कोटा. दुनियाभर में कोरोना की दहशत जारी है. भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या 15,31,669 हो चुकी है. कुल संक्रमितों में 9,88,029 लोग स्वस्थ भी हो चुके हैं. इनमें बीते 24 घंटे के अंदर स्वस्थ घोषित किए गए 35,286 लोग भी शामिल हैं.
राजस्थान की बात करें तो प्रदेश में भी बीते कुछ दिनों से कोरोना संक्रमण बेकाबू हो चुका है. कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या बढ़कर 38,964 हो चुकी है. वहीं, मौत का कुल आंकड़ा 650 पहुंच चुका है. जब तक इलाज नहीं खोज लिया जाता, तब तक बचाव ही सबसे कारगार इलाज है. ऐसे में एक शब्द बार-बार सामने आ रहा है...क्वॉरेंटाइन या आइसोलेशन.
ऐसे में चिकित्सा विभाग ने एसिंप्टोमेटिक मरीजों को अब होम क्वॉरेंटाइन करना शुरू कर दिया है. कोटा में भी बीते 1 सप्ताह में 160 के आसपास कोरोना संक्रमित मरीज मिले. जिन्हें होम आइसोलेशन पर रखा गया है. ईटीवी भारत ने होम आइसोलेशन की पूरी व्यवस्था की पड़ताल की. जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. आधे से ज्यादा मरीज ऐसे हैं, जिनकी दोबारा कोरोना की जांच ही नहीं की गई है. जो मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के जिम्मे है.
वहीं चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी होम आइसोलेशन के मरीजों का स्वास्थ्य नहीं जांच रही है. साथ ही कई मरीज ऐसे भी हैं. जिनकी दवा खत्म हो गई, लेकिन उन्हें दोबारा दवा नहीं दी गई. एक-दो मरीज तो ऐसे मिले जिन्हें पहले दिन से ही किसी तरह की कोई दवाई नहीं दी गई है. ऐसे में लोगों को परेशानियां तो बहुत हो रही हैं लेकिन करें भी तो क्या करें. किसको बताया जाए.
यह भी पढ़ें : Corona Upate : प्रदेश में 328 नए पॉजिटिव केस...आकड़ा पहुंचा 38,964...अबतक 650 की मौत
कोटा से कई केस को ऐसे भी सामने आए हैं जहां मरीज खुद अस्पतालों में जाकर अपना सैंपल दे रहे हैं. ऐसे में फिर होम आइसोलेशन का कोई मतलब ही नहीं दिखाई देता है. चिकित्सा विभाग की इस लापरवाही की वजह से अन्य लोगों में भी संक्रमण का खतरा बना हुआ है. क्योंकि होम आइसोलेशन में रहने वाले लोग घरों से बाहर निकल रहे हैं और अपनी दवाईयां खुद खरीद रहे हैं.
आधे से ज्यादा मरीजों के पास नहीं पल्स ऑक्सीमीटर...
होम आइसोलेट करने के दौरान मेडिकल कॉलेज की टीम देखती है कि मरीज के पास पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर होना जरूरी है. साथ ही उसके घर में अटैच लेट बाथ वाला रूम हो, जिसमें वह अकेला रह सके. परिजन भी घर पर होने चाहिए, जो उसकी देखभाल कर सकें, लेकिन आधे से ज्यादा मरीजों के पास पल्स ऑक्सीमीटर नहीं है. ऐसे में उनका होम आइसोलेशन ही संदेह के घेरे में है. बड़ा सवाल उठता है कि ऐसे मरीजों को होम आइसोलेट क्यों किया जा रहा है, इन पर किस तरह की निगरानी रखी जाएगी.
केवल फोन पर पूछ रहे स्वास्थ्य के बारे में...
ईटीवी भारत में अधिकांश मरीजों से चिकित्सकों के बारे में जानकारी ली तो सामने आया कि उनसे केवल फोन पर ही स्वास्थ्य पूछा जाता है. घर पर किसी तरह की कोई टीम नहीं आ रही है. साथ ही इन मरीजों ने यह भी बताया कि उन्हें दवा भी नहीं दी जा रही है. कोटा में बीते 7 दिनों में करीब 150 से ज्यादा मरीजों को होम आइसोलेशन में भेजा गया है.
पल्स ऑक्सीमीटर जांचने पर सिचुएशन कम मिला...
कोटा शहर के रीको इंडस्ट्रियल एरिया में रहने वाले एक मरीज जिनका पूरा परिवार कोरोना संक्रमित आया था, उन्हें होम आइसोलेट किया गया था. अचानक ऑक्सीजन सैचुरेशन गड़बड़ा गया और उन्हें पल्स ऑक्सीमीटर से जांच करने पर इसका पता चला. चिकित्सकों ने उन्हें तुरंत मेडिकल कॉलेज में भर्ती करवा दिया, अब स्वस्थ हैं.
