कोटा. कोटा में हुई गैंगवार में रणवीर चौधरी की हत्या शिवराज गैंग के गुर्गों ने कर दी है. पुलिस ने चारों गुर्गों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कर ली है. और उनके लिए जगह-जगह दबिश भी दी जा रही है. पुलिस ने टीमें भी गठित की हैं, जिनके जरिए वे उन गुर्गों को पकड़ने में जुटी हुई है, लेकिन शिवराज की गैंग का राज PWD में चलता था और नाम सामने आने के बाद PWD यूनियन ऑफिस में सन्नाटा पसरा हुआ है.
कोटा PWD ऑफिस परिसर के कॉन्ट्रेक्टर एसोसिएशन कार्यालय से कभी शिवराज की गैंग संचालित होती थी. इसका प्रमाण ठेकेदार यूनियन के दफ्तर में लगी शिवराज सिंह हाड़ा के नाम की नेमप्लेट है. जबकि वह पिछले 9 सालों से भानु हत्याकांड में जेल में बंद है. वर्तमान में भरतपुर की सेवर हाई सिक्योरिटी जेल में बंद है.
इसके बावजूद आज भी दफ्तर में लगी नेम प्लेट पर शिवराज सिंह हाड़ा महासचिव लिखा हुआ है. ये साफ ,है कि आतंक का पर्याय बन चुके शिवराज गैंगस्टर के गुर्गे PWD के ठेकों में रसूख और अपने रुतबे का खेल इसी दफ्तर से चलाते थे. यहीं से ये तय होता था, कि शिवराज के गुर्गे जिस पर हाथ रखेंगे PWD के ठेके उसे ही मिलेंगे. दफ्तर में आज भी तस्वीरें लगी हुई हैं, जिनमें शिवराज के साथ में ठेकेदारों की पूरी टीम है.
जानकारों के मुताबिक अजय सिंह हाड़ा उर्फ अज्जू, पीर मोहम्मद उर्फ पीरू, हारून अली और टिंकू खान का अक्सर दफ्तर में आना जाना होता था. साथ ही 10 से 15 अन्य बदमाशों का यहां जमावड़ा होता था, लेकिन रविवार को जब रणवीर की गोलियों से भून कर सनसनीखेज हत्या हुई तो घटना के अगले दिन ही हत्याकांड में मुख्य किरदार के रूप में शिवराज गैंग का नाम सामने आया.
जिसके बाद गैंग से ताल्लुकात रखने वाले सभी ठेकेदार भूमिगत हो गए. हालांकि पुलिस इन सबके ठिकानों पर दबिश दे चुकी है और बैरंग लौटी है, लेकिन कहीं ना कहीं शिवराज गैंग के नजदीकी सम्बन्ध रखनेवाले ठेकेदारों को गिराफ्तारी का भय सता रहा है.
बता दें, कि गैंगस्टर शिवराज सिंह हाड़ा पहले इसी PWD का रजिस्टर्ड ठेकेदार हुआ करता था. लेकिन साल 2009 में झालावाड़ के कुख्यात गैंगस्टर भानुप्रताप ने शिवराज के भाई बृजराज उर्फ बबलू की हत्या की. जिसके बाद शिवराज ने अपने भाई की मौत का बदला लेने के लिए अप्रैल 2011 में भानुप्रताप की हत्या कर दी. उदयपुर जेल से कोटा कोर्ट में पेशी पर लाए जाने के दौरान बिजौलिया के पास अपने साथियों अजय सिंह हाड़ा उर्फ अज्जू, पीर मोहम्मद उर्फ पीरू, हरेंद्र और अजय के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी.
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इसलिए की हत्या..
शिवराज सलाखों के पीछे से अपने गुर्गों के जरिये गैंग को चला रहा है. पिछले 9 सालों से ये गैंग निष्क्रिय नजर आ रही थी, लेकिन हाल ही में हुए कुछ घटनाक्रमों जैसे जमीनी विवाद के मामलों में आमने-सामने होने के साथ ही भानुप्रताप हत्याकांड केस के गवाहों से रणवीर लगातार संपर्क कर रहा था. तभी से शिवराज गैंग के गुर्गों की आंखों में रणवीर खटक रहा था.
शिवराज गैंग के गुर्गों को अपने वर्चस्व की चिंता सताने लगी और शायद तभी बदमाशों ने रणवीर को अपने रास्ते से हटाने की साजिश रची और योजना के मुताबिक रविवार को जब रणवीर अपनी गाड़ी से झालावाड़ जाने के लिए निकला तो उसके एक साथी विक्रम ने उसे श्रीनाथपुराम स्टेडियम के बाहर मिलने के लिए बुलाया और तभी शिवराज गैंग को ऑपरेट करने वाले गुर्गे अजय सिंह वहाड़ा उर्फ अज्जू, पीर मोहम्मद उर्फ पीरू, टिंकू खान और हारून अली ने रणवीर पर फायरिंग शुरू कर दी. जिसमे रणवीर को कुल 15 गोलियां लगीं, लेकिन सिर में लगी 5 गोलियों ने उसके सिर के परखच्चे उड़ा दिए और रणवीर की मौके पर मौत हो गई.