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JK लोन की जांच रिपोर्ट: चिकित्सकों की लापरवाही नहीं, ऑक्सीजन पाइप लाइन और ठंड को बताया मौत का जिम्मेदार - कोटा न्यूज

जेके लोन मामले में गठित राज्य स्तरीय कमेटी ने है अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है. जांच में चिकित्सकों की लापरवाही नहीं होना बताया गया है. मौत का कारण ऑक्सीजन पाइप लाइन और ठंड को बताया गया है.

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बच्चों के मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट
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Published : Dec 31, 2019, 10:08 AM IST

कोटा. जेके लोन अस्पताल में 48 घंटे में 10 बच्चों की मौत के मामले में हंगामा होने के बाद राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की थी. इस कमेटी ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें बच्चों की मौत के मामले में ठंड और ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं होने को जिम्मेदार बताया है. साथ ही इलाज में किसी भी तरह की खामी नहीं होने की बात कमेटी ने स्वीकारी है.

जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने भी मौतों का मामला उठते ही इसके संबंध में उच्च स्तरीय जांच कमेटी जयपुर के स्तर पर बनाई थी. चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया भी कोटा आएं थे. दो दिनों तक उन्होंने अस्पताल में मौतों के संबंध में जांच की थी. इसमें जयपुर एसएमएस के अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. अमरजीत मेहता और शिशु रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. रामबाबू शर्मा के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग के ओएसडी डॉ. सुनील भटनागर शामिल थे.

बच्चों के मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट

इस टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सोमवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया को सौंप दी है. चिकित्सा सचिव गालरिया ने भी इस रिपोर्ट को राज्य सरकार को भेज दिया है. रिपोर्ट में बताया है कि कड़ाके की ठंड में बच्चों की जीप और वेन में दूसरे अस्पतालों से जेकेलोन लाया गया. कमेटी ने यह भी कहा कि अस्पतालों के न्यू नेटल आईसीयू में ऑक्सीजन की पाइप लाइन नहीं है. वहां सिलेंडरों से सप्लाई की गई है. ऐसे में संभवत इन्फेक्शन बढ़ा और मौतें अधिक हुई है.

ये पढ़ेंः JK लोन अस्पताल में दिसंबर महीने में मौत का आंकड़ा पहुंचा 91, बीते 6 दिनों में 14 और बच्चों की मौत

ये जांच में आया सामने...

कमेटी ने माना है कि पीडियाट्रिक और नियोनेटल आईसीयू में 53 बेड है. इन्हीं पर 70 बच्चों से ज्यादा का इलाज हो रहा था. नियोनेटल आईसीयू में संक्रमण संभव है. इसमें 1 माह से छोटे बच्चे भर्ती होते हैं, यहां ऑक्सीजन पाइपलाइन भी नहीं है और संक्रमण मुक्ति के उपाय भी नहीं हैं.

जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें 10 में से 5 बच्चे एक माह से छोटे थे और भारी सर्दी में दूसरे अस्पतालों से आए थे. इनफेक्शन से गला अवरुद्ध था, सांसे थमने के हालात हो गए थे. मेडिकल रीजन से मृत्यु हुई है. रिपोर्ट बताया गया है कि चिकित्सकों ने संक्रमण से ग्रसित बच्चों का इलाज सही दिया है. लापरवाही नहीं बरती है, 10 मौतों का कारण क्रिटिकल अवस्था में बच्चों की जीप और वैन से लाना ही कारण है.

कोटा पहुंची महिला सांसदों की टीम...

कोटा के जेके लोन अस्पताल के मामले में जमकर राजनीति हो रही है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर दो पूर्व चिकित्सा मंत्री अस्पताल का दौरा कर चुके हैं. साथ ही स्थानीय विधायकों ने भी अस्पताल के मुद्दे पर सरकार पर तीखे प्रहार किए हैं. यहां तक कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो भी कोटा आकर जेके लोन अस्पताल का दौरा किया और अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा के सामने नाराजगी जता चुके हैं. साथ ही मंगलवार को 4 महिला सांसदों की कमेटी भी भाजपा के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर कोटा पहुंच चुकी है.

