कोटा. नाबालिग से दुष्कर्म के दो अलग-अलग मामलों में शुक्रवार को न्यायालय ने सजा सुनाते हुए तीन आरोपियों को दंडित किया है. इनमें एक आरोपी बालिका को बहला-फुसलाकर बिहार ले गया था. वहीं, दूसरा आरोपी नाबालिग को माता-पिता की अनुपस्थिति में अपहरण कर भीलवाड़ा ले गया था. पॉक्सो न्यायालय क्रम संख्या एक और पॉक्सो न्यायालय क्रम संख्या 5 ने आरोपियों को सजा सुनाई है. इसके साथ ही आरोपियों पर 60 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.
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विशिष्ट लोक अभियोजक प्रेम नारायण नामदेव ने बताया कि 26 अक्टूबर 2014 को एक पीड़ित ने उद्योग नगर थाने में रिपोर्ट दी थी कि उसकी 15 वर्षीय पुत्री लापता है. पुलिस ने इस मामले में अनुसंधान शुरू किया और बालिका को दस्तयाब कर उसका मेडिकल मुआयना कराया. इसमें पीड़िता ने कोर्ट में बयान दिए कि स्कूल आते-जाते समय आरोपी उसका पीछा करता था. आरोपी 25 अक्टूबर 2014 की रात को जान से मारने की धमकी दी और बदनाम करने की नीयत से उसे अपनी नानी के यहां ले गया. इसके बाद दूसरे दिन बिहार में अपने एक दोस्त के साथ उसके किसी परिचित के घर रखा और वहां पर दोनों ने पीड़िता के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया.
मामले में न्यायालय ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद शुक्रवार को फैसला सुनाया. इसमें पॉक्सो न्यायालय क्रम संख्या एक के न्यायधीश अशोक चौधरी ने दोनों आरोपियों को दोषी माना और 7 साल का कठोर कारावास से दंडित किया. साथ ही 35 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. इसमें से 30 हजार रुपए पीड़िता को देने के निर्देश दिए हैं.
दूसरे मामले की जानकारी देते हुए विशिष्ट लोक अभियोजक सुरेश कुमार वर्मा ने बताया कि 2 जुलाई 2018 को बूढ़ादीत थाना में एक रिपोर्ट दर्ज हुई. जिसमें बताया कि 14 वर्षीय किशोरी 30 जून 2018 की रात को घर पर अकेली थी. उसके माता-पिता दूसरे गांव में कार्यक्रम में भाग लेने गए थे, जो वापस लौटे तो उन्हें बेटी नहीं मिली. इस मामले में गुमशुदगी का मामला दर्ज किया गया. बाद में मामले में आरोपी धर्मराज उर्फ धर्मेंद्र को गिरफ्तार किया गया और पॉक्सो एक्ट में उसके खिलाफ कार्रवाई शुरू हुई.
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अनुसंधान में पुलिस ने पाया कि 16 वर्षीय बालिका के साथ आरोपी ने दुष्कर्म किया है और उसे भीलवाड़ा जिले में रखा था. इसमें ट्रायल के दौरान 21 गवाहों के बयान दर्ज किए गए. शुक्रवार को पॉक्सो न्यायालय क्रम संख्या 5 इस मामले में आरोपी धर्मराज और धर्मेंद्र को 14 साल का कठोर कारावास और 25 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया.