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भारत में हरित क्रांति से खेती और स्वास्थ्य पर पड़ा विपरीत प्रभाव, क्रांति के नाम पर फंसे दुष्चक्र में: सुरेश जोशी भैय्याजी - Suresh Bhaiyyaji Joshi urges to adopt organic farming

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी का कहना है (Suresh Bhaiyyaji Joshi on green revolution in India) कि देश में खाद्यान्न संकट को दूर करने के लिए हरित क्रांति लाई गई. हरित क्रांति से ही रसायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, लेकिन इससे कुछ दोष भी सामने आए हैं. इनमें किसान बर्बाद हुआ और लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ा.

Suresh Bhaiyyaji Joshi on green revolution in India
भारत में हरित क्रांति से खेती और स्वास्थ्य पर पड़ा विपरीत प्रभाव, क्रांति के नाम पर फंसे दुष्चक्र में: सुरेश जोशी भैय्याजी
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Published : Apr 2, 2022, 9:58 PM IST

Updated : Apr 2, 2022, 11:59 PM IST

कोटा. जिले के जाखोड़ा में श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र का लोकार्पण शनिवार को हुआ. समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि खाद्यान्न संकट को दूर करने के लिए हरित क्रांति लाई गई. हरित क्रांति से ही रसायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, लेकिन इससे कुछ दोष भी आए हैं.

सुरेश भैय्याजी ने कहा कि आज हम खाद-बीज के लिए स्वाबलंबी की जगह परावलम्बी हो गए हैं. स्वास्थ्य पर विपरीत असर से बीमारियां बढ़ती गईं. किसान बर्बाद होकर आत्महत्या को मजबूर हो गया. क्रांति के नाम पर एक दुष्चक्र में फंसते चले गए. इसको समाप्त करने के लिए प्रयास करने होंगे और प्राकृतिक और जैविक खेती की तरफ लौटना (Suresh Bhaiyyaji Joshi urges to adopt organic farming) होगा. कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए पूरी तरह गंभीर है. सभी राज्य सरकारों से उन्होंने कहा है कि जितना भी ऐसा रकबा है, जहां पर अभी तक ऑर्गेनिक खेती की जा रही है. उसके प्रमाणीकरण करके हमें भेज दें, ताकि हम उस एरिया को ऑर्गेनिक एरिया घोषित कर दें. जिससे किसानों को फायदा हो. जबकि अभी किसान स्वयं जैविक खेती करता है, तो 3 साल तक लगातार उत्पादन आने पर ही उसे ऑर्गेनिक माना जाता है. लेकिन अगर राज्य की ओर से प्रमाणित कर भेजा जाता है, तो पहले साल में ही उसे ऑर्गेनिक प्रोडक्शन माना जाएगा.

भारत में हरित क्रांति से खेती और स्वास्थ्य पर पड़ा विपरीत प्रभाव, क्रांति के नाम पर फंसे दुष्चक्र में: सुरेश जोशी भैय्याजी

पढ़ें: किसान कल्याण की गारंटी से ही खुलेगा 'आत्मनिर्भरता' का रास्ता!

साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों ने परिश्रम करके देश को कृषि उत्पाद की दृष्टि से समृद्ध बनाया है. भारत कृषि उत्पाद में या तो पहले स्थान पर है या दूसरे स्थान पर है. केंद्र सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में उनमें भी पहले क्रम पर होंगे. रासायनिक खेती ने जमीन को अनुपजाऊ बनाया है. इससे जलवायु परिवर्तन का संकट खड़ा हुआ है. आज प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना, लागत कम करने के लिए, अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए, कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए हमें जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा. सरकार का प्रयास है कि भारत जैविक निर्यात की दृष्टि से पहले पांच देशों में शामिल हो.