कोटा. जेके लोन अस्पताल में 48 घंटे में 10 बच्चों की मौत के मामले में हंगामा होने के बाद राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की थी. इस कमेटी ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है, जिसमें बच्चों की मौत के मामले में ठंड और ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं होने को जिम्मेदार बताया है. साथ ही इलाज में किसी भी तरह की खामी नहीं होने की बात कमेटी ने स्वीकारी है.

जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने भी मौतों का मामला उठते ही इसके संबंध में उच्च स्तरीय जांच कमेटी जयपुर के स्तर पर बनाई थी. चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया भी कोटा आएं थे. दो दिनों तक उन्होंने अस्पताल में मौतों के संबंध में जांच की थी. इसमें जयपुर एसएमएस के अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. अमरजीत मेहता और शिशु रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. रामबाबू शर्मा के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग के ओएसडी डॉ. सुनील भटनागर शामिल थे.

बच्चों के मामले में जांच कमेटी की रिपोर्ट

इस टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सोमवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया को सौंप दी है. चिकित्सा सचिव गालरिया ने भी इस रिपोर्ट को राज्य सरकार को भेज दिया है. रिपोर्ट में बताया है कि कड़ाके की ठंड में बच्चों की जीप और वेन में दूसरे अस्पतालों से जेकेलोन लाया गया. कमेटी ने यह भी कहा कि अस्पतालों के न्यू नेटल आईसीयू में ऑक्सीजन की पाइप लाइन नहीं है. वहां सिलेंडरों से सप्लाई की गई है. ऐसे में संभवत इन्फेक्शन बढ़ा और मौतें अधिक हुई है.

ये पढ़ेंः JK लोन अस्पताल में दिसंबर महीने में मौत का आंकड़ा पहुंचा 91, बीते 6 दिनों में 14 और बच्चों की मौत

ये जांच में आया सामने...

कमेटी ने माना है कि पीडियाट्रिक और नियोनेटल आईसीयू में 53 बेड है. इन्हीं पर 70 बच्चों से ज्यादा का इलाज हो रहा था. नियोनेटल आईसीयू में संक्रमण संभव है. इसमें 1 माह से छोटे बच्चे भर्ती होते हैं, यहां ऑक्सीजन पाइपलाइन भी नहीं है और संक्रमण मुक्ति के उपाय भी नहीं हैं.

जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें 10 में से 5 बच्चे एक माह से छोटे थे और भारी सर्दी में दूसरे अस्पतालों से आए थे. इनफेक्शन से गला अवरुद्ध था, सांसे थमने के हालात हो गए थे. मेडिकल रीजन से मृत्यु हुई है. रिपोर्ट बताया गया है कि चिकित्सकों ने संक्रमण से ग्रसित बच्चों का इलाज सही दिया है. लापरवाही नहीं बरती है, 10 मौतों का कारण क्रिटिकल अवस्था में बच्चों की जीप और वैन से लाना ही कारण है.

कोटा पहुंची महिला सांसदों की टीम...

कोटा के जेके लोन अस्पताल के मामले में जमकर राजनीति हो रही है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर दो पूर्व चिकित्सा मंत्री अस्पताल का दौरा कर चुके हैं. साथ ही स्थानीय विधायकों ने भी अस्पताल के मुद्दे पर सरकार पर तीखे प्रहार किए हैं. यहां तक कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो भी कोटा आकर जेके लोन अस्पताल का दौरा किया और अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा के सामने नाराजगी जता चुके हैं. साथ ही मंगलवार को 4 महिला सांसदों की कमेटी भी भाजपा के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर कोटा पहुंच चुकी है.

