कोटा. कोविड-19 के लिए ऑक्सीजन संजीवनी बनी हुई है और इसकी कमी पूरे प्रदेश में है. जहां शुक्रवार को प्रदेश की पहली ऑक्सीजन एक्सप्रेस जामनगर से कोटा पहुंची. इसमें तीन ऑक्सीजन के टैंकर कोटा आए हैं. जिसमें से एक टैंकर को जयपुर, दूसरे को झालावाड़ और तीसरे को कोटा में सप्लाई के लिए लाया गया है. इन तीनों टैंकरों के जरिए 39 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिली है. जिससे कोटा को भी संजीवनी मिलेगी और यहां पर ऑक्सीजन का बैकअप बढ़ जाएगा.
ऑक्सीजन एक्सप्रेस के कोटा पहुंचते ही कोटा रेल मंडल प्रबंधक पंकज शर्मा सहित आला अधिकारी भी माल गोदाम पहुंच गए. इसके अलावा शहर पुलिस और जीआरपी के भी अधिकारी माल गोदाम में मौजूद रहे. जैसे ही टैंकरों को माल गोदाम में उतारा गया. यहां से सीधा उन्हें पुलिस की ओर से एस्कॉर्ट करते हुए भेज दिया गया है. इसके लिए तीन अलग-अलग एस्कॉर्टिंग वाहन लगाए थे.
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2 दिन में कोटा को मिली 43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला के प्रयासों से ही 28 मीट्रिक टन सड़क मार्ग से ऑक्सीजन कोटा पहुंची थी. जिसको की कोटा मेडिकल कॉलेज के लिक्विड ऑक्सीजन टैंक और रानपुर स्थित ऑक्सीजन प्लांट में भेजा गया है. इसके बाद शुक्रवार को फिर तीन ऑक्सीजन के टैंकर कोटा पहुंचे है. जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ का कहना है कि इनमें से 15 मीट्रिक टन का ऑक्सीजन टैंकर कोटा को मिलेगा, जबकि राज्य सरकार के निर्देश पर 12 मीट्रिक टन झालावाड़ और 12 मीट्रिक टन का टैंकर जयपुर भेजा जा रहा है. ऐसे में 2 दिनों में कोटा को 43 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन मिली है.
सड़क मार्ग से 12 घंटे कम में पहुंची ऑक्सीजन एक्सप्रेस
कोटा मेडिकल कॉलेज और रानपुर स्थित ऑक्सीजन प्लांट को गुरुवार को भी 28 मीट्रिक टन लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई मिली थी. यह टैंकर भी जामनगर से ही 920 किलोमीटर का सफर कर कोटा पहुंचा था, लेकिन इसे सड़क मार्ग से आने में 32 घंटे लग गए थे, जबकि ऑक्सीजन एक्सप्रेस जो कि गुरुवार करीब 12:00 बजे जामनगर से रवाना हुई थी. वह भी करीब 920 किलोमीटर चल शुक्रवार सुबह 8:00 बजे कोटा पहुंच गई. इसके बाद टैंकरों को भी उतार लिया गया. साथ ही उन्हें गंतव्य के लिए तुरंत रवाना कर दिया गया है, ताकि कोरोना महामारी से ग्रसित होने के बाद ऑक्सीजन की कमी के चलते मरीजों की जान नहीं जाए और उन्हें समय से ऑक्सीजन मिले.
वाइब्रेशन से खिसक सकता है इसलिए धीमी गति से आई ट्रेन
आमतौर पर माल गाड़ियां करीब 75 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे में सफर तय कर लेती है, लेकिन ऑक्सीजन एक्सप्रेस करीब 50 किलोमीटर प्रति घंटे की सफर कर पाई है, क्योंकि इस पर टैंकर रखे हुए थे जो की लंबाई भी इनकी काफी ज्यादा है. काफी ऊंचाई में यह स्थिर तो रहता है लेकिन वाइब्रेशन से मिलता है, जिसके चलते यह खिसक भी सकता है. इसीलिए कम स्पीड पर ही ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेन को लेकर आया गया है जिसके चलते इसे कुछ समय ज्यादा लगा है, हालांकि सड़क मार्ग से लगने वाले समय से यह कम है.