कोटा. हाड़ौती संभाग में बीते 4 दिनों से शीतलहर का प्रकोप जारी है. इसके चलते हजारों हेक्टेयर फसल पर खतरा मंडरा गया है. इसी तरह की शीतलहर का प्रकोप आगे भी अगर जारी रहा तो फसल में खराबा हो सकता है. इसी के चलते कृषि विभाग ने किसानों के लिए गाइडलाइन जारी कर दी (Rajasthan Agriculture Department Guidelines) है, लेकिन हाड़ कंपाने वाली इस सर्दी के चलते अधिकांश किसान खेतों में ही नहीं जा पा रहे (Cold Wave Effect on Crop in Kota) हैं.
कोटा संभाग में 12 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर रबी की फसल बारां, बूंदी, झालावाड़ और कोटा जिले में बोई गई है. जिसमें सर्वाधिक गेहूं की फसल है. इसके बाद सरसों, धनिया और चना भी बड़ी मात्रा में बोया गया है. कोटा के आसपास आलू और सब्जियों की खेती भी काफी मात्रा में की जाती है. ऐसे में अब इन सभी फसलों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं. कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि हल्की सी धूप मंगलवार को निकली है. वर्तमान की परिस्थितियों को देखते हुए पाला पड़ने की संभावना कम है. हालांकि, किसानों के लिए दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. इससे किसान सावधानी रखें (crop in Kota may affect by frost).
खेत में गलने की कगार पर पहुंचा पौधा
किसानों का कहना है कि धुंध काफी पड़ रही है. इसके चलते पौधा नहीं पनप पा रहा है. हमने महंगा बीज बोया है और इसमें फसल ही मरने की कगार पर पहुंच रही है. फसल में कुछ भी उत्पादन नहीं होगा. क्योंकि कई दिनों तक धूप नहीं आने से पौधा ही गल जाएगा. किसानों ने कहा कि धूप के चलते ही पौधा आगे बढ़ता है. खेत में पानी भरा होने के चलते पौधे का तना कमजोर हो रहा है. साथ ही ऊपर की तरफ से पौधा सूख भी रहा है. सूरज नहीं निकलने पर फसल का तना मजबूत नहीं होग. दूसरी तरफ लगातार कोहरा भी फसल को खराब कर रहा है.
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सरसों और धनिया में ज्यादा नुकसान की आशंका
किसानों का कहना है कि 15 दिन पहले बारिश हुई थी, उसके बाद से सर्दी लगातार बढ़ रही है. गेहूं, लहसुन, सरसों व जानवरों का रजके में नुकसान शुरू हो गया है. बीते 4 दिनों से सूरज नहीं निकला है. इसमें सरसों और धनिया की फसल को ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है. इसके चलते फर्टिलाइजर भी काम नहीं कर पा रहे हैं. किसान देवेंद्र शर्मा ने मांग करते हुए कहा कि किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए जो क्रॉप इंश्योरेंस हुआ है, संबंधित एजेंसी को सूचना कर किसानों को मुआवजा भी दिलाया जाए. क्योंकि अगर धूप नहीं निकलती है, तो किसानों की फसल बदतर हालात में पहुंच जाएगी.
बिना धूप के नहीं काम कर रही खरपतवार नाशक
मानपुरा इलाके में खेती करने वाले देवेंद्र शर्मा ने अपने खेत में गेहूं चना और लहसुन बोया है. इसके साथ ही उन्होंने पशुओं को खिलाने वाले रजका भी बोया है. शर्मा ने गेहूं की फसल में खरपतवार नष्ट करने के लिए दवाई छिड़की थी, लेकिन वह काम नहीं कर पा रही है. क्योंकि धूप नहीं मिल रही है। खरपतवार जिस स्थिति में थी वैसी ही है. देवेंद्र ने कहा कि हमने दवाइयों का स्प्रे कर दिया, लेकिन वह बिल्कुल भी काम नहीं कर रही है. क्योंकि धूप निकलने पर ही यह दवाई काम करती है और खरपतवार को नष्ट करती है. हालांकि कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खरपतवार के छिड़काव का समय होता है. किसानों को 25 से 30 दिन बाद में गेहूं के लिए दवाई का स्प्रे करना होता है. यह समय निकल जाने के बाद ही किसानों ने स्प्रे किया होगा. इन किसानों को दोबारा स्प्रे करना चाहिए.