अंडरटेकिंग के बाद ही आइसोलेशन: प्रिंसिपल मेडिकल कॉलेज
सीएमएचओ की टीम को मरीज के स्वास्थ्य की जानकारी और मॉनिटरिंग करनी है. जिस भी मरीज में कोई लक्षण नजर आता है या भर्ती करना जरूरी है, तो वह भर्ती के लिए कहेंगे, तब हम भर्ती कर देंगे. मरीज को सेपरेट रूम, पल्स ऑक्सीमीटर और थर्मामीटर के साथ केयर गिवर की भी सुविधा की अंडरटेकिंग देता है. इसके बाद ही होम आइसोलेशन किया जा रहा है.
कुछ मरीज दोबारा जांच के लिए छूट गए होंगे, लेकिन इस काम को स्ट्रीम लाइन करके ठीक से करवाएंगे. सैंपल कलेक्शन के लिए भी टीम लगाई गई है अगर कोई मरीज अस्पताल या डिस्पेंसरी पर जाकर नमूना दे रहा है तो वह बिल्कुल गलत है.
व्यवस्था में कमियां हैं तो दूर करेंगे: CMHO
सीएमएचओ डॉ. भूपेंद्र सिंह तंवर का कहना है कि होम आइसोलेशन आवश्यकता के अनुसार किया जा रहा है. सुविधा घर पर है तो घर पर ही इलाज व्यक्ति ले सकता है. कुछ शिकायत आ रही है. थोड़ा बहुत गेप अभी है. हम इन शिकायतों को दूर करेंगे, नया काम अभी शुरू हुआ है. पहले मरीज भी कम थे, अब बढ़ गए हैं. ऐसे में प्रक्रिया के अनुसार जल्द ही सभी समस्याओं को दूर करेंगे. इसके लिए मेडिकल कॉलेज और जिला प्रशासन से समन्वय बनाकर काम करेंगे. कोआर्डिनेशन कमेटी भी बनाई गई है.
केस - 1 : ना दवा लिखी ना कुछ बताया, दोबारा सैंपल भी नहीं हुआ
लाडपुरा बाजार में रहने वाले 24 वर्षीय युवक 21 जुलाई को कोरोना संक्रमित मिले थे. युवक को मेडिकल टीम ने किसी तरह की कोई दवा नहीं दी गई है और मेरा रीटेस्ट भी नहीं हुआ है. उन्हें कफ की शिकायत है. छाती भारी लगती है. साथ सुबह उठने पर बदन भी टूटता है. उनके पास पल्स ऑक्सीमीटर भी नहीं है
केस - 2 : डिस्पेंसरी पर पहुंच गया पॉजिटिव का पूरा परिवार
महावीर नगर एक्सटेंशन में अग्निशमन केंद्र के सामने वाली लाइन में रहने वाले 35 वर्षीय युवक 25 जुलाई को संक्रमित मिले थे. उन्हें होम आइसोलेट किया गया, लेकिन उनका पूरा परिवार 27 जुलाई को टेस्ट नहीं होने के चलते यूपीएचसी महावीर नगर पहुंच गया. जबकि उनके घर कर्फ्यू और जीरो मोबिलिटी लागू है. हालांकि मरीज के पास पल्स ऑक्सीमीटर भी ऑक्सीजन सैचुरेशन नापने के लिए नहीं है.
यह भी पढ़ें : श्रीगंगानगरः बढ़ने लगी कोरोना मरीजों की संख्या, कंटेनमेंट जोन बनाकर किया सर्वे का काम शुरू
केस - 03 : दोबारा जांच के लिए ही नहीं पहुंची टीम, तो खुद अस्पताल गए
श्रीनाथपुरम रजत सिटी बिल्डिंग में रहने वाले 53 वर्षीय व्यक्ति 17 जुलाई को पॉजिटिव आए थे. पहले मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती रहे. फिर 23 तारीख को होम आइसोलेशन में उन्हें भेज दिया गया. 22 जुलाई को भी उनका एक टेस्ट हुआ जो पॉजिटिव आया था.
इसके बाद 27 जुलाई को टेस्ट करवाने के लिए चिकित्सक ने सलाह दी थी, लेकिन ना तो मेडिकल कॉलेज की टीम आई, न सीएमएचओ की. उन्होंने दोनों टीमों को फोन किया और दोनों ने एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल दी. इसके बाद आज खुद ही मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में जाकर नमूना देकर आए हैं. पॉजिटिव मरीज के इस तरह से होम आइसोलेशन को तोड़कर जाना पड़ा.
केस - 04 : कई बार फोन किया, दोबारा जांच नहीं हुई
विज्ञान नगर निवासी 52 वर्षीय महिला 21 जुलाई को पॉजिटिव आई थी. मेडिकल कॉलेज में भर्ती रही 24 जुलाई को उन्हें होम आइसोलेशन में भेज दिया गया. इसके बाद से दोबारा जांच नहीं हुई है. उन्होंने और उनके पति ने कई बार मेडिकल कॉलेज और सीएमएचओ के कार्मिकों से जांच करवाने के लिए आग्रह किया है. दोनों ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डाल दी.