कोटा. जिला में बाढ़ जैसे हालात के बीच एक राहत की खबर ये है कि कोटा बैराज (Kota Barrage) से अब पानी की अधिक निकासी (water withdrawal) नहीं होगी. यह खबर चंबल नदी (Chambal River) के किनारों पर बसे लोगों को थोड़ा संबल और राहत प्रदान करेगी.
जाहिर है कि मध्यप्रदेश में बारिश का दौर (Heavy rain) थम गया है. इससे गांधी सागर बांध में पानी की आवक कम हो गई है. इससे गांधी सागर बांध के गेट खुलने की संभावनाएं कम है. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के राणा प्रताप सागर बांध में भी पानी की आवक कम हुई है. इसलिये वहां से भी पानी डिस्चार्ज नहीं किया जा रहा है.
जवाहर सागर बांध और कोटा बैराज के कैचमेंट एरिया (catchment area) में लगातार बारिश हुई है. यहां पानी की आवक भी हो रही है. इसलिये पानी छोड़ा गया है. लेकिन अब इसमें भी कमी की जा रही है. कोटा बैराज और जवाहर सागर बांध से दोपहर में 80 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था, लेकिन अब 70 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है.
हालांकि चंबल नदी उफान पर है. रियासत कालीन छोटी पुलिया से आवागमन बंद कर दिया है. जवाहर सागर बांध से बिजली बनने के साथ गेट से भी 68 हजार क्यूसेक पानी की निकासी हो रही है. इसमें बिजली बनाने के लिए 10 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है.
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बड़े बांध अभी भी खाली
गांधी सागर बांध से रात में करीब 1 लाख क्यूसेक पानी की आवक हो रही थी, वह कम होकर अब 7 हजार 646 क्यूसेक रह गई है. अभी इस बांध का वाटर लेवल 1297 फीट पहुंचने वाला है. जबकि बांध की कुल क्षमता 1312 फीट है. ऐसे में मध्य प्रदेश में बारिश नहीं होने के चलते गांधी सागर बांध का जलस्तर नहीं बढ़ेगा.
जल संसाधन विभाग के सहायक अभियंता हरीश तिवारी का कहना है कि राणा प्रताप सागर बांध में भी पानी की आवक रात को 1 लाख क्यूसेक के आसपास थी. लेकिन अब केवल 21 हजार क्यूसेक के आसपास रह गई है. वर्तमान में इसका गेज 1149 फीट है. जबकि कुल क्षमता 1157 फीट है. इस बांध को भी भरने में काफी समय अभी लगने वाला है.
जवाहर सागर बांध में सुबह करीब 83000 क्यूसेक (cusec) पानी की आवक हो रही थी. लेकिन अब यह कम होकर 58000 रह गई है. ऐसे में पानी कम डिस्चार्ज किया गया है. कोटा बैराज के अभियंता महावीर मालव ने बताया कि कोटा बैराज में भी 70000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. इसके लिए 6 गेटों को 5 फीट और 4 गेटों को 7 फीट तक खोला गया है.
गांधी सागर और राणा प्रताप सागर से जल निकासी पर बनते हैं बाढ़ के हालात
2019 में सितंबर महीने में मध्य प्रदेश में हुई भारी बारिश के कारण गांधी सागर बांध में करीब 5 लाख से ज्यादा क्यूसेक पानी आया था. ऐसे में कुछ दिनों में ही बांध का गेज बढ़ गया था. इसके चलते पानी की निकासी की गई थी. वहीं कोटा बैराज से 7.5 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. ऐसे में चंबल के किनारे बसी बस्तियों में बाढ़ के हालात पैदा हो गए थे. यहां तक कि दोमंजिला मकान भी डूब गये थे. तब कोटा से लेकर धौलपुर तक चंबल का रौद्र रूप नजर आया था.