सरसों की फसल में लगे कीड़े
काला तालाब इलाके के किसान बृजमोहन नागर का कहना है कि उनकी 25 बीघा फसल में सरसों की फसल की थी. लगातार मौसम खराब रहने के चलते जो शीतलहर चल रही है उससे फली सरसों के पौधे में नहीं आई है. जबकि ऊपर के हिस्से में कुछ कीड़ा लग गया है इसे चेपा या मच्छर भी कहा जाता है. यह पूरी फली को खत्म कर देगा. उन्होंने कहा कि धूप नहीं निकलने के चलते ही यह कीड़ा लग रहा है. यह धीरे-धीरे 5 से 8 दिन में पूरे पेड़ तक पहुंच जाएगा. हमें इससे नुकसान होगा.
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शीतलहर से पैदावार पर पड़ेगा असर
किसान संघ के जिला प्रचार प्रमुख रूप नारायण यादव का कहना है कि उन्होंने किसानों से बात की है और सभी किसानों ने फसल को नुकसान होने की बात कही है. धनिया, लहसुन और सरसों की फसल के साथ आलू की फसल में भी नुकसान हो रहा है. शीतलहर के चलते अब पैदावार भी प्रभावित होने की आशंका बन गई है. क्योंकि ज्यादा ग्रोथ पौधों की नहीं आएगी. किसान खेत में अपनी फसल को देखने जा रहा है, लेकिन कोहरे की वजह दवाइयों का छिड़काव किसान कर रहा है, वह पत्तियों पर नहीं ठहर रही है.
गंधक और तेजाब का स्प्रे करने की सलाह
कृषि विभाग ने भी किसानों की चिंता करते हुए अपनी फसल को पाले के प्रकोप से बचाने के लिए गंधक के साथ तेजाब का छिड़काव करने की सलाह दी है. इसके लिए एक लीटर गन्धक के तेजाब को 1000 लीटर पानी में घोलकर एक हैक्टेयर क्षेत्र में प्लास्टिक के स्प्रेयर से छिड़कने की सलाह दी है. लेकिन पौधों पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे, छिड़काव का असर दो सप्ताह तक रहता है. शीत लहर व पाले की संभावना बन रही है तो गन्धक के तेजाब के छिड़काव को 15-15 दिन में दोहराते रहें. अधिकारियों ने बताया कि पाला पड़ने की आशंका होने पर खेत में सिंचाई भी कर देनी चाहिए इससे खेत में नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी रहती है और भूमि का टेम्परेचर एकदम कम नही होता है. वैज्ञानिकों के अनुसार सर्दी में फसल में सिंचाई करने से 0.5 डिग्री सेल्शियस तक तापमान बढ़ जाता है.
खेत के बाहर करें धुंआ, बढ़ जाएगा तापमान
रात को पाला पड़ने की आशंका हो तो रात को 12:00 से 2:00 बजे के आसपास उत्तरी पश्चिमी तरफ से आने वाली ठंडी हवाओं को रोकने का प्रयत्न किसान करें. इसके लिए खेत की मेड़ पर कूड़ा कचरा व व्यर्थ घास फूस जलाकर धुआं कर दें ताकि खेत में गर्मी का वातावरण बना रहे. इसके चलते 4 डिग्री सेल्सियस तापमान आसानी से बढ़ जाएगा. साथ ही उन्होंने कहा कि जो किसान सब्जियों का उत्पादन करते हैं वह अपनी सब्जियों को पॉलिथीन या जूट की बोरियों से ढक दें.