पढ़ें: 'पूसा अहिल्या' से आएगी मालवा में हरित क्रांति! गेहूं की अब तक की सबसे पौष्टिक किस्म की गई विकसित

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आने वाले समय में मिट्टी को बचाना चुनौती होगी. उर्वरा शक्ति को बचाना होगा. मिट्टी को बचाना और शुद्ध आहार उपलब्ध कराना ही मानव सेवा का पुनीत कार्य है. सरकार के प्रयासों से सकारात्मक परिवर्तन भी आया है. समाज समझ रहा है कि शुद्ध आहार ही संभावित बीमारियों से बचाएगा. आज मेड पर फलदार पौधे लगाने से, गौपालन पर कम ब्याज पर पैसा देने से किसान की आमदनी बढ़ी है. बहुआयामी आय से किसान आत्मनिर्भर बनेगा.

कोटा. जिले के जाखोड़ा में श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान व प्रशिक्षण केंद्र का लोकार्पण शनिवार को हुआ. समारोह में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य व पूर्व सरकार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी ने कहा कि खाद्यान्न संकट को दूर करने के लिए हरित क्रांति लाई गई. हरित क्रांति से ही रसायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग किया गया, लेकिन इससे कुछ दोष भी आए हैं.

सुरेश भैय्याजी ने कहा कि आज हम खाद-बीज के लिए स्वाबलंबी की जगह परावलम्बी हो गए हैं. स्वास्थ्य पर विपरीत असर से बीमारियां बढ़ती गईं. किसान बर्बाद होकर आत्महत्या को मजबूर हो गया. क्रांति के नाम पर एक दुष्चक्र में फंसते चले गए. इसको समाप्त करने के लिए प्रयास करने होंगे और प्राकृतिक और जैविक खेती की तरफ लौटना (Suresh Bhaiyyaji Joshi urges to adopt organic farming) होगा. कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत सरकार जैविक और प्राकृतिक खेती के लिए पूरी तरह गंभीर है. सभी राज्य सरकारों से उन्होंने कहा है कि जितना भी ऐसा रकबा है, जहां पर अभी तक ऑर्गेनिक खेती की जा रही है. उसके प्रमाणीकरण करके हमें भेज दें, ताकि हम उस एरिया को ऑर्गेनिक एरिया घोषित कर दें. जिससे किसानों को फायदा हो. जबकि अभी किसान स्वयं जैविक खेती करता है, तो 3 साल तक लगातार उत्पादन आने पर ही उसे ऑर्गेनिक माना जाता है. लेकिन अगर राज्य की ओर से प्रमाणित कर भेजा जाता है, तो पहले साल में ही उसे ऑर्गेनिक प्रोडक्शन माना जाएगा.

भारत में हरित क्रांति से खेती और स्वास्थ्य पर पड़ा विपरीत प्रभाव, क्रांति के नाम पर फंसे दुष्चक्र में: सुरेश जोशी भैय्याजी

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साथ ही उन्होंने कहा कि किसानों ने परिश्रम करके देश को कृषि उत्पाद की दृष्टि से समृद्ध बनाया है. भारत कृषि उत्पाद में या तो पहले स्थान पर है या दूसरे स्थान पर है. केंद्र सरकार का प्रयास है कि आने वाले समय में उनमें भी पहले क्रम पर होंगे. रासायनिक खेती ने जमीन को अनुपजाऊ बनाया है. इससे जलवायु परिवर्तन का संकट खड़ा हुआ है. आज प्राकृतिक संतुलन बनाए रखना, लागत कम करने के लिए, अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए, कृषि निर्यात बढ़ाने के लिए हमें जैविक और प्राकृतिक खेती की ओर लौटना होगा. सरकार का प्रयास है कि भारत जैविक निर्यात की दृष्टि से पहले पांच देशों में शामिल हो.

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लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि आने वाले समय में मिट्टी को बचाना चुनौती होगी. उर्वरा शक्ति को बचाना होगा. मिट्टी को बचाना और शुद्ध आहार उपलब्ध कराना ही मानव सेवा का पुनीत कार्य है. सरकार के प्रयासों से सकारात्मक परिवर्तन भी आया है. समाज समझ रहा है कि शुद्ध आहार ही संभावित बीमारियों से बचाएगा. आज मेड पर फलदार पौधे लगाने से, गौपालन पर कम ब्याज पर पैसा देने से किसान की आमदनी बढ़ी है. बहुआयामी आय से किसान आत्मनिर्भर बनेगा.

Last Updated : Apr 2, 2022, 11:59 PM IST
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