाव नहीं किया जाता है सभी को चाहे किसी भी धर्म किसी भी मजहब का हो वह भारत की खुली फिजाओं में आजादी के साथ रहता है और समानता के साथ उसके साथ व्यवहार किया जाता है।
बाईट-गुरुदासमल, सिंध प्रांत से आने वाले नागरिक
बाईट-नरेश कुमार,सिंध प्रांत से आने वाले नागरिक
बाईट-अनिल कुमार,2006 में नागरिकता मिली
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