Intro:जेकेलोन मामले में गठित राज्य स्तरीय कमेटी ने माना है कि पीडियाट्रिक व नियोनेटल आईसीयू में 53 बेड है. इन्हीं पर 70 बच्चों से ज्यादा का इलाज हो रहा था.
नियोनेटल आईसीयू में संक्रमण संभव है. इसमें 1 माह से छोटे बच्चे भर्ती होते हैं, यहां ऑक्सीजन पाइपलाइन भी नहीं है और संक्रमण मुक्ति के उपाय भी नहीं हैं. जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें 10 में से 5 बच्चे एक माह से छोटे थे और भारी सर्दी में दूसरे अस्पतालों से आए थे.


Body:कोटा.
कोटा के जेके लोन अस्पताल में 48 घंटे में 10 बच्चों की मौत के मामले में हंगामा होने के बाद राज्य सरकार ने उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित की थी. इस कमेटी ने राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. जिसमें बच्चों की मौत के मामले में ठंड और ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं होने को जिम्मेदार बताया है. साथ ही इलाज में किसी भी तरह की खामी नहीं होने की बात कमेटी ने स्वीकारी है.
जानकारी के अनुसार राज्य सरकार ने भी मौतों का मामला उठते ही इसके संबंध में उच्च स्तरीय जांच कमेटी जयपुर के स्तर पर बनाई थी. चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया भी कोटा आएं थे और दो दिनों तक उन्होंने अस्पताल में मौतों के संबंध में कमियां किसान मांग की थी. इसमें जयपुर एसएमएस के अतिरिक्त प्राचार्य डॉ. अमरजीत मेहता और शिशु रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर डॉ. रामबाबू शर्मा के साथ-साथ चिकित्सा शिक्षा विभाग के ओएसडी डॉ. सुनील भटनागर शामिल थे. इस टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट सोमवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया को सौंप दी है. चिकित्सा सचिव गालरिया ने भी इस रिपोर्ट को राज्य सरकार को भेज दिया है
रिपोर्ट में बताया है कि कड़ाके की ठंड में बच्चों की जीप व वेन में दूसरे अस्पतालों से जेकेलोन लाया गया कमेटी ने यह भी कहा कि अस्पतालों के न्यू नेटल आईसीयू में ऑक्सीजन की पाइप लाइन नहीं है वहां सिलेंडरों से सप्लाई की गई है ऐसे में संभवत इन्फेक्शन बड़ा और मौतें अधिक हुई है.

ये जांच में आया सामने
कमेटी ने माना है कि पीडियाट्रिक व नियोनेटल आईसीयू में 53 बेड है. इन्हीं पर 70 बच्चों से ज्यादा का इलाज हो रहा था.
नियोनेटल आईसीयू में संक्रमण संभव है. इसमें 1 माह से छोटे बच्चे भर्ती होते हैं, यहां ऑक्सीजन पाइपलाइन भी नहीं है और संक्रमण मुक्ति के उपाय भी नहीं हैं. जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें 10 में से 5 बच्चे एक माह से छोटे थे और भारी सर्दी में दूसरे अस्पतालों से आए थे. इनफेक्शन के से गला अवरुद्ध ही था सांसे थमने के हालात हो गए थे. मेडिकल रीजन से मृत्यु हुई है. रिपोर्ट बताया गया है कि चिकित्सकों ने संक्रमण से ग्रसित बच्चों का इलाज सही दिया है. लापरवाही नहीं बरती है, 10 मौतों का कारण क्रिटिकल अवस्था में बच्चों की जीप व वैन से लाना ही कारण है.


Conclusion:आज आएगी महिला सांसदों की टीम
कोटा के जेके लोन अस्पताल के मामले में जमकर राजनीति हो रही है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर दो पूर्व चिकित्सा मंत्री अस्पताल का दौरा कर चुके हैं. साथ ही स्थानीय विधायकों ने भी अस्पताल के मुद्दे पर सरकार पर तीखे प्रहार किए हैं. यहां तक कि राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो भी कोटा आकर जेके लोन अस्पताल का दौरा किया और अधीक्षक डॉ. एससी दुलारा के सामने नाराजगी जता चुके हैं. साथ ही आज 4 महिला सांसदों की कमेटी भी भाजपा के कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर कोटा आएगी.
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